बस्ती ( राहिल खान): जनपद में इन दिनों एक सरदार जी ने ऐसा तूफ़ान खड़ा कर दिया है कि सत्ता के गलियारों से लेकर ठेकेदारी की गद्दियों तक सब हिल उठे हैं। नाम है सरदार कुलविंदर सिंह, जो “बादशाही अखाड़ा”, बादशाह मैरिज हॉल और बादशाह मल्टीप्लेक्स के जरिये पहले ही अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। लेकिन इस बार उन्होंने कोई कारोबार नहीं, बल्कि एक जमीनी आंदोलन छेड़ दिया है — नाम है: “रुपया वापस मुहिम”!
जहां आम आदमी सोचता था कि “जिसका पैसा गया, वो गया”, वहीं सरदार जी ने पूरे सिस्टम को सीधी चुनौती देते हुए कहा — “रुपया हड़पने वालों, अब बचोगे नहीं!”
सोशल मीडिया को हथियार बनाकर उन्होंने ऐसे-ऐसे चेहरों की नींद उड़ा दी है जो वर्षों से दूसरों का पैसा मारकर बेफिक्र घूम रहे थे। भू-माफिया, रसूखदार ठेकेदार, नेता, बाऊ साहब – सबकी बारी आ गई है।
अब हाल ये है कि जो लोग पहले ‘कौन क्या कर लेगा’ के घमंड में थे, वे आज सरदार कुलविंदर सिंह के नाम से ही थर-थर कांप रहे हैं।
इस मुहिम ने बस्ती ही नहीं, पूरे पूर्वांचल में एक नई सोच को जन्म दिया है
“हक़ का पैसा मांगना न अपराध है, न शर्म की बात… ये हक की लड़ाई है!”
आज जनता को लग रहा है कि अगर सरदार जी अपने पैसे के लिए खड़े हो सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?
हर गली-मोहल्ले में चर्चा है — “सरदार आया तो वसूली पक्की है!”
यह कोई मामूली अभियान नहीं, यह एक चेतावनी है उन सबके लिए जिन्होंने दूसरों की मेहनत की कमाई को अपनी जागीर समझ लिया था।
बस्ती का यह सरदार अब न सिर्फ कारोबार का बादशाह है, बल्कि हक की लड़ाई का भी सरताज बन चुका है।
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