नेशनल चैम्बर ने किया निरीक्षण, मदद के लिए बढ़ाए हाथ, जनप्रतिनिधियों से आगे आने का आह्वान
Agra, Uttar Pradesh, India. हमारे शहर में जल पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। जल का प्रबंधन सही न होने के कारण समस्या आ रही है। अगर जोधपुर झाल के पानी को व्यर्थ होने से रोक दिया जाए और इन्टेक एवं डिस्चार्ज का सही प्रबंधन कर दिया जाए तो क्षेत्र में पानी की समस्या का समाधान हो सकता है।
जोधपुर झाल आगरा नहर का टर्मिनल है। ओखला से 100 मील (107.9 34 किलोमीटर) की दूरी तय करके नहर झाल के ठीक अपस्ट्रीम में समाप्त हो जाती है। इसका पानी टर्मिनल राजवाह, सिकन्दरा राजवाह में विभक्त हो जाता है। पांच सौ मीटर के बहाव के बाद सिकन्दरा राजवाह से ही कीठम एस्केप निकलता है। कीठम एस्केप अब एस्केप न रहकर रैग्युलर नहरी चैनल का रूप ले चुका है। सूर सरोवर पक्षी विहार में कीठम झील का जलस्तर 19 फीट तक बनाये रखना एस्केप पर लगे गेटों से नियंत्रित होता है।
आगरा नहर दरअसल मूल रूप में नौवहन के लिये 1875 मे शुरू हुई थी। सिकन्दरा रजवाह इसी नौवहन चैनल का भाग है, इससे होकर दिल्ली से आने वाली मालवाही बोट आगरा तक पहुंचती थीं। टर्मिनल रजवाह और सिकंदरा रजवाह के बीच की लगभग 55 हेक्टेयर जमीन पर जलाशय था। जब नहरों का सरप्लेस पानी संग्रहीत रहता था और सिकंदरा रजवाह में पानी की कमी के समय इसे छोड़कर कर नौवहन के उपयुक्त रखने की व्यवस्था थी। इसी जलाशय को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गठित बृजतीर्थ परिषद के प्रोजेक्ट के तहत पं. दीन दयाल सरोवर के रूप में विकसित करने की सिचांई विभाग आगरा ने संस्तुति की हुई है।
नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल एवं पूर्व अध्यक्ष सीताराम ने जलाधिकार फाउंडेशन के साथ जोधपुर झाल का निरीक्षण किया। निरीक्षण से पूर्व आगरा में पानी की समस्या के समाधान को लेकर जलाधिकार फाउंडेशन के साथ एक बैठक की गई। इसमें जोधपुर झाल के सम्बन्ध में गहन विचार मंथन किया गया था। जोधपुर झाल जलाशय को पंडित दीनदयाल सरोवर के रूप में विकसित किया जाना एक बहुउद्देश्यीय महत्वाकांक्षी योजना है। आगरा नहर के सिकंदरा राजवाह का सुदृढ़ीकरण के कार्य की आवश्यकता है। दरअसल सिकंदरा रजवाह योजना की ही नहीं सूरसरोवर कीठम झील के लिए डिस्चार्ज होने वाले पानी की व्यवस्था की भी रीढ़ है।
चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि नहर की पटरी जहां कमजोर होगी, वहां अर्थवर्क करवाया जाना है। इस हेतु चैम्बर हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है। इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता के साथ चेंबर शीघ्र ही एक बैठक करने जा रहा है। यदि सिंचाई विभाग अपनी सहमति और डिजाइन आदि उपलब्ध करवा देगा तो जरूरी सैल्युस गेट भी उपलब्ध करवाने के बारे में प्रयास किया जायेगा जिससे नहर भी सुरक्षित रहें और एक बूंद पानी भी व्यर्थ न हो।
ज्ञातव्य हो कि नहरी पानी के इंटेक और डिस्चार्ज प्वाइंट पर रेगुलेटर होना नहर और जलसंचय व्यवस्था के लिए हमेशा आवश्यक होती हैं। ऐसे सभी कार्य नहर विभाग के द्वारा नहरों के संचालन हेतु सामान्यतः करवाए जाते रहते हैं किंतु सामयिक दृष्टि से ये महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।
जलाधिकार फाउंडेशन के राजीव सक्सेना ने कहा कि जोधपुर झाल एवं आगरा टर्मिनल में यदि ये छोटे-छोटे सुधार हो जाते हैं तो पानी का व्यर्थ बहाव बंद हो जायेगा। साथ ही पानी के इन्टेक एवं डिस्चार्ज तथा संग्रहीत जल का ठीक प्रबंधन होने से पानी समुचित रूप से मिलता रहेगा। इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा और विभागीय अधिकारियों को इच्छा शक्ति उत्पन्न करनी होगी।
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