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फिल्म फेस्टिवल में पहले दिन आगरा के युवराज पाराशर की मूवी ‘गुड़हल’ छा गई, 10 सीखें दे गई, देखें तस्वीरें, जो नहीं देख पाए, उनका दुर्भाग्य

ENTERTAINMENT

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.  छठवां ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ‘जीटिफ-2024’ (6th Global taj international film festival 2024 Gtiff – 2024) में गुड़हल फिल्म ने सबको झकझोर दिया। सबके नेत्र सजल कर दिए। इस फिल्म ने कई संदेश दिए हैं। अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत फिल्म बागवां के बाद गुड़हल फिल्म का नाम लिया जाएगा। खुशी की बात यह है कि गुड़हल फिल्म के निर्माता-निर्देशक आगरा के युवराज पाराशर हैं। स्क्रीनिंग के बाद फिल्म के कलाकार मंच पर आए। सबका सम्मान किया गया। खुशी जताई कि युवराज पाराशर आगरा के हैं। इसके जवाब में युवराज ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं आगरा का हूँ। उन्होंने अपनी टीम को जमकर सराहा।

फिल्म फेस्टिवल डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के विवेकानंद परिसर (खंदारी) स्थिति जेपी सभागार में चल रहा है। 15 नवम्बर को शुरू हुआ और 17 नवम्बर तक चलेगा। 2.08 घंटा की गुड़हल फिल्म जो नहीं देख पाया, उसका दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। इस फिल्म में घर-घर की कहानी दिखाई गई है।

गुड़हल फिल्म के कलाकार। दाएं हैं फिल्म निर्देशक और निर्माता युवराज पाराशर (आगरा के हैं)। बाएं से पांचवें नम्बर पर हैं अनिल जैन।

फिल्म की कहानी

गुड़हल फिल्म में करोड़पति परिवार से शुरू होती है। पति की मौत के बाद पत्नी को महिला आश्रम में भेज दिया जाता है। बेटा यह कदम अपनी पत्नी के दबाव में उठाता है। महिला आश्रम में महिलाओं के साथ किस कदर दुराचार होता है, यह भी बयां किया गया है। बेटा उदास रहने लगता है। अंत में सुखांत और दुखांत होता है। जब घर से निकाली गई मां फूड सेवा करती है तो लगता है फिल्म का समापन हो गया है। दर्शक तालियां बजाने लगते हैं। तभी फिल्म के निर्माता-निर्देशक कहते हैं कि अभी फिल्म बाकी है। बेटे की आत्महत्या वाला दृश्य आता है, जो हर किसी को विचलित कर देता है। गुड़हल फिल्म में पूजा सिंह, सुहेल अली खान, जैमिनी कुमावत ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।

स्क्रीनिंग के समय क्या हुआ

जब फिल्म की स्क्रीनिंग चल रही थी तो मैं (डॉ. भानु प्रताप सिंह), विजय कुमार गोयल, शरद गुप्ता, संजय गुप्त एसके बग्गा आदि कलाकारों के ठीक पीछे बैठे थे। हम पर्दे पर फिल्म देखते और सामने देखकर अनुमान लगा रहे थे कि कलाकार बैठे हैं। इस कारण सुखद अनुभूति हो रही है। महिला आश्रम प्रबंधक जीवन सक्सेना का अभिनय करने वाले सुहेल अली खान से सबने पूछा भी कि क्या वास्तविक जीवन में भी ऐसे ही हो, तो हँसकर जवाब दिया, नहीं।

ल्म देखने के बाद प्रतिक्रिया देते विजय कुमार गोयल

जब भावुक हुए युवराज पाराशर

युवराज पाराशर यह बताते हुए भावुक हो गए कि आज के ही दिन (15 नवम्बर) को मेरे पिता का स्वर्गवास हुआ था और आज के ही दिन मेरी पहली फीचर फिल्म का प्रदर्शन हो रहा है, दर्शक तालियां बजा रहे हैं। इस दौरान उनके सभी परिजन भी उपस्थित थे।

