आगरा: अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा, पाखंड और ढोंग के खिलाफ 15वीं-16वीं सदी में संत कबीर दास जितने प्रासंगिक थे, आज समाज को उनकी विचारधारा की उससे कहीं अधिक आवश्यकता है। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ग़ज़ल गायक सुधीर नारायण का, जो हाल ही में अमेरिका सहित कई अंग्रेज़ीभाषी देशों के दौरे से लौटे हैं।
सुधीर नारायण ने बताया कि इस बार विदेशों में श्रोताओं ने उनसे केवल ग़ज़ल और नज़्मों की ही नहीं, बल्कि कबीर दास जी की रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुतियों की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि दुनिया अब हिंसा और अविश्वास से थक चुकी है और कबीर के सत्य, प्रेम व मानवता के संदेश की ओर लौटना चाहती है।
विश्वभर में पहुँचा कबीर का दर्शन
सुधीर नारायण ने बताया कि इंटरनेट के माध्यम से कबीर दास जी का दर्शन विश्व के हर कोने में पहुँच चुका है। “अब लोग कबीर को जानते ही नहीं, बल्कि गहराई से समझने लगे हैं। साखी, सबद और रमैनी जैसी उनकी रचनात्मक विधाओं की जानकारी आज हर जगह है,” उन्होंने कहा।
आगरा में पहली प्रस्तुति
अमेरिका से लौटने के बाद सुधीर नारायण ने आगरा के सुधी श्रोताओं के बीच अपना पहला कार्यक्रम ‘ढाई आखर प्रेम का’ शीर्षक से क्वीन एम्प्रेस मेरी लाइब्रेरी में प्रस्तुत किया।
उन्होंने संत कबीर दास की कई प्रसिद्ध रचनाओं को सस्वर गाया, जिनमें शामिल थीं —
भला हुआ मेरी मटकी फूटी,
हमन है इश्क मस्ताना,
जरा धीरे-धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले,
मोको कहा ढूंढे रे बंदे,
चदरिया झीनी रे झीनी,
मोरी चुनरी में पर गयो दाग पिया,
बीते गए दिन भजन बिना रे,
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में आदि।
कार्यक्रम में उनके साथ खुशी सोनी, देश दीपक शर्मा, गिती सिंह, राधा तोमर, अमन शर्मा, अक्षय प्रताप, सुरेश, राज मैसी, राजू पांडेय, दिनेश श्रीवास्तव आदि कलाकारों ने सहयोग किया।
संस्कृति और साहित्य का संगम
कार्यक्रम का आयोजन अमृता विद्या – एजुकेशन फॉर इम्मोर्टैलिटी, पंकज स्कैनिंग एंड पैथोलॉजी और कुंदन सोप के सहयोग से किया गया। संस्था के सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि आगरा की साहित्यिक परंपरा समृद्ध रही है, और संस्था का प्रयास है कि नज़ीर अकबराबादी जैसी विरासत को आगे बढ़ाया जाए।
साहित्यकार डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने कबीर के रहस्यवाद पर विचार रखे, जबकि अरुण डांग ने कहा कि कबीर की सामाजिक चेतना आज भी उतनी ही प्रेरक है।
डेवलपमेंट काउंसिल फॉर फुटवियर एंड लेदर इंडस्ट्री के चेयरमैन पूरन डावर ने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों से समाज में आध्यात्मिकता और संवेदना का संचार होता है।
मुख्य अतिथि का संबोधन
मुख्य अतिथि आयुक्त पुलिस दीपक कुमार ने कहा कि कबीर दास जी की बेबाक अभिव्यक्ति और निष्पक्ष दृष्टिकोण उन्हें विशिष्ट बनाते हैं। अपर जिलाधिकारी (नगर) यमुनाधर चौहान ने कहा कि कबीर की रचनाएँ आज भी समाज को दिशा देने का काम करती हैं।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती श्रुति सिन्हा ने किया। समापन पर हरविजय सिंह बाहिया और पूरन डावर ने कलाकारों को सम्मानित किया, जबकि राजीव सक्सेना ने अतिथियों का आभार जताया।
क्वीन एम्प्रेस मेरी लाइब्रेरी का इतिहास
सदर बाजार स्थित क्वीन एम्प्रेस मेरी लाइब्रेरी का निर्माण 1905 में महारानी विक्टोरिया की पुत्रवधू क्वीन मौरी की आगरा यात्रा की स्मृति में किया गया था। बौद्धिक रुचि रखने वाली क्वीन मौरी ने अपने निजी संग्रह की कई पुस्तकें भी इस लाइब्रेरी को भेंट की थीं।
कार्यक्रम में शहर की कई साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियाँ उपस्थित रहीं, जिनमें रेणुका डांग, अशोक चौबे, डॉ. मधु भारद्वाज, पूरन डावर, डॉ. महेश शर्मा, आनंद राय, डॉ. विनोद महेश्वरी, नीलम पाटनी, ग्रुप कैप्टन जयपाल सिंह चौहान सहित अन्य प्रमुख लोग शामिल थे।
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