आगरा। तीन महीने से चले आ रहे आगरा कॉलेज के प्राचार्य प्रकरण में हाईकोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार डॉ. अनुराग शुक्ल को फिर से प्राचार्य नियुक्त किया है। बुधवार की शाम को उन्होंने पदभार भी ग्रहण कर लिया है।
शासन के आदेश पर वित्तीय अनियमितता के आरोप पर उन्हें 13 फरवरी को निलंबित कर दिया था। उन पर छात्रावास शुक्ल, पंखा शुल्क, विकास शुल्क, प्रॉस्पेक्टस शुल्क, छात्र पंजीकरण शुल्क, विवि परीक्षा- नामांकल शुल्क और गृह परीक्षा शुल्क में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। इनके स्थान पर वरिष्ठता सूची में 16वें नंबर के डॉ. सीके गौतम को प्राचार्य बनाया था।
इस निर्णय के खिलाफ डॉ. शुक्ल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए प्रबंध समिति की पदेन अध्यक्ष मंडलायुक्त को डॉ. शुक्ल को पदभार ग्रहण कराने के लिए आदेशित किया। एक मई को संयुक्त सचिव प्रेम कुमार पांडेय का पत्र आने के बाद बुधवार को मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने डॉ. शुक्ल को पदभार ग्रहण करा दिया है।
3 महीने चली लड़ाई
प्राचार्य प्रकरण में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ल आमने-सामने आ गए थे। प्राचार्य पद से हटाए जाने के बाद डॉ. शुक्ल ने उच्च शिक्षामंत्री की ओर से बताई गई नियुक्ति, प्रवेश आदि कार्य नहीं करने पर शासन को 5 झूठी शिकायतें की थी। इन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उच्च शिक्षामंत्री और कार्यवाहक प्राचार्य बनाए डॉ. सीके गौतम से जानमाल का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी। इन्होंने उच्च शिक्षामंत्री पर साजिशन अवैधानिक रूप से डॉ. सीके गौतम को प्राचार्य बनाने का भी आरोप लगाया था। उच्च शिक्षामंत्री ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
लड़ाई रहेगी जारी
बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज आगरा कॉलेज के सदस्य सुभाष ढल ने कहा कि कोर्ट के आदेश का सम्मान है, लेकिन डॉ. शुक्ल ने फर्जी दस्तावेज और साक्ष्यों से प्राचार्य पद पाया है। इनके खिलाफ लड़ाई अभी जारी रहेगी।
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