Agra, Uttar Pradesh, India. जाटव समाज उत्थान समिति के तत्वधान में बाबू जगजीवन राम पुस्तकालय में मान्यवर कांशीराम की 87वीं जन्म जयंती पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें संयोजक देवकीनंदन सोन ने कहा कि स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डॉ अंबेडकर शोषितों के हित रक्षक रहे। पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के बाद कांशीराम ही एक ऐसे समाज सुधारक राजनेता हुए जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी का गठन कर दलित समाज में राजनीतिक अधिकार प्राप्त करने की इच्छा शक्ति पैदा की थी।
अध्यक्ष बंगालीबाबू सोनी ने कहा कि कांशीराम राजनीति के चाणक्य थे। उन्होंने केवल दलितों को ही संगठित कराने का कार्य ही नहीं किया, बल्कि भारी संख्या पिछड़े वर्ग को भी सभी जातियों को जोड़कर बहुजन समाज पार्टी के को मजबूत किया। इसी कारण बहन मायावती उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री बनी। संरक्षक बाबूवीर सिंह ने कहा- 1978 में हुए आगरा कांड के दौरान मेरी कांशीराम से मुलाकात हुई थीष। वह एक सच्चे समाज चिंतक तथा उदारक थे।
गोष्ठी को इं. मानिकचंद, रूपसिंह सोनी, महेंद्रसिंह, भोलूसिंह, तुलसीराम, वैध सूरजभान भाटिया, देवकीनंदन सोन, बंगालीबाबू सोनी, तथा बाबूवीर सिंह ने आगरा नगर निगम द्वारा आगरा के प्रमुख स्थान पर कांशीराम जी की प्रतिमा स्थापित की किए जाने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार आगरा के महापौर द्वारा सभी समुदाय के महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित कराई जा रही है उसी प्रकार दलितों के महानायक मान्यवर कांशीराम की प्रतिमा अतिशीघ्र आगरा के प्रमुख स्थान पर स्थापित कराई जाए।
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