राहुल द्रविड़ की कोचिंग में टीम इंडिया का यह पहला विदेशी दौरा था। वर्ल्ड टी-20 के बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज से उनका कार्यकाल शुरू हुआ था। द्रविड़ की एंट्री उस वक्त हुई, जब टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है। विराट कोहली के कप्तानी काल का अंत हो चुका है। नए टेस्ट कप्तान की तलाश जारी है। सफेद बॉल फॉर्मेट के कैप्टन चुने गए रोहित शर्मा इंजरी के चलते क्रिकेट से ही दूर हैं। ऐसे में ‘मिस्टर भरोसेमंद’ की यह नई पारी कतई आसान नहीं रहने वाली।
वनडे टीम में बैलेंस ही नहीं
खुद राहुल द्रविड़ का भी यही मानना है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में हार के बाद हेड कोच ने स्वीकारा कि टीम में संतुलन का अभाव है। गेंदबाजी और बल्लेबाजी में बीच के ओवरों में खराब प्रदर्शन, केएल राहुल की कप्तानी और वेंकटेश अय्यर को टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी के लिए नहीं उतारना कई कारण हैं, जो सवाल खड़े करते हैं। छठे सातवें नंबर पर हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा जैसे ऑलराउंडर्स की कमी है।
ऑलराउंडर्स की भारी कमी
किसी भी क्रिकेट टीम के छठे, सातवें और आठवें नंबर के खिलाड़ी ही टीम को मजबूत बनाते हैं। अमूमन इनसे उम्मीद की जाती है कि वह बल्ले और गेंद दोनों के साथ कमाल करे। यही वो खिलाड़ी होते हैं जो ऑलराउंडर्स की भूमिका निभाते हैं। द्रविड़ ने भी इस ओर इशारा किया था। हार्दिक पंड्या और जडेजा का खराब फिटनेस की वजह से बाहर होना वाकई में टीम को खल गया क्योंकि मौजूदा टीम में सारे मैच विनर्स टॉप ऑर्डर में ही हैं, निचला क्रम अपेक्षाकृत कमजोरी ही दिख रहा है। वेंकटेश अय्यर को और मौके की जरूरत है।
मिडिल ऑर्डर फिर कमजोर दिख रहा
चौथे, पांचवें या छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों को पता होना चाहिए कि टीम की जरूरत क्या है। श्रेयस अय्यर तीनों मैचों में जल्दी आउट हो गए। चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आ रहे ऋषभ पंत उस स्पॉट की अहमियत नहीं समझ पा रहे, उन्हें निडरता और लापरवाही के बीच महीन लाइन का फर्क समझना होगा। गैरजरूरी शॉट्स से बचना होगा। यह वही मध्यक्रम है, जिसकी कमजोरी के चलते भारत ने 2019 का वर्ल्ड कप गंवाय था। टीम में हर स्पॉट के लिए कड़ी लड़ाई है इसलिए खिलाड़ियों पर दबाव से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
कप्तानी विवाद के बीच ड्रेसिंग रूम का माहौल
भारतीय टीम बदलावों के दौर से गुजर रही है। विराटट-रोहित के बीच मनमुटाव जगजाहिर है। ऐसे में दो बड़े खिलाड़ियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई ड्रेसिंग रूम के माहौल में नहीं दिखनी चाहिए। वैसे राहुल द्रविड़ पुराने चावल हैं। बतौर कप्तान और बल्लेबाज वह ऐसे हालातों का सामना कर चुके हैं। अंडर-19, इंडिया ए और आईपीएल की कई टीमों को कोचिंग दे चुके राहुल द्रविड़ को हालातों से निपटना भी आता है।
– एजेंसियां
- यूपी के अलीगढ़ में युवक ने की ममेरी बहन से किया निकाह, पहली बीबी को तीन तलाक़ देकर घर से निकाला, केस दर्ज - April 24, 2025
- See the World Clearly with Laser Refractive Surgery – A Guide to Life Beyond Glasses - April 24, 2025
- Vedanta to Train 80 More Budding Archers in Odisha’s Kalahandi, Olympian Rahul Banerjee to Mentor - April 24, 2025