अधिकारियों की मनमानी, उपभोक्ता परेशान, संविदाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर, कर्मचारी हडताल पर

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Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा । विद्युत विभाग में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उपभोक्ता अधिकारियों पर अनसुनी और मनमानी का अरोप लगाते हैं तो बात आई गयी हो जाती है। अब तो विद्युत विभाग के संविदाकर्मियों ने ही अपने आलाधिकारियों पर मनमानी का अरोप लगा दिया है। हालांकि इसका खामियाजा भी उपभोक्ता को ही भुगतना पड रहा है।


संविदाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की एमडी सौम्या अग्रवाल ने छटीकरा क्षेत्र में ऐसे उपभोक्ताओं के यहां छापा मारा जो विद्युत बकायेदारों की सूची में नाम थे। एमडी को एक मामला ऐसा मिला जहां बकाये पर बिजली काटी गई थी लेकिन उपभोक्ता ने सीधे केबिल जोड कर बिजली चालू कर रखी थी। उपभोक्ता के खिलाफ विभाग की ओर से सख्त कार्रवाही अमल में लाई गयी है। वहीं एक अन्य मामले में खराब मीटर को बदले जाने की बजाय विभाग के कर्मचारियों ने सीधे केबिल जोड कर उपभोक्ता को सप्लाई दे दी। कार्रवाही यहां भी उपभोक्ता पर ही होने जा रही थी कि लेकिन यहां उपभोक्ता ने खराब मीटर होने की सूचना विभाग को दिये जाने के सबूत भी जुटाये हुए थे।  इसके बाद पूछताछ उन कर्मचारियों से हुई जिन्होंने सप्लाई को जोडा था। उपभोक्ता लक्ष्मी देवी ने खुद सप्लाई को जोडने की बजाय संविदाकर्मियों से ही जुडवाया था। इसके सबूत भी उन्होंने जुटा कर सुरक्षित रखे। इसके बाद एमडी के आदेश पर संविदाकर्मियों जैंत निवासी श्याम और छटीकरा निवासी प्रकाश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। एमडी के सख्त तेवरों को देखते हुए क्षेत्रीय एसडीओ पंकज शर्मा, जेई असरफ खान और शैलेन्द्र खुद एफआईआर दर्ज कराने के लिए वृंदावन पहुंचे और विद्युत अधिनियम 139 के तहत एफआईआर दर्ज कराई। इसकी सूचना जब दोनों संविदाकर्मियों को मिली तो उनका माथा ठनक गया। अपने साथियों को इसकी जानकारी दी। गुरूवार को सुबह से चार बिजली घरों के संविदाकर्मी हडताल पर चले गये और बिजली घर के सामने विभाग के अधिकारियों और एमडी के खिलाफ नारेबाजी की।

रिकार्ड तक नहीं हैं एसडीओ कार्यालयों में
थोक के भाव लगाये गये मीटरों के रिकार्ड तक एसडीओ कार्यालयों में मौजूद नहीं हैं। जब कोई उपभोक्ता गलत बिल आने या मीटर खराब होने पर इसका प्रार्थना पत्र विभाग को देता है तो अधिकारी असमंजस में फंस जाते हैं। विभाग में थोक के भाव मीटरों का कोई रिकार्ड नहीं है। अधिकारी और कर्मचारी एक दूसरे पर इसको टालते रहते हैं। ज्यादातर उन मामलों में स्थिति बिगड जाती हैं जिन उपभोक्ताओं ने एक भी बार अपना बिल मीटर लगने के बाद जमा नहीं किया है। वह बकायेदार हो गये हैं, मिल मोटा हो गया है अथवा मीटर खराब हो गया है। बिल सही होने पर उपभोक्ता बिल जमा करने की कहता है, ऐसे में न बिल सही हो पता है और नहीं जमा। यही स्थित मीटर बदलने को लेकर है।

संविदाकर्मी बोले तीन बार अधिकारियों को लिख कर दिया था
दोनों संविदकर्मियों ने आरोप लगाया कि जिस उपभोक्ता के मामले में उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गयी है, उसका मीटर खराब होने की सूचना तीन बार लिखित में अधिकारियों को दी गई थी। इसके बाद भी न मीटर सही किया गया और न हीं दूसरा कोई समाधान किया गया।

Dr. Bhanu Pratap Singh