Agra News: ललित राजौरा की वन्यजीव फोटोग्राफी पर वाइल्डलाइफ टुडे में कवर स्टोरी, अब तक ले चुके हैं तीन लाख तस्वीरें

PRESS RELEASE

आगरा। लोकप्रिय राष्ट्रीय मासिक पत्रिका “वाइल्डलाइफ टुडे” ने अपने मार्च 2025 के अंक में आगरा के मशहूर वन्यजीव फोटोग्राफर ललित राजौरा की अद्भुत वन्यजीव फोटोग्राफी पर कवर स्टोरी प्रकाशित की है। यह पत्रिका विशेष रूप से वन्य जीवन को कवर करती है। फोटोग्राफर राजौरा जंगल के अनछुए और असली रूप को अपने कैमरे में कैद करते हैं, जो हमें प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का एहसास कराता है।

जुनून में कई बार मौत को करीब से देखा

ललित राजौरा पिछले 24 वर्षों से जंगल और विशेष रूप से वन्यजीव फोटोग्राफी के प्रति अत्यंत समर्पित और जुनूनी रहे हैं। आपने बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, रणथंभौर और पीलीभीत के टाइगर रिजर्व और अभयारण्यों में नियमित रूप से यात्रा कर वहां के वन्यजीवन को अपने कैमरे में कैद किया है। अपनी सर्वश्रेष्ठ तस्वीरों को लेने के लिए उन्होंने कई बार 10-12 मीटर की दूरी तक जाकर मौत को भी करीब से देखा है, जब वे गुस्साए, हिंसक और आक्रामक बाघों के सामने खड़े थे।

अब तक तीन लाख तस्वीरें ले चुके

अपने इस वन्यजीवन फोटोग्राफी के सफर में राजौरा अब तक इन राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में इस बड़े शिकारी की लगभग तीन लाख से अधिक तस्वीरें ले चुके हैं। राजौरा की तस्वीरें केवल देखने के लिए नहीं, बल्कि वे हमारे भीतर वन्यजीवन के प्रति जिज्ञासा भी जगाती हैं और हमें इससे जुड़े रोचक तथ्य बताती हैं।

जब दो शावकों से हुआ आमना-सामना

फोटोग्राफर ललित उनकी जर्नी की एक अत्यंत मार्मिक कहानी भी है। बांधवगढ़ अभयारण्य में वे एक बार संयोगवश चार महीने के दो शावकों से टकरा गए। इन मासूम जीवों के सामने अपनी निर्दोषता साबित करने के लिए, पहले दिन वे दो घंटे तक उनके सामने बिल्कुल स्थिर खड़े रहे, बिना कैमरे का शटर खोले या कोई आवाज किए। लगातार आंखों का संपर्क होने से शावक असहज हो गए और झाड़ी के पीछे छिप गए। अगले दिन फिर राजौरा उनके सामने प्रकट हुए।

मांस खाने के बाद भूखे शावक घुल-मिल गये

इसके बाद ललित राजौरा ने वन विभाग के कर्मचारियों को बताया कि ये शावक भूखे हैं, क्योंकि उनकी मां घायल है और शायद शिकार नहीं कर पाई। वायरलेस संचार के माध्यम से यह पता चला कि बाघिन लगभग तीन किमी दूर है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि शावकों के पास जाना सुरक्षित है।

इसके बाद वन रक्षकों ने भूखे शावकों को ताजा मांस खिलाया। इसके बाद ये दोनों शावक उनसे घुल-मिल गए और स्वाभाविक रूप से कैमरे के सामने पोज़ देने लगे। यह जंगल और इंसान के बीच एक अनोखी प्रेम कहानी थी। अन्यथा, इतने छोटे शावकों की मां आमतौर पर बेहद आक्रामक और हिंसक हो जाती है, अगर कोई उनके करीब जाने और तस्वीरें लेने की कोशिश करता है!

Dr. Bhanu Pratap Singh