गोंडा फर्नीचर सप्लाई घोटाला: 2.25 करोड़ की कमीशन और 30 लाख एडवांस लेने के आरोप में बीएसए समेत तीन पर मुकदमा दर्ज

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गोंडा। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। फर्नीचर आपूर्ति के ठेके में 2.25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने और 30 लाख रुपये एडवांस लेने के गंभीर आरोप में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) अतुल तिवारी, जिला समन्वयक (जेम) प्रेमशंकर मिश्र और जिला समन्वयक (सिविल) विद्याभूषण मिश्र फंस गए हैं। गोरखपुर स्थित भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय ने तीनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

जानकारी के अनुसार, मोतीनगर क्षेत्र के किनकी गांव निवासी मनोज पांडेय, नीमन सीटिंग सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एमडी हैं। उन्होंने गोरखपुर की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनकी कंपनी को गोंडा के 564 उच्च प्राथमिक और संकुल विद्यालयों में फर्नीचर सप्लाई का ठेका मिला था। टेंडर प्रक्रिया में उनकी कंपनी एल-1 (सबसे कम दर देने वाली फर्म) घोषित हुई थी।

मनोज पांडेय ने आरोप लगाया कि, बीएसए अतुल तिवारी और दोनों जिला समन्वयकों ने 15% कमीशन के रूप में 2.25 करोड़ रुपये की मांग की। आरोप के मुताबिक, 4 जनवरी 2025 को उनसे 30 लाख रुपये एडवांस के रूप में लिए गए, जिसमें बीएसए को 22 लाख, जबकि दोनों समन्वयकों को चार-चार लाख रुपये दिए गए। मनोज का कहना है कि शेष रकम न देने पर उनकी फर्म को दो वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।

उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में चैट्स और अन्य दस्तावेज साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि रिश्वत मांगने पर जिला समन्वयक प्रेमशंकर मिश्र ने एक लाख रुपये लौटाए, जबकि बीएसए और डीसी (सिविल) ने पैसे वापस करने से इनकार कर दिया।

वहीं, बीएसए अतुल तिवारी और दोनों समन्वयकों ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कंपनी पर टेंडर के दौरान फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि कंपनी ने अनुभव प्रमाण पत्र में 5.91 करोड़ की राशि की जगह 9.86 लाख रुपये दर्शाए, और टर्नओवर में भी गड़बड़ी की।

फिलहाल कोर्ट के आदेश के बाद तीनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच शुरू हो गई है और विभागीय स्तर पर भी बीएसए समेत अन्य पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।

साभार सहित

Dr. Bhanu Pratap Singh