आगरा। साइबर अपराधी, ठगी के नित नये तरीकों का कर रहे हैं प्रयोग अगर आपको भी कोई डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश करें तो हो जायें सावधान।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट :
साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल, वीडियों कॉल करके फर्जी झांसा देकर एवं डर दिखाकर आपको आपके घर में ही डिजिटली बंधक बना लिया जाता है। और डर दिखाकर पैसे ट्रांसफर करा लिये जाते है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला लखनऊ में एक रिटायर्ड बैंक अफसर सुब्रतो बनर्जी के साथ हुआ जिसमें किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा वाट्सएप्प के माध्यम से वीडियो कॉल की और सामने वर्दी में एक व्यक्ति सुब्रतो बनर्जी को दिखायी दिया।
मनी लॉन्ड्रिग के मामले में दिखाया था फर्जी वारण्ट :
मनी लॉन्ड्रिग के मामले में फर्जी वारण्ट देख सहम गये थे सुब्रतो बनर्जी, डरा धमकाकर 13 लाख रूपये ट्रांसफर करा लिया गये। बनर्जी ने जब पुलिस को सूचना दी तो लखनऊ पुलिस ने तुरन्त मुकदमा पंजीकृत किया गया। इसी प्रकार मेरठ में एक बुजुर्ग व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट करके 1.75 करोड़ रूपये ट्रांसफर करा लिये गये तथा इस प्रकार की घटनाएं मुरादाबाद तथा आगरा में भी घटित हुई हैं, जिसमें पीड़ितों द्वारा एफआईआर पंजीकृत करायी गयी। इस प्रकार की अन्य बहुत सी घटनाएं अन्य राज्यों/जनपदों में भी हो रही है जो कि आये दिन संज्ञान में आती रहती है। साइबर अपराधी सेवानिवृत्त अफसर कर्मचारियों व वरिष्ठ नागरिकों को बना रहे है निशानाः- इन मामलों में अधिकांश ऐसा पाया गया कि ये साइबर अपराधी सेवानिवृत्त अफसरों, कर्मचारियों व वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।
ध्यान रखें-पुलिस कभी नही करती है डिजिटल अरेस्ट, डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें
1. अनजान नम्बर से कॉल या वीडियो कॉल कर कोई भी व्यक्ति पुलिस वर्दी पहनकर या अन्य तरीकों से आपको फंसाने का प्रयास करे और कहे कि किसी को नहीं बताना है तो सबसे पहले फोन को कट करें और अपने परिवार व पुलिस को सूचना दें।
2. पुलिस कभी भी किसी को फोन कॉल करके या डरा धमका कर डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। अगर ऐसा कोई कॉल आपके पास आता है तो तुरन्त पुलिस को सूचित करें।
3. साइबर अपराधी ऐसा भी कर रहे है कि फोन कॉल करके आपको किसी मामले से बचाने के लिये रूपयों की डिमाण्ड करते हैं।
4. खुद को सीबीआई, एनआईए या किसी अन्य विभाग में अधिकारी व कर्मी तथा किसी कंपनी का सदस्य बताकर भी आपके साथ फ्रॉड करने की कोशिश करते है।
5. बेबसाइट, एप्लीकेशन अथवा कॉल एवं अन्य किसी भी माध्यम से आपको डराकर, झांसा देकर डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास करें तो हो जाये सावधान और तुरंत पुलिस को सूचना दे।
6. अगर कॉलर कहता है कि मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स तस्करी में आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है तो तुरंत कॉल कट कर दें व पुलिस को सूचना दें।
7. कॉल करने वाला शख्स अगर कहता है कि आपका बेटा या बेटी अरेस्ट किया गया है, तुरंत रुपये भेजे तो छोड़ दिया जाएगा तो तत्काल समझ जाएं कि ये कॉल साइबर अपराधी ने ठगी के लिए की है, झांसे में न आएं।
8. 92 कोड वाले नंबर की कॉल रिसीव न करें, साथ ही व्हाट्सएप पर अनजान नंबर से आने वाली वीडियो व ऑडियो कॉल को नजरअंदाज करें।
9. किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक नही करें एवं अपनी बैंक डिटेल्स व ओटीपी किसी को साझा नही करें।
10. अपनी व्यक्तिगत जानकारी अथवा कोई दस्तावेज अथवा अपना पहचान पत्र आदि किसी को भी शेयर नहीं करें।
साइबर अपराध की शिकायत कैसे करें
साइबर अपराध से बचाव हेतु सतर्कता आपको सुरक्षित रख सकती है। पुलिस कमिश्नरेट आगरा में आगरा के समस्त नागरिकों को साइबर अपराध के बचाव हेतु समस्त थानों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गयी है एवं साइबर क्राइम सेल व साइबर क्राइम थाना स्थापित है। किसी भी प्रकार के साइबर अपराध होने पर नजदीकी पुलिस थाने में तुरन्त शिकायत दर्ज करे अथवा टोल फ्री नम्बर 1930 पर शिकायत दर्ज करें या
https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करें।
-एजेंसी
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