आगरा। शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सेक्टर 7 आवास विकास कालोनी सिकंदरा में पर्युषण महापर्व के मौके पर आज उत्तम त्याग धर्म के दिन उपरांत सामूहिक आरती और संगीत मय पूजन किया गया। विधि विधान की क्रिया शुभम जैन शास्त्री मथुरा द्वारा कराई गई। सर्व प्रथम मूल नायक भगवान श्री शांतिनाथ जी का अभिषेक 4 महानुभावों द्वारा स्वर्ण कलश से किया गया।
पंडित शुभम जैन शास्त्री जी ने बताया कि क्या मुनि भी दान करते हैं या दान कर सकते हैं ? क्योंकि उनके पास एक फूटी कोड़ी भी नहीं होती, तो वह किसी को क्या कुछ देेंगे। लेकिन मुनिराज भी दान कर सकते हैं और किया भी करते हैं। उनका दान गृहस्थों के दान से भी अधिक महत्वपूर्ण होता है। मुनिवर सब जीवों को अभयदान देते हैं क्योंकि वे परम करुणामय अहिंसा महाव्रत के धारी होते हैं। दिन रात, उठते-बैठते, सोते जागते बहुत सावधानी से छोटे बड़े, स्थावर जीवों की रक्षा में तत्पर रहते हैं। यदि उनको कोई मारे या गाली दे, अपमान करे तो भी न तो किसी को दुर्वचन कहते हैं, न शाप देते हैं और न कुछ अपने मन में उसके लिये बुरा विचार रखते हैं। इसी कारण उनकी शांति और अहिंसा का प्रभाव उनके निकटवर्ती पशु पक्षियों के ऊपर भी ऐसा पड़ता है कि वे भी अपनी हिंसक वृत्ति छोड़ देते हैं।
श्रेणिक राजा जब बौद्ध धर्मी था तब उसने ध्यान मग्न यशोधर मुनि को मार डालने के लिये अपने शिकारी कुत्ते छोड़ दिये थे। परन्तु परम शांत, यशोधर मुनि के पास पहुँच कुत्ते शांति होकर उनके चारों ओर बैठ गये। इस प्रकार मुनिराज अपने पास आये हुये जीवों की रक्षा करते हुए उनको अभयदान देते हैं। हिंसकों को अहिंसक बनाकर जीवों की रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं, वह इस तरह वे सबको अभयदान करते हैं। तथा-अपने पास आने वाले प्रत्येक स्त्री-पुरुष को आत्मा, अनात्मा, परमात्मा, बंध मोक्ष का, पुण्य पाप का ज्ञान कराते हैं, सुगति दुर्गति जाने का बोध कराते हैं, भक्ष्य अभक्ष्य का भेद समझाते हैं। सबको दान करते रहते हैं।
आज सखी बहु मण्डल द्वारा धार्मिक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में चंदनबाला बनकर सभी का मन मोह लिया तो किसी ने त्रिशला माता की भूमिका निभाई और कोई मैना सुंदरी का किरदार निभाकर खुश हुआ। वहीं किसी ने कर्म राजा बनकर तालियां बटोरी। अवसर था जैन समाज के पर्यूषण पर्व के प्रथम दिवस आयोजित बच्चों की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का, जिसमें नन्हें-मुन्नों ने अलग-अलग प्रेरक सामाजिक चरित्रों के जीवंत पात्र बनकर प्रस्तुतियां दी। जिसमें बच्चों ने सांवलिया पाश्र्वनाथ, सती सीता, चंदनबाला, गिरनार पर्वत, त्रिशला माता, कर्म राजा, मैना सुंदरी, श्रीपाल महाराजा, बाल साध्वी, पूजा की थाली, जैन प्रतीक चिंह का रूप धारण कर अपनी प्रभावी प्रस्तुतियां दी। जिस पर उपस्थितजनों ने तालियां बजाकर उत्साह वर्धन किया। निर्णायकों की ओर से बेहतर प्रस्तुतियों के आधार पर बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।
श्री शांतिनाथ मंदिर प्रबंध कमेटी के राजेश बैनाड़ा, विजय जैन निमोरब, मगन कुमार जैन, महेश चंद जैन, अनिल आदर्श जैन, अरुण जैन, राजेंद्र जैन, सतीश जैन, राकेश जैन पेंट, मनोज जैन, जितेश जैन, वैभव जैन, राकेश जैन, मोहित जैन, आलोक जैन, विपुल जैन, प्रशांत जैन, दीपक बैनाड़ा,अनन्त जैन, विपिन जैन मीडिया प्रभारी राहुल जैन आदि थे।
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