उत्तर प्रदेश की विपक्षी राजनीति में इस समय उबाल है। समाजवादी पार्टी की परेशानी बढ़ी हुई है। अल्पसंख्यक नेताओं की नाराजगी लगातार सामने आ रही है। चचा शिवपाल यादव पाला बदलने के लगातार संकेत दे रहे हैं। हालांकि इस सबके बीच अखिलेश यादव पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं।
मैनपुरी की एक जनसभा में अखिलेश यादव ने पार्टी को मजबूत बनाने का मंत्र दिया लेकिन अपर्णा यादव ने खुलेआम समाजवादी पार्टी को समाप्त करने का प्लान बाकायदा साझा किया।
अपर्णा यादव ने बिधुना विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता पार्टी की जमकर तारीफ की। साथ ही, समाजवादी पार्टी को निशाने पर लिया। उन्होंने समाजवादी पार्टी को कमजोर करने की रणनीति बताई। अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वापस मठ भेजने की बात कर रहे थे। योगी जी तो पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ गए। अब गुंडे-माफियाओं पर उनका लठ चलता रहेगा।
सोशल मीडिया के प्रयोग पर दिया जोर
अपर्णा यादव ने कार्यक्रम में आए लोगों को सोशल मीडिया का प्रयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने पूछा कि क्या आप लोग इंस्टाग्राम और ट्विटर का प्रयोग करते हैं? इस पर लोगों ने हां कहा तो अपर्णा ने इसके जरिए जनता तक शासन के काम पहुंचाने की बात कही। उन्होंने कहा कि बाबा का बुलडोजर लगातार चल रहा है। गुंडे-अपराधियों का प्रदेश से सफाया हो जाएगा। कुछ लोगों को ये बातें अच्छी नहीं लग रही, इसलिए इसका विरोध कर रहे हैं। अपर्णा ने गुंडे-माफियाओं से विपक्षी दल को जोड़ने की कोशिश की।
लोगों को भाजपा में शामिल होने का न्यौता
अपर्णा यादव ने समाज के सभी वर्ग को भाजपा में शामिल होने का न्यौता दिया। उन्होंने खुद की तरफ इशारा करते हुए कहा कि बिधुना की बहू ने मुलायम सिंह यादव का परिवार नहीं छोड़ा है। राष्ट्रवाद की राह पर चलने के लिए पार्टी छोड़ी है। राष्ट्रवाद के मार्ग पर चलने के लिए उन्होंने तमाम लोगों को भाजपा से जुड़ने की अपील की। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और इसकी वजह पीएम नरेंद्र मोदी एवं सीएम योगी आदित्यनाथ की राष्ट्रवाद वाली नीति बताई थी।
राष्ट्रवाद के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिश
अपर्णा यादव अपने समाज के एक बड़े वोट बैंक को अपनी तरफ लाने की कोशिश करती दिख रही हैं। इसके लिए वे राष्ट्रवाद को हथियार बना रही हैं। उन्होंने संकेतों में पहले ही समाजवादी पार्टी पर राष्ट्रवाद के मार्ग पर न चलने का आरोप लगा दिया है। भाजपा की ओर से भी सपा पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है। अब अपर्णा यादव के इस बयान और शिवपाल यादव के समान नागरिक संहिता वाले बयान ने अखिलेश यादव के समक्ष मुश्किलें अधिक बढ़ाई हैं। अखिलेश यादव को इन सवालों के जवाब अब सार्वजनिक तौर पर देने होंगे, जिससे वे लगातार बचने की कोशिश करते दिखे हैं।
उधर अखिलेश के ऊपर विधायक नाहिद हसन, शाहजिल इस्लाम और आजम खान पर होने वाली सरकार की कार्रवाई पर चुप रहने का भी आरोप लग रहा है। ऐसे में उन्हें सबको जोड़ने और परिवार की ओर से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार करनी होगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी नेताओं की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
-एजेंसियां
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