बरगद को यम या यमराज से जुड़ा हुआ माना जाता है , यमराज को मृत्यु का देवता माना जाता है । इसीलिए पहले गाँव मे बरगद को गाँव के बाहर शमशान आदि के पास लगाया जाता था । ऐसा भी माना जाता है कि बरगद के पेड़ पर भूत आदि निवास करते हैं , आज भी लोग गाँव मे रात मे बरगद के पेड़ के नीचे नहीं जाते हैं ।
अमरत्व का प्रतीक
बरगद को अमरत्व का प्रतीक माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि बरगद प्रलय को भी मात दे सकता है , इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि बरगद का पेड़ काफी कठिन परिस्थितियों या अकाल जैसे हालत मे भी हरभरा बना रह सकता है ।
देवी सावित्री की कहानी तो आपने सुनी ही होगी जिसमे उसके पति की एक बरगद के पेड़ के पास ही मृत्यु हो जाती है , वह उसके पति को ले जा रहे यमराज का पीछा करती है और अपनी जिद और सूजबूझ से अपनी पति के प्राणों को वापस ले आती है ।
इसी घटना को याद करते हुये आज भी हजारों साल से ज्येष्ठ माह मे वट सावित्री व्रत मनाया जाता है जिसमें महिलाएं अपनी परिवार की खुशहली और पति की दीर्घ आयु के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती है और उसे धागा बांधती हैं ।
ध्यान और सन्यास का प्रतीक
भारतीय दर्शन में उन सभी चीजों का बहुत महत्व है जिनकी आयु सैकड़ों साल या हजारों साल होती है जैसे वृक्ष , नदियां , भूमि , पर्वत , समुद्र आदि । इन सभी को स्थिरता , ध्यान और आध्यात्म से जोड़कर देखा जाता है ।
शिव भगवान भी जिनको सबसे बड़ा योगी और सन्यासी माना जाता है बरगद के पेड़ के नीचे ही ध्यान लगते थे ।
बागवानी में महत्व
जड़ों या जटाओ की जटिल संरचना और बड़ी संख्या मे शाखाएँ निकलने की वजह से banyan tree को बागवानी की दो पद्धतियो Bonsai और Penjing के लिए यह एक आदर्श पौधा है । आपको जानकार आश्चर्य होगा की ताइवान की एक फॅमिली अपनी कई पीढ़ियों से बोन्साई पौधों का रख रखाव कर रही है और उनके पास करीब 250 साल पुराना बरगद का बोन्साई आज भी मौजूद है ।
चिकित्सा में उपयोग
बरगद के सभी हिस्सों का आयुर्वेद मे अत्यधिक औषधीय उपयोग बताया गया है जोकि महिला , पुरुष , बच्चो , बुजुर्ग आदि को विभिन्न रोगों मे बहुत लाभ पहुंचा सकता है , पर जानकारी के अभाव मे हम सभी इस वृक्ष को अनदेखा कर देते हैं ।
बरगद के पत्ते से उपचार
बरगद के पत्ते से बालों कि समस्या का इलाज संभव है , इसके अलावा खूनी पित्त, त्वचा रोग मे , जुकाम व नजला , दस्त व पेचिश , खूनी बवासीर , मधुमेह , मासिक धर्म विकार व महिलाओं से संबन्धित अन्य रोगों मे , शरीर कि कमजोरी दूर करने , अनिद्रा मे ,घाव का इलाज मे , रसौली मे , आग से जलने पर , खुजली के इलाज मे बरगद की पत्ती का इस्तेमाल करके कारगर इलाज किया जा सकता है ।
बरगद की जटा से उपचार
बरगद की जटा से गंजेपन की समस्या , मधुमेह , मूत्र रोग मे , मासिक धर्म विकार में, सिफ़लिस , स्तनों का ढीलापन , सुजाक रोग मे बरगद की जटा या जड़ का उपयोग किया जटा है ।
बरगद के छाल से उपचार
नाक से खून आने , दांत रोगों मे ,दस्त , बवासीर , मधुमेह, Gonorrhea , गर्भधारण समस्या मे , याददाश्त बढ़ाने मे बरगद के छाल का बहुत ही असरदार लाभ पाया गया है ।
बरगद के दूध से उपचार
नेत्र रोग मे , कान से जुड़े रोगों मे , दांत रोगों मे , टांसिल दर्द मे , दस्त मे , मधुमेह , कमर दर्द मे , घाव के इलाज में , कुष्ठ रोग में , बरगद के पत्तियों , टहनियों से निकलने वाला दूध बहुत लाभकारी होता है ।
बरगद की टहनी से आप दातून भी कर सकते हैं , इसके अलावा इससे मिलने वाला फल भी अत्यधिक लाभकारी होता है ।
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