यूपी के बदायूं से कुछ दिन पहले एक अजब मामला सामने आया था। भूमि विवाद के एक केस में एसडीएम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को समन भेज दिया। नोटिस मिलते ही राजभवन में हड़कंप मच गया था। राज्यपाल के विशेष सचिव ने डीएम को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। इसके बाद गुरुवार को शासन ने एसडीएम (न्यायिक) विनीत कुमार और कोर्ट पेशकार बदन सिंह को सस्पेंड कर दिया है।
बदायूं के डीएम ने राजभवन से प्राप्त आपत्ति की चिट्ठी के बाद एक रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी थी, जिसके बाद यह एक्शन लिया गया है। इस पत्र में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ कोई समन या नोटिस जारी नहीं किया जा सकता।
यह मामला 19 अक्टूबर का है। सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के गांव लोड़ा बहेड़ी निवासी चंद्रहास ने 2019 में एसडीएम बदायूं कोर्ट में एक वाद दायर किया था। इसमें कस्बा निवासी लेखराज, पीडब्ल्यूडी और राज्यपाल को पक्षकार बनाया था। चंद्रहास ने एसडीएम न्यायिक की कोर्ट में दायर वाद में आरोप लगाया थाकि उसकी बुआ कटोरी देवी की मौत हो गई। उनके संतान नहीं थी। वह 28 साल हमारे घर पर साथ रही इसलिए कानूनन जमीन हमारी है जबकि गलत तरीके से वारिस दिखाकर बुआ की बहन के बेटे चंद्रपाल ने तीन बीघा जमीन लेखराज को 2003 में बेच दी।
भूमि विवाद में राज्यपाल को बनाया वादी
चंद्रपाल कस्बे में नहीं रहता। वह दिल्ली में रहता है। इसका मुकदमा चल रहा है। 2020 में इस जमीन का कुछ हिस्सा शासन ने फोर लेन मार्ग के लिए अधिग्रहण किया और मुआवजा 19 लाख रुपए लेखराज को दिया गया। चंद्रहास ने एसडीएम कोर्ट में दायर वाद में लेखराज और राज्यपाल पक्षकार बनाया।
एसडीएम कोर्ट में राजस्व संहिता की धारा 144 का नोटिस जारी राज्यपाल और लेखराज को पेश होने का समन जारी कर दिया। एसडीएम कोर्ट से यह समन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को 10 अक्टूबर को जारी किया गया। अपना पक्ष रखने के लिए 18 अक्टूबर की तिथि नियत की गई। जैसे ही यह समन राजभवन पहुंचा तो हड़कंप मच गया।
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