आगरा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कड़े निर्देश और नीतियां देने की बातें करते हैं। राज्य स्तरीय कई योजनाएं, पुलिस की टीमें, और सुरक्षा हेल्पलाइन शुरू की गई हैं। लेकिन आगरा शहर में कुछ कुछ समय के अंतराल पर ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं, जो हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं। यहां ऐसे अपराधी खुलेआम लड़कियों और उनके परिवारों को आतंकित कर रहे हैं, जिन्हें पुलिस का बिल्कुल भी भय नहीं।
6 अगस्त को थाना सदर क्षेत्र में हुई घटना इसका सजीव उदाहरण है। सागर नामक युवक ने एक युवती के घर में घुसकर उसके पिता पर तमंचा तान दिया और धमकी दी कि शादी नहीं कराई तो गोली मार दूंगा। इससे न केवल लड़की बल्कि पूरा परिवार दहशत में है। परिवार ने लोक लाज के भय से देर तक पुलिस की शरण नहीं ली, लेकिन तमंचा तानने की घटना ने उनके होश उड़ा दिए।
पीड़िता का कहना है कि आरोपी युवक सागर ने पहले भी तेजाब फेंकने का प्रयास किया था। वह सरेराह रास्ता रोकता है, अभद्रता करता है और शादी के लिए दबाव बनाता है। युवक के माता-पिता को भी इसकी भनक है, लेकिन वे अपने बेटे को नहीं समझाते बल्कि उसका समर्थन करते हैं। ऐसे में परिवार और पीड़ित युवती दोनों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है, और युवती-परिवार को सुरक्षा का आश्वासन भी दिया गया है। फिर भी आगरा में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां पुलिस कार्रवाई या तो देर से होती है या प्रभावी नहीं होती। शायद इसी वजह से अपराधी बेखौफ होकर दहशत फैलाते हैं, जिससे लड़कियों का जीवन असुरक्षित महसूस होता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई मौकों पर कहा है कि लड़कियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए उन्होंने महिला पुलिस, हेल्प डेस्क, डिजिटल ट्रैकिंग की भी बात की है। मगर आगरा में यह खबर यह सवाल उठाती है कि क्या ये उपाय वास्तविकता में प्रभावी हैं या केवल घोषणाओं तक सीमित हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता और महिला अधिकार विशेषज्ञ कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन की जवाबदेही बढ़ानी होगी। महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए सिर्फ नीतियां बनाना काफी नहीं, बल्कि अपराधियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई जरूरी है। साथ ही, परिवारों का सामाजिक समर्थन भी जरूरी है ताकि पीड़ित डर के बजाय मदद मांग सकें।
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