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समाजसेवी राजेश खुराना की कॉलेज लाइफ में महिला मित्र कौन-कौन थीं, क्या Love Marriage की है? देखें वीडियो

साक्षात्कार

आगरा के राजेश खुराना ऐसे समाजसेवी हैं जो छपने की चिन्ता किए बिना समाजसेवा में तल्लीन हैं। उनके लिए समाजसेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। गौसेवा उनका खासा रुचि का विषय है। बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं। आत्मनिर्भरः एक प्रयास संस्था के बैनर तले लोगों को अपने पैरों पर खड़ा होने का हुनर सिखाते हैं। वे हिन्दूवादी हैं।  जूता उद्यमी हैं। फिर भी कोई तामझाम नहीं है। उनके कार्यों के मद्देनजर भारत सरकार ने उन्हें आगरा स्मार्ट सिटी का सदस्य नामित किया है। संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह को दिए साक्षात्कार में उन्होंने अपनी निजी जिन्दगी के कई पन्ने खोले हैं। इस साक्षात्कार में आप पहली बार में बहुत सी बातें उनके बारे में जानेंगे।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके जीवन का लक्ष्य क्या था?

राजेश खुरानाः मैं अधिवक्ता बनना चाहता था। लॉ में बहुत रुचि थी।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लेकिन आप उद्योगपति बन गए?
राजेश खुरानाः इसका कारण यह कि मेरे परिवार में मैन पॉवर की कमी थी। पिताजी का साथ देना था। मैंने सोचा कि व्यापार करते हुए अधिवक्ता का काम भी कर लूंगा लेकिन पिताजी के देहावसान के कारण पूरा समय व्यापार में देना पड़ा।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः भोजन में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?

राजेश खुरानाः सादा और शाकाहारी भोजन पसंद है। आलू, दाल, राजमा-चावल बहुत प्रिय है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आलू-दाल ही खाने हैं तो उद्योगपति क्यों बने?

राजेश खुरानाः भोजन तो सबके लिए समान ही है। अंतर शाकाहार और मांसाहार का होता है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः भोजन मां के हाथ का अच्छा लगता है या पत्नी के हाथ का?

राजेश खुरानाः ये सवाल बड़ा वैसा वाला है। मां के हाथ का स्वाद अलग है। पहला नम्बर मां के हाथ का भोजन है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः दोनों के भोजन में कोई फर्क महसूस होता है?

राजेश खुरानाः मां बच्चे के भोजन में अपनी ममता डालती है। पत्नी कभी-कभी फर्ज निभाने के लिए भी भोजन बनाती है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कभी पत्नी को अपने हाथ से खाना खिलाया है?

राजेश खुरानाः कई दफा खिलाया है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या पत्नी ने भी अपने हाथ से खाना खिलाया है कभी?

राजेश खुरानाः पत्नी ने भी खिलाया है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप भीषण सर्दी में भी रोजाना स्नान करते हैं?

राजेश खुरानाः नहीं, मैं तो 12 महीने दो बार स्नान करता हूँ।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः घूमने के लिए सबसे ज्यादा कौन सा स्थान अच्छा लगता है?

राजेश खुरानाः मुझे नदी किनारा बहुत पसंद है। तैरना नहीं आता है। ईश्वर की देन है सब।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी हॉबीज क्या हैं?

राजेश खुरानाः मुझे पढ़ना लिखना और हर विषय की पूरी जानकारी लेना पसंद है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः ‘मैं हिन्दू’ पुस्तक लिखने का विचार कैसे आया?

राजेश खुरानाः आज की युवा पीढ़ी को अपने हिन्दू रीति-रिवाजों का वैज्ञानिक आधार पता नहीं है। इसी का बोध कराने के लिए पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक हर हिन्दू घर में होनी चाहिए।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः पसंदीदा गाना कौन सा है?

राजेश खुरानाः कई गाने पसंद है। बचपन में ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार बहुत पसंद था।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कोई भजन पसंद है?

राजेश खुरानाः हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे,  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप संबोधन में राधे-राधे बोलते हैं, इसका कारण क्या है?

