विदेशों से चंदे लेने वाले 6 हज़ार एनजीओ को FCRA लाइसेंस रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी कोई राहत

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नई दिल्‍ली। देश में काम कर रहे क़रीब 6 हज़ार एनजीओ का विदेशों से चंदे लेने वाला FCRA लाइसेंस रद्द करने या उसे रिन्यू न करने के केंद्र के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोई अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली ग़ैर सरकारी संस्थाओं से कहा है कि वे अपनी समस्याओं को पहले केंद्र सरकार के पास लेकर जाएँ, जो क़ानून के अनुसार फ़ैसले लेगी.
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
आख़िर क्या है मामला
मालूम हो कि इस महीने के शुरू में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने क़रीब 6,000 ग़ैर सरकारी संस्थाओं पर असर डालने वाला एक अहम फ़ैसला लिया.
इस फ़ैसले के तहत, सरकार ने 179 संस्थाओं का फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) का रजिस्ट्रेशन रद्द करने और 5,789 संस्थाओं का लाइसेंस रिन्यू न करने का फ़ैसला किया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस कार्रवाई से कई ग़ैर सरकारी संगठन अधर में लटक गए हैं. उसके बाद, अमेरिका स्थित एनजीओ ‘ग्लोबल पीस इनिशयटिव’ ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
सरकार की इस कार्रवाई का जिन संगठनों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा, उनमें मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनिरीज़ ऑफ़ चैरिटी, ऑक्सफ़ैम इंडिया, जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसी संस्थाएं हैं.
साथ ही आंध्र प्रदेश के गुंटूर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मदद से काम करने वाली संस्था सेवा भारती और त्रिपुरा में ईसाई धर्मांतरण के विरोध में काम करने वाली संस्था शांतिकाली मिशन भी शामिल है.
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh