IPS prabhakar chaudhary

दीपावली पर आप भी एस.एस.पी. आगरा प्रभाकर चौधरी को धन्यवाद दीजिए

लेख

Dr Bhanu Pratap singh

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22 अक्टूबर, 2022 से पंचदिवसीय दीपोत्सव शुरू हो गया है। दीपावली का त्योहार भगवान श्रीराम के लंका से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। यही इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। बाजारवाद के चलते अब दीपावली त्योहार के मायने बदल गए हैं। दीपावली और बाजारवाद एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। खानपान, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, आभूषण, वाहन समेत घर में उपयोग होने वाले हर तरह के सामान पर भारी छूट का ऐलान कंपनियां करती हैं। लोग खरीदारी के लिए उमड़ पड़ते हैं। बाजार में जाइए तो भारी भीड़ विचरण करती दिखाई देती है। ऐसा लगता है कि कोई ऑनलाइन खरीदारी कर ही नहीं रहा है।

ऑफर के कारण भीड़

मेरे जैसे अनेक लोग दीपावली के मौके पर बाजार में जाने से घबराते हैं। कारण है जाम। दुकानों के सामने वाहन खड़े करने का इंतजाम तो होता नहीं है लेकिन आकर्षक ऑफर के कारण भीड़ आ जाती है। दुकान चाहे सजावटी सामान की हो या आभूषणों की, लोग उमड़ रहे हैं। आप पुरानी आगरा में जाइए तो पैर रखने को भी जगह नहीं है। धनतेरस पर तो और भी तगड़ा नजारा दिखाई दिया। इस बार तो धनतेरस दो दिन 22 और 23 अक्टूबर को मनाई गई। इस कारण नमक की मंडी में आभूषण दुकानदारों के यहां ऐसी भीड़ रही जैसे सब्जी मंडी हो।

यहां होकर गया

इत्तिफाक से धनतेरस पर मुझे भी शहर में निकलने का अवसर मिला। ना, ना खरीदारी के लिए नहीं बल्कि एक कार्यक्रम का बुलावा मिलने पर। आमतौर पर मैं उन्हीं कार्यक्रमों में जाता हूँ जहाँ से व्यक्तिगत आमंत्रण आता है। व्हाट्सएप पर भी वही आमंत्रण स्वीकार करता हूँ, जिसके लिए फोन आ जाए। प्रेस वार्ता आदि के कार्यक्रम फोन आने पर ही स्वीकार करता हूँ। एमजी रोड पर नए खुले शोरूम शॉप स्क्वायर का उद्घाटन कार्यक्रम था। मैं सोच रहा था कि घर से निकलूंगा तो जाम में फँस जाऊँगा। मैं अपने घर शास्त्रीपुरम से निकलता हूँ तो पश्चिमपुरी चौराहा, कारगिल चौराहा, भावना क्लार्क्स वाला चौराहा, मदिया कटरा, दिल्ली गेट, हरीपर्वत पर जाम मिलता है। जाम में फँसने के लिए मानसिक रूप से तैयार होकर गया था।

चार घंटा भ्रमण के बाद खुशी

मैं यह देखकर आश्चर्यित हो गया कि जाम तो मिला लेकिन लाल बत्ता वाला। हर चौराहे पर यातायात पुलिस के साथ होमगार्ड वाले तैनात थे, जो यातायात को नियंत्रित कर रहे थे। मैं संजय प्लेस से घटिया आजम खां, बेलनगंज, गुदड़ी मंसूर खां होता हुआ रावतपाड़ा तक गया। किसी भी चौराहा पर वाहन फँस नहीं रहे थे। इसका कारण यह था कि यातायात नियंत्रित हो रहा था। मैंने करीब चार घंटा भ्रमण किया लेकिन जाम नहीं मिला। हर चौराहे पर व्यवस्था अंदर से मुझे अत्यंत खुशी महसूस हुई। हो सकता है इन पंक्तियों को पढ़ने वालों का अनुभव अलग हो, लेकिन जैसा मैंने महसूस किया है, वैसा लिपिबद्ध कर दिया है।

जाम लगता है क्या होता है

आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में समय की बड़ी महत्ता है। जाम लगता है तो न केवल समय खराब होता बल्कि बेवजह ईंधन फुंकने से वातावरण प्रदूषित होता है, झुंझलाहट आती है, मानसिक क्लेश होता है, खर्च भी बढ़ता है। निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पाते तो स्वयं को बेइज्जत महसूस करते हैं। इसलिए मैं आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री प्रभाकर चौधरी और यातायात पुलिस को साधुवाद देता हूँ। आशा है पंच दिवसीय दीपोत्सव में इसी तरह के प्रयास करते रहेंगे ताकि नागरिकों को जाम से मुक्ति मिल सके।