राजेश खुरानाः ठाकुर जी के भक्त हैं हम।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या बाथरूम में कभी गाना नहीं गुनगुनाया?

राजेश खुरानाः नहीं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी नजर में सबसे अच्छा अभिनेता और अभिनेत्री कौन सी है?

राजेश खुरानाः अमिताभ बच्चन और रेखा।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सबसे अच्छा नेता कौन सा है?

राजेश खुरानाः बाबा योगी आदित्यनाथ महाराज। वे बड़े अच्छे प्रशासक हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः वस्त्रों में कौन सा रंग पसंद है?

राजेश खुरानाः पीला, भगवा।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपको किससे डर लगता है और क्यों?

राजेश खुरानाः भयभीत तो किसी से नहीं होता। ठाकुर जी की छत्रछाया है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कॉलेज लाइफ में कोई महिला मित्र बनी क्या?

राजेश खुरानाः स्कूल से लेकर आज तक हैं महिला मित्र।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कॉलेज लाइफ में सहपाठी को देखकर कभी सीटी मारी?

राजेश खुरानाः ऐसा कभी नहीं हुआ। सहपाठियों में मेरी छवि अच्छी रही है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या कॉलेज में कभी मारपीट की?

राजेश खुरानाः नहीं। व्यावहारिक रहा।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपने क्या लव मैरिज की थी?

राजेश खुरानाः अरेंज मैरिज हुई है। मेरे माता-पिता ने जीवनसाथी अच्छी चुनी। अपने आप इतनी अच्छी जीवन साथी का चयन नहीं कर पाता।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः शादी और सगाई के बीच में अंतर रहा क्या?

राजेश खुरानाः एक साल का अंतर रहा। मैं मिलने जाता था दिल्ली।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः ऐसा कोई वाकया जब आपकी पत्नी से तकरार हुई हो और आपने अलग अंदाज में मनाया हो?

राजेश खुरानाः वैवाहिक जीवन पूर्ण नहीं है तकरार हुए बिना। कभी गिफ्ट, हाथ से भोजन कराकर, फिल्म दिखाकर मनाते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सेवा श्रेष्ठ है या राजनीति?

राजेश खुरानाः सेवा श्रेष्ठ है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः दिन में कितनी बार झूठ बोलते हैं या बोलना पड़ता है?

राजेश खुरानाः जरूरत नहीं पड़ती झूठ बोलने की। जब तक व्यापारी था, तब तक पड़ती थी झूठ बोलने की। अब सेवा क्षेत्र में जरूरत नहीं पड़ती है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी सफलता का रहस्य क्या है?

राजेश खुरानाः किसी के साथ गलत मत करो, गलत नहीं करोगे तो डरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। झूठ-फरेब देर-सवेर सामने आ जाता है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप झूठे-फरेबी नहीं हैं, इसीलिए राजनीति में नहीं आए क्या?

राजेश खुरानाः मैं यह नहीं कहता कि राजनीति में हर व्यक्ति झूठा और फरेबी है। मेरी रुचि नहीं थी।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपको आगरा पसंद है तो क्यों?

राजेश खुरानाः आगरा मेरी जन्मभूमि, मातृभूमि है। आगरा में किसी प्रकार की कमी नहीं है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप अपने जीवन से संतुष्ट हैं?

राजेश खुरानाः ठाकुर जी का धन्यवाद है, जो मैंने चाहा, वह पाया। मेरी इच्छा थी कि धर्म और राष्ट्र की सेवा करूँ। मेरे बेटे ने काम संभाल लिया तो मैं सेवा कर पा रहा हूँ।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जीवन का कोई ऐसा किस्सा जो सबके साथ शेयर करना चाहते हैं?

राजेश खुरानाः छोटी-मोटी घटनाएं हैं। भगवान की बड़ी कृपा है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सेवा करने वालों को क्या संदेश देंगे?

राजेश खुरानाः सेवा निःस्वार्थ भाव से करो। आपकी सेवा अपने आप नेम-फेम देगी।

Dr. Bhanu Pratap Singh