ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को एक और झटका लगा है। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि निचली अदालत को ज्ञानवापी केस की सुनवाई से रोका जाए। अब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा है कि वह जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे। यदि याचिकाकर्ता चाहते हैं तो पहले इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। इस तरह मुस्लिम पक्ष को एक और झटका लगा है। पहला झटका तब लगा था जब वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए याचिका स्वीकार कर ली थी।
जानिए क्या है नई याचिका का मामला
मुस्लिम पक्ष ने बाबरी विध्वंस से जुड़े एक केस को आधार बनाकर जनहित याचिका दायर की थी। बाबरी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद असलम भूरे ने अवमानना याचिका दायर की थी। सुनवाई से पहले ही असमल भूरे की मौत हो गई। अब करीब चार हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति (मंदिर निर्माण का आदेश) रखते हुए केस बंद कर दिया।
इसी आधार पर अब मुस्लिम पक्ष ने अपनी याचिका में कहा कि काशी और मथुरा को लेकर 1993, 95 और 97 में सुप्रीम कोर्ट यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे चुका है। इस तरह काशी को लेकर अभी हो रही सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
हालांकि जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे खारिज दिया। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक समझने वाली बात है कि इस मामले में सिविल सूट दायर है।
प्रॉपर्टी के हक को लेकर याचिकाएं दायर हुई हैं। इसलिए इसको लेकर पीआईएल दायर करने सही नहीं है। यदि याचिकाकर्ता अपनी बात रखना चाहते हैं तो पहले हाई कोर्ट जाएं।
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