देश में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के अंतर्गत जीएसटी लागू एवं प्रभावी हुए 5 वर्ष पूर्ण हो गये हैं। 5 वर्ष पूर्ण होने वाले वर्ष के जून माह के अंतिम सप्ताह में चंडीगढ़ में आयोजित दो दिवसीय बैठक में कुछ निर्णय लिए गये। जीएसटी परिषद ने राजस्वहित में अधिक टैक्स वसूली को लक्ष्य बनाकर निर्णय लेने में संकोच नहीं किया। हम यह भी कहना चाहते हैं कि जीएसटी परिषद जीएसटी में व्यावहारिकता लाने की ओर ध्यान नहीं दे पा रही। जैसे हम हमेशा अपने लेखों एवं संपादकीय में लिखते आ रहे हैं कि जीएसटी को अधिक व्यावहारिक और सुगम बनाने के लिए कुछ ऐसे निर्णय लेने ,होंगे जिससे जीएसटी टैक्स प्रणाली करदाताओं के बीच लोकप्रिय बने और आम करदाता स्वयं को पंजीकृत कराने की ओर आकर्षित हों। जब पंजीकृत करदाताओं की संख्या में जनसंख्या के साक्षेप में बहुत कम है। उल्लेखनीय है कि यदि अपेक्षित वृद्धि होगी तो देश को अप्रत्यक्ष कर के रुप में टैक्स तो मिलेगा, देश की जीडीपी तो बढ़ेगी, उद्योग व्यापार बढ़ेगा तो वास्तव में रोजगार बढ़ेगा।
दो दिवसीय बैठक में लिये गये निर्णय, जिसमें टैक्स रेट बढ़ाना प्रमुख बिन्दु रहे, के बारे में कह सकते हैं कि सरकार राजस्व बढ़ाना तो चाहती है लेकिन जीएसटी को कैसे सुगम बनाने की ओर ध्यान नहीं दे पा रही है। साथ ही उन बिन्दुओं पर भी ध्यान नहीं दे रही है जिनसे छोटे एवं बड़े करदाता राहत का अनुभव कर सके और स्वतः संग्रह बढ़ सके।
जीएसटी नियमावली 21ए में संशोधन का प्रस्तावित करने का निर्णय लिया गया है। जिसमें यह व्यवस्था दर्शा रही है कि जिन व्यापारियों का रिटर्न फाइल न करने के कारण पंजीयन निरस्त कर दिये गये थे, यदि वह अपने सभी लम्बित रिटर्नस् फाइल कर देते हैं तो पोर्टल उस पंजीयन को स्वतः रिवोकेशन कर देगा। उल्लेखनीय है कि हमारी संस्था नेशनल फोरम द्वारा इस प्रकार की मांग उठाई गई थी।
जीएसटी लागू होने के बाद जब मासिक रिटर्न आर-3बी को दाखिल करते हैं तो टैक्स प्रोफेशनल्स से कुछ न कुछ गलती हो जाती थी, लेकिन उसको सुधार की कोई व्यवस्था जीएसटीएन में नहीं थी, जिसके सम्बन्ध में हमारी संस्था ने आर-3बी को रिवाईज करने की मांग की जाती रही, परिषद ने प्रस्ताव स्वीकार करते हुए कहा कि इस पर जनता से विचार मांगे जाएंगे अतः सभी व्यापारिक संगठनों को तैयार रहना चाहिए और तर्कपूर्वक रिवाईज करने की मांग उठानी चाहिए।
अन्य संस्तुति में सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 और 55 के तहत आवेदक द्वारा रिफंड का दावा दाखिल करने के साथ-साथ धारा 73 के तहत गलत रिफंड के संबंध में मांग/आदेश उचित अधिकारी द्वारा जारी करने के लिए सीमा अवधि की गणना से 01.03.2020 से 28.02.2022 तक की समयावधि को शामिल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए धारा 73 के तहत वार्षिक रिटर्न की देय तिथि से जुड़ी अन्य मांगों के सम्बन्ध में आदेश जारी करने की सीमा 30 सितंबर, 2023 तक बढ़ा दी गई है। राहत मिल सकती है।