अभिनेत्री पूजा सिंह की प्रतिक्रिया

अभिनेत्री पूजा सिंह ने कहा कि जब फिल्म में अभिनय का प्रस्ताव आया तो उन्होंने इनकार कर दिया था। बाद में जब पता चला कि फिल्म किस विषय पर बन रही है तो उन्होंने स्वयं फोन किया।

gudhal film scene
gudhal film scene

फिल्म का नाम गुड़हल क्यों

कवयित्री श्रुति सिन्हा ने युवराज पाराशर से जानना चाहा कि फिल्म का नाम गुड़हल क्यों रखा है? उन्होंने उत्तर दिया कि हर फूल की खुशबू अलग होती है। गुड़हल का पुष्प गणेश जी की प्रिय है। गुड़हल का पुष्प सबसे अलग है। श्री विजय कुमार गोयल, एसके बग्गा, शरद गुप्ता, संजय गुप्त आदि ने सवाल जवाब किए।

प्रोफेसर यूएन शुक्ला की प्रतिक्रिया

वंडरफुल मूवी इन माय लाइफ। युवराज पाराशर ने फिल्म के माध्यम से बहुत बड़ी बात कही है। मुझे ताज्जुब है कि इस विषय पर किसी ने मूवी नहीं बनाई है। बागवां के बाद यह फिल्म बनी है। हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें।

gudhal film scene
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फिल्म फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी की प्रतिक्रिया

गुड़हल फिल्म मास्टर क्लास की तरह है। फिल्म फेस्टिल के पांच साल में किसी भी फिल्म पर इतनी देर तक सवाल-जवाब नहीं हुए हैं।

संवाद जो मन को छू गए

जो अपनी मां का नहीं हुआ, वह मेरा क्या होगा

काश, मेरी मां ने भी एक बेटी जनी होती (बेटा ने अपनी पत्नी से कहा)

जिस घर में तुम रहते हो वह मेरे पति ने मेरे लिए बनाया है। कुछ दिनों में खाली कर दो या मैं तुम्हें बैंक डिटेल भेजती हूँ, हर महीने एक तरीख को रेंट भरते रहना। (मां जानकी का अत्याचारों से मुक्त होने के बाद बेटा-बहू को वॉयस संदेश)

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क्या सीख मिली

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया।

बेटी के साथ बेटी का होने जरूरी।

हर पति, अपना पत्नी के नाम भी संपत्ति करे ताकि मौत के बाद सुखद जीवन जी सके।

पत्नी के नाम जीवन बीमा पॉलिसी भी करानी चाहिए।

हो सकता है सेवा करने वाला पुत्र विवाह के बाद बदल जाए, इसलिए तैयारी पहले ही कर लें।

अपने अधिकार के लिए लड़ना भी आना चाहिए।

बहू अगर सास को मां नहीं मानेगी तो असली मां भी किनारा कर सकती है।

बेटा को बहू के सामने एक हद के बाद नहीं झुकना चाहिए।

घर की नौकरानी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करेंगे तो संकटकाल में वह भी काम आ सकती है।

पिता और भाई निठल्ले रहेंतो बेटी गलत कदम भी उठा सकती है। इसलिए सावधान रहिए।

gudhal film जानी मानी डांस गुरु नमिता वाजपेयी मां की भूमिका में।

अधिकांश शूटिंग आगरा में

फिल्म की अधिकांश शूटिंग आगरा में हुई है। फिल्म में रंगकर्मी अनिल जैन और जानी-मीन डांस गुरु नमिता वाजपेयी ने भी भूमिका निभाई है। नमिता वाजपेयी के गाल पर जब जोर का थप्पड़ पड़ने का दृश्य यादगार है।

Dr. Bhanu Pratap Singh