सरकारी नौकरियों में रहकर कश्मीर घाटी में आतंकवाद को फैलाने में मदद कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा छे़ड़ा गया अभियान काफी सफल साबित हो रहा है। धीरे-धीरे परते खुल रही हैं और समाज के बीच शरीफों की जिंदगी व्यतीत करते हुए कश्मीर में खूनी खेल कर रहे इन राष्ट्र विरोधी तत्वों का पर्दाफाश हो रहा है। अपने इस अभियान को जारी रखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार ने कश्मीर घाटी में तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादी संगठनों से संबंध साबित होने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।
आपको यह जानकार हैरानगी होगी कि जिन लोगों के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है, उनमें दो युवाओं के जीवन को दिशा देने वाले जबकि एक आम जनता में सुरक्षा की भावना को कायम रखने वाला है। नौकरी से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में कश्मीर यूनिवर्सिटी में कैमेस्ट्री के प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित हैं, स्कूली शिक्षा विभाग में शिक्षक मोहम्मद मकबूल हाजम और जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल गुलाम रसूल शामिल हैं।
देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जब इन हमलों के पीछे की वजह का पता लगाया तो यह बात सामने आई कि आतंकी संगठनों का साथ देने वालों में कई सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। जांच की प्रक्रिया शुरू हुई और सबूतों के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को टेरर लिंक के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
इससे पहले गत मार्च में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पुलिस कांस्टेबल तौसीफ अहमद मीर समेत पांच सरकारी कर्मचारियों को आतंकी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। मीर पर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करने और अपने दो सहकर्मियों की हत्या का प्रयास करने का आरोप था।
अनुच्छेद 311 (दो) (सी) के तहत बनी एक समिति के सुझाव के बाद ही इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। आपको यह भी बता दें कि इस अनुच्छेद के तहत राज्य की सुरक्षा के हित में बिना जांच के किसी को भी बर्खास्त किया जा सकता है। पिछले साल से लेकर अब तक विशेष प्रावधान के तहत 37 कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है।
-एजेंसियां
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