वर्तमान में जो व्यापारी, जीएसटी में अपना पंजीयन कराना चाहता है उसको पंजीयन लेने में विभागीय आपत्तियों का सामना करना पड़ता है, जिसके बारे में हमारे द्वारा लगातार विरोध व्यक्त किया जा रहा था, अतः परिषद ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए पंजीयन प्रार्थी को वैरिफिकेशन के नयी व्यवस्था लाने की बात कही गयी है। इसके लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया जाएगा, उनकी संस्तुति पर ही निर्णय लिया जाएगा।
हम यह स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि इस बैठक की छोटे करदाताओं को बहुत प्रतीक्षा थी कि छोटे व्यापारियों हेतु वार्षिक रिटर्न जी एसटीआर-4 पर राहत प्रदान करने का निर्णय लिया जाएगा। बैठक में केवल इतना ही निर्णय लिया कि वर्ष 2021-22 का वार्षिक रिटर्न, जिसकी बजट 22 द्वारा अंतिम तिथि 30 अप्रैल 22 निर्धारित कर दी गई थी, उसको बढ़ाकर 28 जुलाई 22 कर दी गई। जबकि छोटे व्यापारी, जिनका वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के रिटर्न अपलोड करने थे, और जिन पर दस हजार रुपये की पेनल्टी लग रही है, पर कोई राहत नहीं दी गई। हां, दोनों वर्षो के रिटर्न पर जो नेगेटिव लायबिल्टीज दिखाई दे रही है, जीएसटीएन से इस गलती को सुधारने को कहा जाएगा, अतः आशा की जानी चाहिए कि नेगेटिव लायबिल्टीज शीघ्र राहत मिलेगी।
होटल जिनका किराया एक हजार रुपये या इससे कम टैरिफ है, पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी देयता होगी, का निर्णय अव्यावहारिक ही कहा जाएगा। क्योंकि विचारणीय बिन्दु है, इस निर्णय से छोटे होटल और व्यापारिक पयर्टक प्रभावित होंगे, ध्यान रखना होगा कि 2020 एवं 2021 से अभी तक होटल उद्योग बुरी प्रभावित ही रहे हैं और फिर जो पयर्टक एक हजार से कम से टैरिफ में रुकते हैं वह पयर्टक की श्रेणी में नहीं आते बल्कि इनमें ‘व्यापारिक प्रतिनिधिओं’ की संख्या अधिक होती है। यह निर्णय कर चोरी को प्रोत्साहित करेगा, अतः पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर-9 एवं 9ए को दाखिल करने की छूट प्रदान की गई कि 2 करोड़ तक आवर्त वाले करदाता यदि चाहे तो दाखिल कर सकते हैं लेकिन आर-9ए, जो कि कम्पोजिशन व्यापारियों के लिए है, के लिए भी छूट दी है परन्तु प्रश्न उठता है कि कम्पोजिशन व्यापारियों की टर्नओवर सीमा 1.5 करोड़ है तो 2 करोड़ की छूट पर क्यों, दूसरा प्रश्न कि कम्पोजिशन व्यापारियों के लिए वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर-4 लागू कर दिया गया है तो आर-9ए क्यों?
परिषद ने जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन के संबंध में राज्यों द्वारा उठाई गई विभिन्न चिंताओं को दूर करने और सीजीएसटी अधिनियम में उचित संशोधन के लिए सिफारिशें करने के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन करने का निर्णय लिया है। क्योंकि ट्रिब्यूनल का गठन न होने के कारण करदाता को न्याय नहीं मिल पा रहा था। यह निर्णय स्वागतयोग्य है।
हमारा सुझाव है कि मंत्रियों के समूह के स्थान पर व्यापारिक संगठनों का एक समूह का गठन किया जाना चाहिए, क्योंकि व्यापारी अधिक प्रभावी होगा, क्योंकि अधिक अनुभवी भी, अतः ऐसा समूह अधिक सार्थक संस्तुति कर सकेगा।
पराग सिंहल, आगरा
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