मेरा भारत स्वस्थ भारत समिति के अध्यक्ष डॉ. बीएस बघेल ने कराई संगोष्ठी
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Agra, Uttar Pradesh, India. मेरा भारत स्वस्थ भारत समिति ने यूथ हॉस्टल, संजय प्लेस में संविधान के शिल्पकार भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की 132 वी जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया। सभी प्रतिभागियों को भारतीय संविधान की किताबें, पत्रिकाएं व मोमेंटो भेंट किए गए। वक्ताओं ने कहा कि किसी से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर का संविधान साथ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि बाबा साहब ने अंत में बौद्ध धर्म को अपनाया था, क्योंकि वह गौतम बुद्ध के विचारों से बहुत प्रभावित थे। महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के लिए अपने परिवार और राजपाट का त्याग कर दिया था। त्याग करने से पहले उन्होंने सबको पहले से ही सूचित कर दिया था कि मैं जल्द ही यह सब छोड़ दूंगा। डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने समाज में चल रही जाति व्यवस्था एवं सामाजिक भेदभाव की नीतियों से दूर रहने की सलाह दी। पढ़ाई को पूरा करने के लिए जो भी संघर्ष करना पड़े वह करके ज्ञान प्राप्त करें तथा इन सब बातों से दूर रहें।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आशीष यादव (आईएसए एलाइड) ने डॉ भीमराव आंबेडकर की तरह बनने के लिए प्रेरित किया। बाबा साहब कष्ट झेल कर, तप कर सोने की तरह चमके। बताया कि आज के युग में ज्ञान ही शक्ति है, अतः ज्ञानवान और शक्तिमान बनें। हमें किसी से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। यह तभी संभव होगा जब हमें सभी के बारे में ज्ञान होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को बाबा साहब के जीवन के आदर्शों से प्रेरित होकर पढ़ाई करने की सलाह दी। व्हाट्सएप, मोबाइल एवं व्यर्थ में समय बर्बाद करने के लिए मना किया।
डॉक्टर संतोष कुमार सिंह (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा) ने बताया कि हमें संविधान की सोच को बचाना है। आज के परिवेश में उसे जिताना भी है। संविधान ने ही हमें बहुत सारे अधिकार दिए हैं। अपने कर्तव्यों के पालन के निर्वहन करने के लिए हमें रास्ता बताया है। सभा में आए मेडिकल विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि बाबा साहब आंबेडकर की तरह आप लोग भी डरें नहीं और न हीं परेशान हों, संघर्ष करते रहें, मेहनत करते रहें और बाबा साहब के आदर्शों पर चलकर उन्हीं की तरह अपना नाम रोशन करें।
डॉक्टर खुशहाल सिंह यादव (डेंटल सर्जन आगरा) ने बताया कि किस तरह डॉ. आंबेडकर हिन्दू कोड बिल के विरोध में झुके नहीं बल्कि कानून मंत्री से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने कहा कि हमें भी डॉ. अंबेडकर की तरह ही अपने आदर्शों को ऊंचा रखना चाहिए। हमें किसी से डरना या घबराना नहीं चाहिए। यदि कोई बात सही है तो उसे पूर्ण विश्वास के साथ रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि डॉ. आंबेडकर ने कैसे अभावों भरे जीवन में संघर्ष किया।
डॉ. के एस दिनकर (प्रोफेसर ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट एसएनएमसी आगरा) ने बताया कि आज भी काफी कम लोग डॉ आंबेडकर के बारे में जानते हैं। आज भी लोग यही समझते हैं कि वह केवल दलितों के नेता थे, बल्कि वह सर्वसमाज के नेता थे। उन्होंने संविधान के अलावा बड़ी-बड़ी परियोजनाओं जैसे कि दामोदर बांध योजना, भाखड़ा नांगल बांध योजना में भी सुझाव और प्रस्ताव दिए। कानून मंत्री के साथ-साथ वह श्रम मंत्री भी रहे। उस समय श्रमिकों की स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके सुधार के लिए कई तरह के नियमों को पारित भी करवाया। उन्होंने स्त्रियों के अधिकार व सम्मान के लिए भी लड़ाई लड़ी। स्त्रियों से संबंधित कई सारे नियमों को उन्होंने लागू करवाया।
डॉ. हिमांशु यादव (प्रोफेसर नेत्र विभाग एसएनएमसी आगरा) ने बताया- उस समय असमानता चरम पर थी। स्त्रियो, दलितों एवं गरीब आदमियों की स्थिति अच्छी नहीं थी। बाबा साहब एक सूर्य की रोशनी की तरह आए। उन्होंने गरीबों, दलितों, स्त्रियों के समान अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, सामाजिक भेदभाव एवं कुरीतियों का खंडन किया, जिससे दलितों और स्त्रियों की स्थिति सुदृढ़ बनी।

डॉ. शिव प्रताप सिंह (प्रोफेसर सहारनपुर मेडिकल कॉलेज) ने बताया कि किस तरह बाबा साहब ने सामाजिक भेदभाव का विरोध किया तथा दलितों को समानता का अधिकार दिलवाए।
प्रोफेसर नीरज यादव (एसएनएमसी आगरा) ने बताया कि बाबा साहब ने अकेले ही गरीबी में रहते हुए अपनी पढ़ाई को पूरा किया। उन्होंने बहुत सारी डिग्रियां हासिल की जो कि अपने आप में विशेष बात है। उन्होंने सामाजिकन्याय, असमानता, सामाजिक भेदभाव जैसे कार्यों पर खूब संघर्ष किया। दलितों, पिछड़ों के लिए काफी कार्य किए।
मेरा भारत स्वस्थ भारत समिति के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध ई.एन.टी. सर्जन डॉ. बी एस बघेल ने बताया कि बाबा साहब ने किस तरह प्रारंभिक पाठशाला से लेकर कॉलेज तक जातिपांत, सामाजिक भेदभाव को लेकर उन्होंने विरोध झेला और संघर्ष कर विदेश में जाकर अपनी पढ़ाई को पूरा किया। ऐसी ऐसी डिग्रियां हासिल की जो कि आजकल कई लोगों के लिए सपने की तरह हैं। उन्होंने कहा के जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए। आपको अपनी बात सच्चाई के साथ और डटकर कहनी चाहिए। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के कई पहलुओं पर विशेष रूप से प्रहार किया। भारत के संविधान की रचना की। बाबा साहब के विचारों जैसे कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार होता है तब दवा की जरूरत होती है, मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो समानता, स्वतंत्रता एवं भाईचारे पर आधारित हो। बाबा साहब के राजनीतिक गुरु ज्योतिराव फुले थे। अतः हमें ज्योतिराव फुले के विचारों का भी अनुसरण करना चाहिए। अंत में वह बुद्ध धर्म की शरण में गए इसीलिए हमें बुद्ध के विचारों को भी सुनना चाहिए।
डॉ. शिखा गौतम, डॉ. अरविंद एवं डॉ. मनोज कुमार पिप्पल जूनियर रेजिडेंट, टीबी एंड चेस्ट, एसएनएमसी आगरा ने भी बाबा साहब के विचार एवं स्त्रियों के अधिकारों के बारे में चर्चा की। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव एवं डॉ. वीरेंद्र सिंह यादव डेंटल फैकल्टी, एसएनएमसी आगरा ने भी डॉ. साहब भीमराव अंबेडकर के विचारों के बारे में चर्चा की।
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