भारत ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों से देश में शोध एवं विकास R&D केंद्र स्थापित करने का आग्रह किया है, क्योंकि यह अगले दो-तीन दशक में नवोन्मेष और ज्ञान का प्रमुख स्थान बनने जा रहा है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि उन्होंने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठकों के दौरान बहुराष्ट्रीय कंपनियों से यह बात कही। मंच की बैठक हाल में ही संपन्न हुई।
जैन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैंने उनसे भारत में शोध एवं विकास केंद्र खोलने का आग्रह किया है क्योंकि हम अगले 2-3 दशकों में ज्ञान और नवोन्मेष का केंद्र बनने जा रहे है। डिजिटल इंडिया की सफलता, गतिशील स्टार्टअप परिवेश, बुनियादी ढांचे में सुधार तथा स्थिर वृहत-आर्थिक नीतियों को को देखते हुए भारत आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।’’
डब्ल्यूईएफ की 23 से 25 मई को हुई बैठक के दौरान सचिव कई सत्रों में शामिल हुए। इसमें हरित सार्वजनिक खरीद और शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले बुनियादी ढांचे पर संयुक्त सरकारी नीति पर बैठक शामिल है।
सचिव ने जिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बैठक की, उनमें मार्श मैकलेनन, प्रॉक्टर, नोकिया, यूपीएस, रॉयल फिलिप्स, श्नाइडर इलेक्ट्रिक, जनरली, वेस्टस, मिशेलिन आदि शामिल हैं।
जैन ने कहा कि डब्ल्यूईएफ में भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में पेश करने के लिये केंद्र, राज्य और उद्योग प्रमुखों के साथ मिलकर एक स्वर में भारत की कहानी को आगे बढ़ाया गया।
-एजेंसियां
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