आगरा जर्नलिस्ट क्लब की ‘स्वतंत्रता आदोलन में पत्रकारों का योगदान’ विषयक संगोष्ठी
गांधी जी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और अखबार ने प्रकाशित किया तो पूरे देश ने जाना
पत्रकारों की विशेषता बताते हुए कहा- जो संवेदनशील नहीं हैं, कृपया पत्रकारिता न करें
केन्द्रीय मंत्री के साथ संस्कृति भवन से शहीद स्मारक तक तिरंगा बाइक रैली निकाली
Agra, Uttar Pradesh, India. ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत रविवार को आगरा जर्नलिस्ट क्लब ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया। डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में आयोजित संगोष्ठी का विषय था- ‘स्वतंत्रता आदोलन में पत्रकारों का योगदान’। मुख्य अतिथि भारत सरकार में न्याय एवं विधि राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि मौजूदा दौर में मीडिया की प्रतिबद्धताएं बदल गई हैं, ऐसे माहौल में स्वाधीनता आन्दोलन के दौर की पत्रकारिता न सिर्फ हमें गहरे सरोकारों से जोड़ती है, बल्कि उस कर्तव्यपथ की भी याद दिलाती है, जिसे हम बिसरा चुके हैं। इससे पहले संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। संगोष्ठी के बाद पत्रकारों ने तिरंगा बाइक रैली निकाली। प्रो. एसपी सिंह बघेल पत्रकारों की बाइक पर बैठक तिरंगा लेकर शहीद स्मारक तक गए।
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि स्वतंत्रता के दौर में पत्रकार वैचारिक रूप से समृद्धशाली थे। ब्रितानिया हुकूमत में सूरज नहीं डूबता था, उसके खिलाफ पत्रकारिता की। यह जानते हुए भी विषम परिस्थितियों में पत्रकारिता की कि पद्मश्री नहीं मिलनी है। आज तो बहुत ग्लैमरस है पत्रकारिता। तब पैसे का महत्व नहीं था। सुविधाओं के नाम पर एक पंखे के नीचे तीन पत्रकार बैठते थे। गर्मी बहुत होती थी। उन्होंने कहा कि दूसरे खंबों में घुन लगता है तो मीडिया वाला खंबा इंगित करता है। आपकी एक खबर पर न्याय मिलता है। ब्रेकिंग न्यूज पूरे देश में जाती है। मीडिया ट्रायल इतना हो जाता है कि पुलिस को चार्जशीट लगानी पड़ती है। जब मीडिया के हाथ में अपराधी आता है तो सरकारों को निर्णय लेना पड़ता है। प्रथम सूचना पत्रकारों की होती है। एलआईयू वाले तो अखबार पढ़कर अगले दिन जानकारी भेजते हैं। एलआईयू के पास स्टाफ कम है, आपके पास स्टाफ अधिक है।
प्रो. बघेल ने कहा कि 1857 में आजादी की लड़ाई शुरू हुई और पाने में 90 साल लग गए। भले ही असफल हो गए लेकिन बीज 1857 में बोया गया था। गांधी जी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और अखबार ने प्रकाशित किया तो पूरे देश ने जाना। भगत सिंह का विचार पत्रकारिता के माध्यम से आम जनता तक पहुंचा कि हम आजादी क्यों चाहते हैं। बरहन से तीन किलोमीटर दूर यादव गढ़ है। वहां के वीरों ने सफाई का काम करके आगरा किला में यूनियन जैक के स्थान पर तिरंगा फहराया था। यह घटना कितने लोगों को मालूम है। रामबारात निकल रही थी तो रोशनलाल गुप्त करुणेश ने कलक्टर पर बम फेंक दिया।
प्रो. बघेल ने अपना अनुभव सुनाते हुए बताया कि हम अपना समाचार खुद ही लिखते थे। 29 जुलाई, 1993 की पहली प्रेस वार्ता में फोटो खिंचवाने के लिए खादी भंडार से काली जैकेट उधार ली थी। फोटोग्राफर नहीं था। खुद ही फोटो खींचकर देनी होती थी। आज वर्क फ्रॉम हो गया है।
