आगरा। बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित की गई काव्य गोष्ठी में कविता और साहित्य के प्रति संवेदना और जीवन की लय को महत्व दिया गया।
मुख्य अतिथि प्रो. जयसिंह नीरद ने अपने गीत “एक फूल प्राणों का मेरे संबंधों के लाखों कांटे” के माध्यम से कविता के लिए संवेदना और जीवन की लय होना कविता की बिम्बधर्मिता के बारे में संदेश दिया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. नीलम भटनागर ने अपनी कविता चमकती ओस की बूंद है यह जिंदगी धूपछांही जीवन का पथ में जीवन की सकारात्मकता की ओर संकेत किया।
विशिष्ट अतिथि कुमार ललित ने ‘लोग आते न हों, नेह नाते न हों’ गीत के माध्यम से जीवन की विसंगतियों को मधुर अभिव्यक्ति दी।
प्राचार्य प्रो. पूनम सिंह ने कविता – समय कहां कब करवट बदले कोई नहीं जानता के माध्यम से समय की कठोरता को बताया।
कार्यक्रम में प्रो गुंजन के काव्य संग्रह ‘बूढ़ी हुई उटंगन’ का विमोचन भी हुआ। प्रो. गुंजन ने अपनी रचना उटंगन में नदी के माध्यम से नारी पीड़ा को अभिव्यक्त किया।
डॉ. कंचन ने अपनी रचना में खुशी और खामोशी में मैं और मेरी खामोशी दोनों चुप हैं को व्यक्त किया। प्रो. नसरीन ने अपनी शायरी मौसमी बर्फ है कुछ देर में ही घुल जायेंगे, इन बदलते हुए रिश्तों का भरोसा न करो में की बात की।
डॉ. शैलजा ने स्वरचित सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन प्रो. गुंजन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कंचन ने किया।
इस कार्यक्रम में प्रो. राधा रानी गुप्ता, प्रो. गुन्जन चतुर्वेदी, प्रो. सुनीता चौहान, प्रो. पूनम शर्मा, प्रो. अनुपम सक्सेना, मनोरमा राय एवं महाविद्यालय परिवार समस्त शिक्षिकायें उपस्थित रहीं।
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