Supreme court of India

SC-ST के सिर्फ सरकारी नौकर ही क्यों, सांसद-विधायक भी क्रीमी लेयर में आने चाहिए

लेख

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Live Story Time

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.  उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि राज्य सरकार को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति के उप वर्गीकरण का अधिकार है। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने क्रीमी लेयर पर 281 पेज का फैसला लिखा है, जिस पर तीन न्यायमूर्तियों ने सहमति जताई है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई ने फैसले में उदाहरण देते हुए लिखा है- पिछड़े वर्ग का एक व्यक्ति आईएएस या आईपीएस या अखिल भारतीय सेवा का कोई अन्य अधिकारी बन जाता है और समाज में उसकी स्थिति सुधर जाती है, फिर भी उसके बच्चों को आरक्षण का पूरा लाभ मिलता है। क्रीमी लेयर के पक्ष में अपनी राय देते हुए यह बात कही गई है।

उन्होंने राय दी है कि राज्यों को एससी और एसटी आरक्षण में भी क्रीमी लेयर की पहचान करने की नीति बनानी चाहिए ताकि उन्हें आरक्षण से बाहर रखा जा सके। साफ है कि पिछड़ा वर्ग में ही नहीं, अनुसूचित जाति-जनजाति में भी क्रीमी लेयर की पहचान होनी चाहिए।

सवाल यह है कि यह व्यवस्था सरकारी नौकरियों में ही क्यों, विधानसभा और लोकसभा में क्यों नहीं? जो व्यक्ति आरक्षण के चलते एक बार सांसद या विधायक बन गया तो उसे दोबारा आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। सरकारी नौकर की तरह  सांसद और विधायक भी तो क्रीमी लेयर में आ जाएगा। सरकारी नौकर की तरह सांसद और विधायकों को भी वेतन-भत्ता मिलता है। फिर ये भी तो क्रीमी लेयर में आने चाहिए।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh