आगरा आंबेडकर विश्वविद्यालय विवाद: अरुण दीक्षित के आरोपों को कुलपति ने किया खारिज, कहा- सार्वजनिक माफी मांगे नही तो कोर्ट में होगी मुलाकात

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आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी ने अधिवक्ता अरुण दीक्षित के कमीशन मांगने के आरोपों को अनर्गल और मिथ्या करार देते हुए तत्काल सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है।

उन्होंने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यदि अधिवक्ता साजिशन विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारियों और कुलपति को बदनाम करना बंद नहीं करेंगे तो विश्वविद्यालय प्रशासन उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने को बाध्य होगा। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय जिसे 76.64 लाख रुपये का भुगतान कर सकता है उसका सिर्फ 2.74 लाख रुपये का भुगतान क्यों रोकेगा।

कुलपति ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय अधिवक्ता पैनल के निवर्तमान सदस्य अरुण दीक्षित सालों पुराने बिल पास करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर निरंतर दवाब बना रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके दावों की जांच के लिए समिति गठित कर दी तो वह बौखला गए और राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर उच्चाधिकारियों को फर्जी शिकायतें कर विवि प्रशासन पर कमीशनखोरी के आरोप जड़ दिए। उन्होंने कहा कि यह हद थी जब उन्होंने शनिवार को पत्रकार वार्ता कर मुझ पर (कुलपति) एवं अन्य पर बिलों के भुगतान के लिए कमीशन मांगने का आरोप लगा दिया।

कुलपति ने कहा कि इनके आरोप पूरी तरह मनगढ़ंत और फर्जी हैं। दरअसल जिन बिलों के भुगतान के लिए अधिवक्ता विश्वविद्यालय पर दवाब बना रहे हैं वे वर्तमान कुलपति के कार्यकाल के नहीं हैं।

प्रो. आशु रानी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अधिवक्ता अरुण दीक्षित के द्वारा उच्च न्यायालय के वादों से संबंधित बिल दिए जाने के बाद उन मुकदमों से जुड़े आदेशों की प्रति एवं कृत कार्यवाही का रिकॉर्ड मांगा था, जिसे आज दिनांक तक उनके द्वारा नहीं दिया गया। उल्टा, मौखिक आदेश पर कार्य किए जाने की बात कह वह किसी तरह के दस्तावेज उपलब्ध कराने से पल्ला झाड़ते रहे। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह उन मामलों की गहनता से जांच करे तभी भुगतान के लिए सत्यापित किया जाए।

कुलपति ने कहा कि अधिवक्ता जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं उल्टा विवि के कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर मिथ्या आरोप लगा विवि की छवि और कर्मचारियों की कर्तव्य निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं जो गलत है।

उन्होंने कहा कि राजभवन के अपर मुख्य सचिव के द्वारा ली गई समीक्षा बैठक को बहुत ही अमर्यादित और असम्मानजनक रूप से अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत करना शर्मनाक है।

कुलपति प्रो. आशु रानी ने विश्वविद्यलाय के पूर्व छात्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यलाय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है, किन्तु कुछ लोगों के निजी स्वार्थों की पूर्ति के कारण न सिर्फ विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा धूमिल हुई, बल्कि हितधारकों की विश्वसनीयता भी कमजोर पड़ी। ढ़ाई साल से ज्यादा के कार्यकाल में हर दिन विश्वविद्यालय के मान और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी है और हर दिन विवि की साख को मजबूत करने का प्रयास किया है ।

उन्होंने कहा कि यदि अब फर्जी आरोप लगाकर कोई भी उनकी ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा पर गलत आरोप लगाएगा तो यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे आरोपों का विधिसम्मत जवाब दिया जाएगा। अधिवक्ता अरुण दीक्षित ने उन पर और विवि प्रशासन पर जो आरोप लगाएं हैं वे पूर्णतः मिथ्या तथा तथ्यहीन हैं, जिससे विश्वविद्यालय की साख को आघात पहुंचा है। इसके लिए वह जल्द से जल्द सार्वजनिक रूप से मांफी मांगें या फिर विधिक कार्यवाही के लिए तैयार रहें।

कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा अधिवक्ता अरुण दीक्षित विश्वविद्यालय एवं इसके अधिकारियों तथा कर्मचारियों ही नहीं, राजभवन तथा राजभवन के अधिकारियों तक पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां यह भी स्पष्ट किया जाना समीचीन होगा कि उक्त अधिवक्ता को विश्वविद्यालय की आंतरिक अनुशासनात्मक प्रक्रिया के तहत गंभीर कदाचार एवं अनुशासनहीनता के कारण निष्कासित किया गया। विश्वविद्यालय द्वारा यह निर्णय सभी नियमों, प्रक्रियाओं का पालन करते हुए तथ्यों के आधार पर लिया गया है।

उन्होंने कहा कि संबंधित अधिवक्ता को विश्वविद्यालय से पूर्व में भी निष्कासित किया जा चुका है। यह अत्यंत ही खेद का विषय है कि उक्त अधिवक्ता भाषा की मर्यादा को भूलकर किसी भी सम्मानित व्यक्ति, पद तथा संस्थान को कुछ भी अनाप-सनाप बोल रहे हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh