आगरा: उत्तर प्रदेश पुलिस का अपराधियों में बेशक खौफ और आतंक हो, लेकिन यही उत्तर प्रदेश पुलिस आप पीड़ितों के लिए काल बनती दिखाई दे रही है। आगरा के बरहन थाना क्षेत्र के गांव रूपधनु के रहने वाले दो भाई पुलिस के उत्पीड़न से तंग आकर मौत को चूमते दिखाई दिए। सोमवार को जहां छोटे भाई संजय ने गांव के बाहर खेत में पेड़ से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी वहीं सोमवार को बड़े भाई प्रमोद ने भी उत्तर प्रदेश पुलिस की प्रताडना से तंग आकर आत्महत्या को मजबूर होना पड़ा है।
शनिवार को जहां छोटे भाई ने सादाबाद पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर गांव के बाहर खेत में एक पेड़ पर लटक कर जीवन लीला समाप्त की थी, वहीं जब आगरा पुलिस कमिश्नरी की थाना बरहन पुलिस ने पीड़ित की प्राथमिकी दर्ज नहीं की तो मजबूर होकर बड़े भाई प्रमोद ने भी पेड़ पर लटक कर मौत को चूम लिया। उत्तर प्रदेश पुलिस रक्षक नहीं बल्कि भक्षक बनती दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। तीन दिन के अंदर दो भाइयों की मौत से गांव में कोहराम मचा हुआ है। ग्रामीणों में आगरा पुलिस और हाथरस पुलिस को लेकर बड़ा आक्रोश पनपता दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि सादाबाद थाने के दारोगा हरिओम अग्निहोत्री पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर आत्महत्या के लिए ठहराया जिम्मेदार था। बरहन थाने में तहरीर देने के बाद भी मुकदमा नहीं लिखा गया था।
सोमवार की दोपहर बड़े भाई प्रमोद ने भी आत्महत्या कर ली। गांव के बाहर मंदिर के पास प्रमोद का शव भी पेड़ से लटका मिला। परिजनों ने पुलिस कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। तीन दिन में दो भाइयों की मौत के बाद दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, वहीं ग्रामीण भी भारी आक्रोश में दिखाई दे रहे हैं।
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