– विश्व क्षयरोग दिवस पर आयोजित हुए विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम
आगरा: विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस अवसर पर एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा में जनभागीदारी, जन जागरूकता, टीबी के नवीनतम निदान और उपचार पद्धतियों से संबंधित अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गये। एस.एन. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर टीबी) तथा प्री एक्सडीआर टीबी के उपचार के लिए नवीनतम बीपीएएलएम रेजीमेन का ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के मरीज को रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी में दवा खिला कर आगरा में शुभारंभ किया।
डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा क्षय रोग के लिये नवीनतम उपचार पद्धति को अपनाने वाला अग्रणी चिकित्सा संस्थान बन गया है, जिससे क्षय रोग उन्मूलन 2025 के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि टीबी का इलाज अनिवार्य रूप से छह महीने तक करना चाहिए, और मरीजों को नियमित रूप से दवा लेने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।
इस अवसर पर डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह,अध्यक्ष स्टेट टीबी टास्क फ़ोर्स, उत्तर प्रदेश एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा ने बताया कि यह छह महीने का पूरी तरह से ओरल उपचार है, जो अत्यंत प्रभावी है, इसके दुष्प्रभाव बहुत की कम हैं और इसकी सफलता दर 90% से अधिक है। एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा देश की उन पाँच सेंटर्स में से एक है जहां बीपीएएलएम रेजिमेन का परीक्षण किया गया था। इस अवसर पर पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ़ मेडिसिन में एक संवेदीकरण सत्र (सीएमई) का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जनभागीदारी, जन जागरूकता, टीबी के नवीनतम निदान और उपचार पद्धतियों पर केंद्रित था।
उप प्रधानाचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. टी.पी सिंह की अध्यक्षता में इस सीएमई में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, मेडिसिन विभाग तथा अन्य विभाग के विशेषज्ञों, चिकित्सा संकाय के सदस्यों और क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीईपी ) से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया।
इस दौरान टीबी के नवीनतम निदान विधियों जैसे सीबी नाट, टू नाट, एल.पी.ए और व्होल जीनोम सिक्वेंसिंग पर भी चर्चा की गई। डॉ. पी.के माहेश्वरी, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी विभाग ने कहा कि टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी (कम्युनिटी एंगेजमेंट) सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इस तरह के कार्यक्रम समाज में जागरूकता बढ़ाने में सहायक होंगे।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी में एक जन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन कम्युनिटी मेडिसिन की विभागाध्यक्ष डॉ. रेनु अग्रवाल व एनटीईपी कोर कमेटी के नोडल अफ़सर डॉ. संतोष कुमार द्वारा किया जिसमें टीबी के लक्षण एवं उपचार पर चर्चा की गई।
विश्व क्षय रोग दिवस पर विशाल जागरूकता रैली का आयोजन
स्कूल ऑफ़ नर्सिंग, एस.एन. मेडिकल कॉलेज, आगरा की प्रधानाचार्य के नेतृत्व में नर्सिंग की छात्राओं द्वारा क्षय रोग पर एक नुक्कड़ नाटक और जागरुकता रैली निकालकर भारत सरकार के “टीबी मुक्त भारत अभियान” के तहत टीबी उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया, जिसमें 250 मेडिकल छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
रैली का उद्देश्य लोगों को क्षय रोग (टीबी) के बारे में जागरूक करना और इसके रोकथाम और इलाज के प्रति लोगों को सजग बनाना । रैली में छात्र-छात्राओं ने टीबी के बारे में जानकारी देने वाले पोस्टर, बैनर और स्लोगन के साथ भाग लिया। उन्होंने लोगों को टीबी के लक्षणों, रोकथाम और इलाज के बारे में बताया और उन्हें इस बीमारी के के प्रति जागरूक किया।
डॉ संतोष कुमार ने बताया कि विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन उस महान वैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट कोच की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 24 मार्च 1882 को टीबी के बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की थी।
विश्व क्षय रोग दिवस की थीम ” यस वी केन एंड टीबी” है, जिसका अर्थ है कि अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो टीबी को हराया जा सकता है। इस थीम का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के खिलाफ जागरूक करना और उन्हें इसके उन्मूलन के लिए प्रेरित करना है । दिवस का उद्देश्य है लोगों को क्षय रोग (टीबी) के बारे में जागरूक करना और इसके रोकथाम और इलाज के प्रति लोगों को सजग बनाना । टीबी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर इलाज और सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है। इसके लिए नियमित दवा और देखभाल की जरूरत होती है।
प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर विशेष ओपीडी आयोजित करके 300 टीबी मरीजों को जांच और उपचार किया गया इसी दौरान जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया इसमें लोगों को टीबी के मरीज सहित तीमारदारों को भी क्षय रोग के बारे में जानकारी देते हुए काउंसलिंग की गई और भेदभाव स्टिग्मा के बारे में जानकारी देते हुए जागरूक किया।
यह भी बताया गया आगरा में सबसे अधिक टीबी के मरीज हैं जिससे यह दर्शाता है कि लोगों में क्षय रोग के प्रति जागरूकता स्तर बढा है। अब लोग टीबी छुपाते नहीं हैं, लक्षण होने पर तुरंत जांच और उपचार करते हैं।
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