कंधे पर फावड़ा और हथेली पर जान, कोशिश फाउंडेशन के सर्वे में छलका मजदूरों का दर्द

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डीएम तथा उप श्रम आयुक्त को नरेश पारस ने सौंपी सर्वे रिपोर्ट

Agra, Uttar Pradesh, India. कंधे पर फावड़ा, हाथ में औजार और काम तलाशती मजदूरों की आखें सुबह लेबर चौक पर हर रोज दिखाई देती हैं। काम की तलाश में मजदूर सुबह तड़के ही साईकिल के साथ लेबर चौक पर पहुंच जाते हैं लेकिन इनके सामने हर समय मौत नाचती है। चौराहे पर आते जाते वाहनों से कई बार चोटिल हो जाते हैं। काम की तलाश में दोपहर तक लेबर चौक पर जमे रहते हैं। अव्यवस्थाओं के बीच जिंदगी की जद्दोजहद से मजदूर जूझ रहा है लेकिन वो अपने गमछे में इन आंसुओं को छिपा लेता है। कोशिश फाउंडेशन की सर्वे रिपोर्ट में मजदूर चौकों की बदहाली का खुलासा हुआ है। संस्थापक एवं अध्यक्ष नरेश पारस ने डीएम तथा उप श्रम आयुक्त को रिपोर्ट सौंपकर मजदूर हित में कदम उठाने की मांग की है।

आधा दर्जन लेबर चौक का सर्वे
सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस नेेे अपने सहयोगी नितिन शुक्ला के साथ लोहामंडी, शाहगंज, टांस यमुना कॉलोनी, सदर बाजार, खेरिया मोड तथा शास्त्रीपुरम मजदूर चौराहों सहित आधा दर्जन लेगर चौक का सर्वे किया। यहां जिले के अलग अलग स्थानों से मजदूरी करने का काम खोजने के मजदूर आते हैं। हर मजदूर को इन चौराहों पर काम नहीं मिलता है। वह काम की तलाश में दोपहर तक बैठते हैं। कुछ को काम मिल जाता है तो तमाम मजदूर खाली हाथ घर लौट जाते हैं।

बदहाल मजदूर चौक
मजदूर चौकों पर मजदूर मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां न ही तो पीने को पानी मिलता है और बैठने को छांव। बैठने को स्थान और नहीं कोई जगह ऐसी है जहां जाकर मजदूर पेशाब कर सके, सभी लोग खुले में दीवार के किनारे पेशाब करने को मजबूर हैं। छह घंटे लगातर धूप में खड़ा रहना पड़ता है। यदि ऐसे में कोई महिला मजदूर लेबर चौक पर काम खोजने जाती है उसे समस्याओं से सामना करना पड़ता है। मजदूरी करने वाली महिलाओं के लिए भी यहां कोई व्यवस्था नहीं है। कोई एक व्यक्ति मजदूर लेने आता है तो सभी उसके पास जमा हो जाते हैं। घेरा लगाकर उसके पास खड़े हो जाते हैं। वहां मजदूर का चुनाव होता है। जो बेहतर मजदूर और कम दाम वाला होता है। उसे काम के लिए ले जाते हैं। चूंकि सभी सड़क किनारे खड़े होते है, इसलिए दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।

ये दिए सुझाव
डीएम तथा उप श्रम आयुक्त को सौंपी रिपोर्ट में नरेश पारस ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
शहर के सभी लेबर चौकों को चिन्हित कर नगर निगम द्वारा अस्थाई मोबाईल टॉयलेट स्थापित कराए जाएं।
मजदूरों के लिए टैंकर अथवा प्याऊ के माध्यम से पीने के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था कराई जाए।

समुचित छाया की व्यवस्था की जाए
महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला मजदूरों को संबंधित थाना द्वारा महिला सुरक्षा की जानकारी दी जाए तथा मॉनीटरिंग की जाए।
लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों का पंजीकरण कराया जाए। मजदूरी न मिलने वाले मजदूरों को चिन्हित कर मजदूरी दिलाने के लिए श्रम विभाग का सहयोग लिया जाए। मजदूर सड़क पर खड़े होकर मजदूरी का इंतजार करते हैं। दुर्घटना का खतरा बना रहता है। प्राथमिक उपचार हेतु वहां किट की व्यवस्था कराई जाए।