आगरा। गुजरात के अहमदाबाद में हुए भयावह प्लेन क्रैश ने आगरा जिले के अकोला गांव से जुड़ी एक जोड़े की खुशहाल ज़िंदगी को हमेशा के लिए खामोश कर दिया। इस हादसे में गांव के निवासी नीरज लवानिया और उनकी पत्नी अपर्णा लवानिया की दुखद मृत्यु हो गई। यह खबर जब गांव पहुंची तो हर चेहरा शोक में डूब गया और घर-घर मातम छा गया।
नीरज लवानिया बड़ोदरा में एक निजी कंपनी में कार्यरत थे। वह अपनी पत्नी अपर्णा के साथ कुछ दिन की विदेश यात्रा पर इसी प्लेन से लंदन जा रहे थे, लेकिन यह यात्रा पूरी होने से पहले ही मौत का साया उन पर मंडरा गया। प्लेन ने जैसे ही उड़ान भरी, कुछ ही मिनटों में वह हादसे का शिकार हो गया और यह यात्रा इस दंपत्ति के जीवन की अंतिम यात्रा बन गई।
आठ माह पहले आए थे गांव
नीरज लवानिया आठ महीने पहले अपने पिता महावीर प्रसाद लवानिया की तेरहवीं संस्कार में अकोला आए थे। उनके पिता शिक्षक रहे थे और रिटायरमेंट के बाद गांव में ही रहते थे। नीरज के छोटे भाई सतीश लवानिया खेती-बाड़ी संभालते हैं और इस घटना के बाद से परिवार गहरे सदमे में है।
मित्र से हुआ था आखिरी संवाद
हादसे से तीन दिन पहले नीरज की गांव के नजदीकी मित्र अरविंद चाहर से फोन पर बात हुई थी। अरविंद ने नीरज को गांव आने का निमंत्रण दिया तो नीरज ने हंसते हुए कहा था- फुर्सत नहीं मिलती भाई, लंदन से लौटकर आता हूँ…। लेकिन नियति ने उन्हें लौटने ही नहीं दिया।
“अभी कुछ दिन पहले ही आए थे गांव” — परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
नीरज और अपर्णा कुछ ही हफ्ते पहले अपने माता-पिता से मिलने गांव अकोला आए थे। परिजनों ने बताया कि नीरज ने कहा था:
“अबकी बार अपर्णा को विदेश घुमा लाऊँगा।”
गांव के बुजुर्गों, रिश्तेदारों और दोस्तों की आंखें इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहीं कि हँसता-खेलता जोड़ा अब कभी वापस नहीं आएगा।
गांव में पसरा मातम, हर आंख नम
दंपति की मौत की खबर जैसे ही अकोला पहुंची, पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। पंचायत भवन पर शोकसभा का आयोजन किया गया और ग्रामीणों ने मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि दी।
स्थानीय प्रधान ने कहा:
“यह सिर्फ़ नीरज के परिवार की नहीं, पूरे अकोला गांव की क्षति है।”
टूर के सपनों से ताबूत की वापसी तक
दोनों की विदेश यात्रा के लिए तमाम तैयारियां की गई थीं। टिकटें, कपड़े, ट्रैवल बैग — सब कुछ तैयार था।
अब सिर्फ़ तिरंगे में लिपटे शवों के लौटने का इंतज़ार है।
दोनों की मौत की सूचना के बाद अकोला गांव में कोहराम मच गया। नीरज और अपर्णा की जोड़ी गांव में सादगी और सौम्यता की मिसाल मानी जाती थी। उनके इस तरह अचानक चले जाने से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे गांव ने दो उजले चेहरे खो दिए हैं।
गांव के बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक, सभी स्तब्ध हैं। हर किसी की आंखें नम हैं और दिल यही कह रहा है, काश यह सपना टूटने से पहले कोई जाग जाता।
लवानिया दंपति के निधन की सूचना मिलते ही सांसद राजकुमार चाहर अकोला में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच गये थे।
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