Agra, Uttar Pradesh, India. मानव मिलन संस्थापक नेपाल केसरी जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज ने कहा कि दया, धर्म, प्रेम की भावना मनुष्यों में ही होती है, पशुओं में नहीं, इसलिए इन गुणों का अनुपालन करना हर व्यक्ति का दायित्व है। सामाजिक और फिर धार्मिक बन कर समाज का कल्याण करना चाहिए।
जैन भवन, स्थानक, राजामंडी में प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि हर व्यक्ति को झूठ को त्याग सत्य का, हिंसा को त्याग कर अहिंसा का, दुराचार को त्याग कर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। हमारे अंदर जो भी ममत्व है, उसे जाग्रत करें। मन के मैल को हटाते हुए पवित्र को धारण करें। उन्होंने कहा कि याद को उल्टा करेंगे तो दया होता है, इसलिए दया को हमेशा याद रखें। साधना की शुरुआत भी दया से ही होती है।
जैन मुनि ने कहा कि मनुष्य ही है जो दूसरे मनुष्य के हित की बात सोच सकता है, यह भाव पशुओं में कहां होते हैं। पशु कभी भी औरों के हित के लिए नहीं सोचता। वह ज्यादा से ज्यादा अपने बच्चों के लिए सोचता है। भगवान ने मनुष्य को मन दिया है, मनन करने के शक्ति दी है, उसका उपयोग करिए और अपने हित के लिए ही नहीं, औरों के लिए करुणा, प्रेम, सद्बाव की बातें सोचें।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति परिवार के बारे में नहीं सोचता, वह समाजसेवी कैसे बन सकता है। इसलिए सामाजिक होने के लिए परिवार से प्रेम करो। सामाजिक होने के बाद ही धार्मिक भावनाएं जाग्रत होती हैं।
मन की चंचलता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामिंग पूल के पानी में जब चेहरा देखते हैं, तब साफ दिखता है, लेकिन मन नहीं मानता और उसमें कंकड़ फैंकते ही चेहरा नहीं दिखता। इसी प्रकार सामयिक व अन्य पूजा करते समय भी मन भटकता है। मन को शांत करना बहुत जरूरी है, उसे नियंत्रण करने की कला भी सीखना होगी।
इनसे पूर्व विराग मुनि ने प्रवचन दिए और कहा कि अहिंसा, प्रेम और करुणा प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में धारण करना चाहिए, इससे ही जीवन सरल और सहज रहता है।
इस चातुर्मास पर्व में सरिता सुराना का नौवें दिन का उपवास चल रहा है।नेपाल से आए पदम सुबेज का चौथे दिन का उपवास चल रहा है।आयंबिल की तपस्या की लड़ी नीतू सुराना ने आगे बढ़ाई। मंगलवार के नवकार मंत्र के जाप का लाभ प्रभा गादिया परिवार ने लिया।बुधवार की धर्म सभा के कार्यक्रम का संचालन राजेश सकलेचा ने किया।
फोटो: महावीर भवन जैन स्थानक में सरिता सुराना के 9 उपवास की तपस्या का सम्मान करती हुई अंशु दुग्गड़ ।इन्होंने 9 उपवास की बोली ले कर यह सम्मान करने का गौरव प्राप्त किया।
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