conference at brahma kumaris ashram abu road

अनिश्चितताओं का मुकाबला कैसे करें, ब्रह्माकुमारीज संस्थान में देशभर के साइंटिस्ट, इंजीनियर और ऑर्किटेक्ट कर रहे मंथन

RELIGION/ CULTURE

हमारी परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार हैं हमारे विचार: आरके विश्नोई

Abu Road, Rajasthan, India. ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साइंटिस्ट, इंजीनियरिंग एवं ऑर्किटेक्ट विंग की ओर से चार दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस कम मेडिटेशन रिट्रीट का आयोजन मनमोहिनीवन परिसर में किया जा रहा है। अनिश्चितताओं का मुकाबला विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस के शुभारंभ पर मुख्य अतिथि के रूप में ऋषिकेश से पधारे टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं एमडी आरके विश्नोई ने कहा कि परिस्थितियां हमारी स्थिति पर निर्भर करती हैं। हमारी सभी परिस्थितियों के लिए सबसे ज्यादा हमारे विचार जिम्मेवार हैं। हमारा पहनावा यह तय नहीं करता कि अभी हम अच्छे या कितने बुरे हैं। परिस्थिति में हमारी मन की स्थिति है तय करती है कि हम कितने वर्तमान समय ठीक हैं या गलत हैं। आध्यात्मिकता और प्रोफेशन हमारे जीवन की कड़ी हैं। मेरे जीवन में आध्यात्मिकता के समावेश विचार क्रांति आई और जीवन सरल और सहज बन गया।

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ऑलमाइटी ने हमें ज्ञान बांटने के लिए भेजा
काठमांडू नेपाल से पधारे डॉ. गोविंद पोखरेल ने कहा कि हम इस सृष्टि में अकेले हैं जो हमारे जैसा और दूसरा कोई नहीं है। हम जब इस धरती पर पैदा हुए तब ऑलमाइटी ने हमें दो कारणों से धरती पर भेजा एक ज्ञान बांटने के लिए, दूसरा एनर्जी लेनदेन के लिए। हम सभी इस सृष्टि के एक अजूबा ही हैं। एक-दूसरे से बिल्कुल भी अलग-अलग हैं।

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की घटना के समय वहीं था
यूएसए से आए इंजीनियर रामप्रकाश ने कहा कि हम ज्यादातर बात करते हैं अनिश्चितता की और फिर ज्यादा डर का माहौल होता है। जहां अनिश्चितता है वहीं विश्वास काम आता है। जहां डर है वहीं हिम्मत काम आती है। जब अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ तब मैं उसमें था। पांच मिनट पहले सब कुछ बर्बाद हो गया। सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए व्याकुल थे, लेकिन मैं दूसरों को बचाने के लिए दो कदम पीछे जाता था। लोगों ने हमें कहा- राम तुम फरिश्ते हो। जब हम सिर्फ अपनी फिक्र करते हैं, तब हमें डर लगता है। जब हम दूसरों को बचाने लगते हैं तो फिर अपना डर भूल जाता है।

 

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भूकंप को झूला समझकर किया एंजॉय
नेपाल के जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व डायरेक्टर जनरल बिनोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि 2015 में नेपाल में बड़ा भूकंप आया था। उस समय मैं पांचवें फ्लोर के तले में था। उस भूकंप से मैं इतना डरा हुआ था कि 3 दिन तक गाड़ी में ही रात गुजारी। महीनों तक हमारे बेड में लगता था कि भूकंप जारी है। बाद में फिर मैंने ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर जाकर सात दिन का राजयोग मेडिटेशन कोर्स किया। आध्यात्मिक ज्ञान, सृष्टि चक्र के ज्ञान और ड्रॉमा का सच्चा ज्ञान मिलने के बाद जीवन में फिर कोई आपदा आई तो मन बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ। इसके बाद कई भूकंप आए लेकिन मैंने उसको धरती मां का झूला समझ कर एंजॉय किया।

अध्यात्म मतलब प्रैक्टिकल जीवन में ज्ञान को अप्लाई करना
विंग के अध्यक्ष राजयोगी मोहन सिंघल ने कहा कि आप सभी यहां चार दिन तक यहां के पवित्र वातावरण का और जो ज्ञान मिलेगा उसका अपने जीवन में एप्लाई करेंगे तो वैचारिक स्तर पर बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। राजयोग ज्ञान सिर्फ पढऩे या सुनने के लिए नहीं है, इसे प्रैक्टिकल जीवन में एप्लाई करना होता है। विंग के नेशनल को-ऑर्डिनेटर भारत भूषण भाई ने कहा कि आध्यात्म के जीवन में समावेश से हम किसी भी परिस्थिति में निश्चिंत रहते हैं। संस्थान की एडिशनल चीफ राजयोगिनी जयंती दीदी ने ऑनलाइन संबोधित किया। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके पीयूष ने भी अपने विचार व्यक्त किए। महेन्द्रगढ़ की बीके माधुरी बहन ने मंच संचालन किया।

Dr. Bhanu Pratap Singh