समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, टिकट बंटवारे के बाद से जारी की गई प्रत्याशियों की लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये कि आखिर जयंत चौधरी की क्या मजबूरी थी कि उन्होंने अपने सिंबल पर समाजवादी पार्टी के नेताओं को प्रत्याशी बनाया। यहां किसी मुस्लिम चेहरे पर भी दांव नहीं लगाया गया है। जाट और मुस्लिम समीकरण के बीच बीजेपी को मात देने की पूर्व की योजनाओं को लेकर भी यहां सियासी सुर्खियां बनने लगी हैं।
पुरकाजी विधानसभा
पुरकाजी विधानसभा पर भी सिंबल तो राष्ट्रीय लोक दल का इस्तेमाल किया गया है जबकि प्रत्याशी बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए 2 बार के विधायक अनिल कुमार को दिया गया है.
खतौली और मीरापुर विधानसभा
इनमें खतौली विधानसभा से राष्ट्रीय लोक दल के सिंबल पर बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए पूर्व सांसद राजपाल सैनी को प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं दूसरी तरफ मीरापुर विधानसभा सीट पर भी कुछ इसी तरह से प्रत्याशी घोषित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर समाजवादी पार्टी के नेता चंदन चौहान को प्रत्याशी बनाया गया है. वह पूर्व सांसद संजय चौहान के पुत्र हैं.
बात करें चरथावल विधानसभा सीट की तो यहां पर समाजवादी पार्टी ने अपने सिंबल पर पंकज मलिक को चुनावी मैदान में उतारा है. यानी कि कुल मिलाकर मुजफ्फरनगर के 6 विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर रालोद पहली पसंद थी. लेकिन इसके बावजूद रालोद के सिर्फ एक ही प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे. बाकी 5 विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घोषित किए गए हैं. सिर्फ चुनाव चिन्ह रालोद का होगा जोकि जाटलैंड में तरह-तरह की चर्चाओं का विषय बना हुआ है.
-एजेंसियां
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