उन्होंने कहा- ‘अपना नाम बताओ और आज क्या हो रहा था’, यह कहने वाले लम्बे समय तक पत्रकारिता नहीं कर सकते हैं। आप कर्यक्रम की कमेंट्री करें, यह आपकी बौद्धिकता का परिचायक है। जो फिट नहीं होगा, वह सर्वाइवल नहीं कर पाएगा। पत्रकार थोड़ा साइको, (क्रेक कहना ठीक नहीं है), संवेदनशील होता है। पत्रकार को भ्रष्टाचार, बेईमानी, असमानता, शोषण देखकर गुस्सा आता है। जो संवेदनशील नहीं हैं, कृपया पत्रकारिता न करें।
प्रो. बघेल ने यह भी कहा कि महाभारत युद्ध का लाइव प्रसारण था, भारद्वाज ऋषि ने वायुयान बनाया, कर्ण के पास बुलेट प्रूफ जैकेट थी, अग्निबाण ही मिसाइल था, प्रह्लाद की बुआ पर फायर प्रूफ जैकेट थे, कंस को वायरलेस से सूचना दी गई थी कि देवका का पुत्र मारेगा। जब नालंदा विवि जल रहा था तब ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की नींव रखी गई थी। हम पहले विश्व गुरु थे और आज भी हैं।
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में आगरा के पत्रकारों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि 1852 में मुंशी सदासुखलाल ने साप्ताहिक पत्र बुद्धि प्रकाश निकाला, उसकी भाषा परिष्कृत खड़ी बोली थी। 1855 में ही शिवनारायण ने सर्वहितकारक पत्र, पं. वंशीधर ने हिन्दी-ऊर्दू का पत्र भारत खंडामृत, राजा लक्ष्मण सिंह ने अभिज्ञान शाकुन्तल आदि अनेकों पत्र-पत्रिकाएं आगरा से प्रकाशित हुई। प्रो. बघेल ने कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ने वाले महान क्रांतिकारियों के योगदान इसलिए सफल हुए, क्योंकि उस दौर में राष्ट्रभक्त पत्रकारों व पत्रों की लंबी श्रृंखला थी। उन्होंने कहा आज भी जब समाज में कोई विकृति आती है, उसे दूर करने का कार्य पत्रकार अपनी कलम के माध्यम से करता है।
संगोष्ठी की भूमिका स्वदेश के स्थानीय संपादक मधुकर चतुर्वेदी ने रखी। संगोष्ठी की अध्यक्षता विवि के पर्यटन संकाय के निदेशक प्रो. लवकुश मिश्रा ने की। संगोष्ठी को वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्त, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक-संपादक डॉ. भानुप्रताप सिंह, डॉ. महेश धाकड़ ने भी संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत पत्रकार एसपी सिंह दीपक राठौर, रमाकांत ने किया। धन्यवाद पत्रकार वीरेंद्र चैधरी व संचालन पत्रकार डॉ. सज्जन सागर ने किया। डॉ. भानु प्रताप सिंह, वीरेन्द्र चौधरी, मनमोहन सिंह ने देशभक्ति के गीत सुनाए।
संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आगरा विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी, वरिष्ठ भाजपा नेता दिगंबर सिंह धाकरे, वरिष्ठ भाजपा नेता गौरव शर्मा, भाजपा महानगर मंत्री नवीन गौतम, पत्रकारों में विवेक जैन, शरद गुप्ता, शशि शर्मा, जफर खान, यतीश लवानियां, नागेंद्र त्यागी, मानवेंद्र मल्होत्रा, हर्षदत्त शर्मा, आचार्य शिशुपाल, अनुपम पांडे, फारुख खान, आरबी तोमर, अर्जुन सिंह, प्रवीन संदीप श्रीवास्तव, नरेंद्र बुलबुल, राजीव कुलश्रेष्ठ, राहुल राजपूत, गीता, सत्यवीर सिंह, विशाल, गौरव मुदगल आदि उपस्थित रहे।
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