इनके प्रयास भी सफलीभूत

अधिकारी से नेता बने उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में यातायात पर जोरदार काम किया था। सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी वे यातायात पर खूब बोलते थे। वर्ष 2008 में जब मैं हिन्दुस्तान अलीगढ़ का प्रभारी था, तब वे अलीगढ़ के एस.एस.पी. थे। उन्होंने अलीगढ़ में यातायात के लिए जो व्यवस्था बनाई, उसमें से कुछ आज भी काम कर रही हैं। गृह जनपद होने के कारण अलीगढ़ जाना होता है, इसलिए जानकारी मिलती रहती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में श्री सुभाष चन्द्र दुबे, श्री बबलू कुमार, श्री अमित पाठक ने भी यातायात सुधारने के लिए खासे प्रयास किए थे। बिजलीघर चौराहा पर आज जो थोड़ी बहुत शांति है, तभी का प्रयास है।

दुकान के अंदर कराएं दुकानदारी

मैं यह भी अवगत करना चाहता हूँ कि आगरा की सड़कें चौड़ी हैं, लेकिन दुकानदारों ने सँकरी कर रखी हैं। किसी भी सड़क पर निकल जाइए, आधी दुकान सड़क पर होती है। त्योहारों के अवसरों पर तो छूट दी जा सकती है लेकिन सामान्य दिनों में भी यही काम होता है। अगर दुकानदारों को दुकानदारी दुकान के अंदर करना सिखा दिया जाए तो आगरा शहर को जाम से स्थाई रूप से मुक्ति मिल सकती है। आशा है श्री प्रभाकर चौधरी इस ओर भी ध्यान देंगे।

मेरठ में वाहन माफियाओं की कमर तोड़ी

आइपीएस प्रभाकर चौधरी का काम करने का अंदाज बेहद अनूठा है । कर्तव्य को प्राथमिकता और ड्यूटी में अनुशासन में प्रभाकर चौधरी विश्वास रखते है । कानून को सख्ती से पालन करना और और करवाना सर्विस की पहली जरूरत मानते हैं । प्रभाकर चौधरी को 15 जून 2021 को मेरठ का एसएसपी बनाया गया। ज्वाइनिंग से पहले इन्होंने 15 से 17 जून तक छुट्टी पर रहे। इस दौरान उन्होंने सिंघम स्टाइल में गुपचुप तरीके से शहर घूमा और स्थिति का जायजा लिया। वाहन माफियाओं की कमर तोड़ दी। वाहन चोरों के कुख्यात सरगना नईम उर्फ हाजी गल्ला की करोड़ों की संपत्ति जब्त की। अन्य अपराधियों की कुर्की भी की गई। 50 से ज्यादा वाहन चोरों को जेल भेजा। श्री प्रभाकर चौधरी का मेरठ से तबादला होने पर मोहम्मद शान नामक युवक ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन करके आत्महत्या की धमकी दी थी।

रोडवेज बस में चार्ज लेने पहुंचे

2010 बैच के आईपीएस प्रभाकर चौधरी लखनऊ से बेहद खास अंदाज में कानपुर पहुंचे । इन्होंने यूपी रोडवेज की बस से पीठ पर बैगपैक लादकर टेम्‍पो पकड़ा और अकबरपुर की तरफ रवाना हो गया। एसपी ऑफिस पहुंचकर मांगा सीयूजी सिम…युवक सामान्य इंसान की तरह अंदर गया और नजारा देखा। चुपचाप स्टेनो के पास पहुंचकर सीयूजी सिम मांगा। इस पर स्टेनो ने पूछा, ‘आप कौन हैं जो सिम मांग रहे हैं’? युवक ने जवाब दिया, ‘मैं प्रभाकर चौधरी’। नाम सुनते ही एसपी बंगले में मौजूद पुलिसवालों में हड़कंप मच गया। हर कोई सावधान की मुद्रा में आ गया और नए कप्तान को सलाम किया। बलिया, बुलंदशहर, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी में भी एसएसपी रह चुके हैं।

आगरा में भ्रष्ट पुलिस वालों पर कार्रवाई

आगरा में उन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस वालों के खिलाफ सख्ती की है। कई पुलिस वाले निलंबित किए जा चुके हैं। दर्जनों के खिलाफ जांच चल रही है। श्री प्रभाकर चौधरी वर्ष 2013-14 में आगरा में ए.एस.पी. रहे थे। पुलिस क्षेत्राधिकारी लोहामंडी थे। उनकी कार्यप्रणाली के बारे में सब लोग जानते हैं। जून, 2022 से वे आगरा में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं।

2010 बैच के आईपीएस अधिकारी

उनका जन्म 1 जनवरी 1984 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में हुआ । इनके पिता का नाम पारस नाथ चौधरी है। वह रोज पांच से छह घंटे पढ़ा करते थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में 76 प्रतिशत अंक ही प्राप्त किए तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी 61 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण किया। एलएलबी की पढ़ाई की। पहली ही बार में सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण कर आईपीएस बन गए। 2010 बैच में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफल हुए।

भानु प्रताप सिंह, संपादक

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Dr. Bhanu Pratap Singh