सिनेमा साहित्य और संस्कृति ला सकती है दुनिया में सुख, शांति और समृद्धि
आगरा। दुनिया को विविध कलाओं ने सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाया है। परस्पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जो सिलसिला दुनिया में शुरू हुआ है, इससे विभिन्न देशों के नागरिक करीब आए हैं। भारत कला-संस्कृति के मामले में बेशक समृद्ध है, लेकिन अन्य देशों की कला-संस्कृति को भी अपना रहा है। कला-संस्कृति लोगों को तोड़ती नहीं हैं, जोड़ती हैं। यह कहना था प्रो. (डॉ.) चित्रलेखा सिंह का, जो मित्र सोसायटी द्वारा संयुक्त राष्ट्र दिवस पर होटल भावना क्लार्क इन में आयोजित मित्र महोत्सव-2025 को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने ग्लोब पर माल्यार्पण किया।
सेलिब्रिटी गेस्ट फेमिना मिस इंडिया वेस्ट बंगाल शिवांकिता दीक्षित थीं। अध्यक्षता मित्र सोसायटी के अध्यक्ष डॉक्टर महेश धाकड़ ने की। फिल्म टीवी एक्टर सत्यव्रत मुदगल और संस्कार भारती ब्रज प्रांत के महामंत्री नंद नंदन गर्ग का अभिनंदन विनीत बवानिया, अविनाश वर्मा ने किया।
कार्यक्रम में संस्कार भारती के नंद नंदन गर्ग ने कहा संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद ही दुनिया में छोटे देशों की मदद के लिए आगे आए। इससे पहले ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने बताया लोगों को लगता है कि कैलीग्राफी अरबी और फारसी से निकली है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह प्राकृत भाषा से निकली है। गर्व कीजिए आज सबसे अच्छी कैलीग्राफी भारत में हो रही है। दुनिया के जो देश को सूर्य को अपना देवता मानते हैं, उनके साथ भारत का आज सांस्कृतिक और सामाजिक आदान प्रदान हो रहा है।
आईआईएफटी के सेंटर डायरेक्टर विनीत बवानिया ने कहा दुनिया में जितने भी धर्म और संप्रदाय हैं उनमें से अधिकांश भारत से ही शुरू हुए हैं। हमारा देश शांतिप्रिय रहा है, इसीलिए किसी देश पर आक्रमण ही नहीं किया। लेकिन जब कोई आक्रमण हुआ तो करारा जवाब दिया। युद्ध में कोई नहीं जीतता, मानवता की हार ही होती है।
चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस ने कहा संयुक्त राष्ट्र संघ ने हर क्षेत्र में दुनिया को सहारा दिया है। अपराधों का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो रहा है, इसमें इंटरपोल की मदद से अपराधियों को पकड़ा जा रहा है। रंगकर्मी पार्थो सेन ने कहा भारतीय रंगमंच भरत मुनि के नाट्य शास्त्र से प्रेरित है लेकिन पश्चिमी देशों सहित अन्य देशों के रंगमंच से भी कुछ टेक्निक लेकर आधुनिक रंगमंच उभर कर आया है।
फिल्म निर्देशक अविनाश वर्मा ने कहा कि सिनेमा का वैश्वीकरण हो, लेकिन फिल्मों में हिंसा-सेक्स को जो पश्चिमी सिनेमा से होड़ में परोसा जा रहा है, उस पर रोक लगनी चाहिए। टोनी फास्टर ने कहा नृत्य में भी वैश्वीकरण हो रहा है, कई विदेशी नृत्य शैली भारत में लोकप्रिय हुई हैं, भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति विदेशों में आकर्षण है।
फिल्म क्रिएटिव डायरेक्टर रंजीत चौधरी, समाजसेवी डॉ. रामनरेश शर्मा, अवधेश उपाध्याय ने विचार व्यक्त किए। फिल्म एंड टेलीविजन एक्टर सत्यव्रत मुदगल ने अपनी एक फिल्म के बेहद लोकप्रिय और वायरल हुए संवाद को सुनाया। कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप कश्यप, चित्राक्ष शर्मा, अखिल पाराशर, कमल लोखंडवाला, नीरज अग्रवाल भी मौजूद थे। अंत में सबने युद्ध नहीं शांति की अपील की।
-up18News
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