आगरा: थाना हरि पर्वत पुलिस ने ई-कॉमर्स साइट पर प्रोडक्ट बेचने के नाम पर व्यापारियों से ठगी करने वाले दो विदेशी ठगों को गिरफ्तार किया है। दोनों नोएडा में रह रहे थे और स्टडी वीजा पर भारत आए हैं। शहर के एक व्यापारी की शिकायत पर पुलिस ने यह कार्रवाई की।
पुलिस के अनुसार, फतेहाबाद निवासी राजीव पालीवाल आलू व्यापारी हैं। फरवरी में राजीव ने थाना हरिपर्वत में आठ लाख रुपये की साइबर ठगी का मुकदमा दर्ज कराया था। दिसंबर में उन्होंने जूट बैग खरीदने के लिए गूगल पर सर्च किया था। सर्च में नगालैंड की भीमराज इंडस्ट्रीज के नाम से वेबसाइट मिली। वेबसाइट पर जीएसटी नंबर, ईमेल आईडी आदि पूरी जानकारी थी। इसलिए शक नहीं हुआ।
बिजनेस के लिए नीलजन धखर नाम के व्यक्ति से व्हाट्स एप पर चैटिंग शुरू हुई। डील होने पर ईमेल आईडी पर 3.80 लाख जूट बैग का ऑर्डर दिया। इनकी कीमत 4.52 लाख रुपये थे। यह पैसे राजीव ने उनके बताए एकाउंट में ट्रांसफर किए। सामान भेजने की एवज में लाजिस्टिक व अन्य सुविधाओं के नाम पर 2.26 लाख रुपये भी एकाउंट में भेजे गए। शिपमेंट की एनवायरमेंटल एनओसी के लिए 96,900 रुपये भी एकाउंट में ट्रांसफर कराए गए, लेकिन इसके बाद भी सामान नहीं आया।
राजीव ने सामान नहीं आने पर दिए गए ट्रक नंबर को ट्रैक किया तो वो दीमापुर नगालैंड का था। ट्रक के मालिक से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके ट्रक की कोई बुकिंग नहीं है।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए ठग नाइजीरिया के हैं। दोनों ठगों अकुंबे बोमा और माइकल बूनवी ने बताया कि वे फर्जी वेबसाइट बनाकर फर्जी वेयरहाउस दिखाते थे। एक नहीं कई फर्जी वेबसाइट बना चुके हैं। यह लोग गूगल पर ही बड़ी कंपनियों के नाम ढूंढ कर उनके नाम पर फर्जी वेबसाइट बना लेते थे। इन वेबसाइट पर व्यापारी व रिटेलर एग्रीकल्चर, सॉफ्टड्रिंक, कोरोगेटेड बॉक्स, इलेक्ट्रोनिक एप्लायंस आदि की डिलीवरी के लिए संपर्क करते थे।
व्यापारियों से बैंक एकाउंट में रुपये मंगा लेते थे। इनके साथी इंग्लिश में व्यापारियों से बात करते थे, जिससे उन्हें विश्वास हो जाए कि फर्जी वेबसाइट नहीं है। चैटिंग करते थे। व्हाट्स एप पर ही फर्म का इनवॉइस भी भेजते थे। फर्जी डिटेल पैकिंग नंबर, डिस्पैच नंबर, ट्रक नंबर भी भेजते थे।
पूछताछ में दोनों ठगों ने पुलिस को बताया कि वे अब तक 100 से 150 फर्जी व्यापारिक वेबसाइट्स गूगल पर रजिस्टर कर चुके हैं। सौ से ज्यादा व्यापारियों को ठगी का शिकार बना चुके हैं। उनसे लगभग 15 करोड़ रुपये ले चुके हैं।
एसीपी हरी पर्वत आदित्य कुमार ने बताया कि साइबर टीम की मदद से यह पकड़ में आए हैं। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वे फर्जी नाम पतों पर खोले गए खातों पर एक-एक लाख रुपये प्राप्त करते थे। उनका एटीम भी अपने पास रखते हैं। वेस्ट बंगाल के किसी मकसूद अली से फर्जी नाम-पते प्राप्त करते थे। हर फर्जी नाम पते के लिए चार हजार रुपये देते थे। जो पैसे एकाउंट में आते थे, वो अपने देश कैमरून भेज देते थे। उनके मोबाइल फोन की चैटिंग में भी 60-70 व्यापारियों से चैट मिली हैं।
दोनों ने ठगी से पैसों से एक महंगी कार भी खरीद ली थी। दो आई फोन, तीन मोबाइल फोन, वाई फाई राउटर, वाई फाई हॉट स्पॉट, रिफ्यूजी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, लैपटॉप, मोहरें, मेंबर कार्ड आदि पुलिस को मिले हैं।
-एजेंसी
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