Agra, Uttar Pradesh, India. आखिर वही हुआ, जिसकी आशा व्यक्त की जा रही थी। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह चौहान अपनी पुत्रवधु को हेलीकॉप्टर से लेकर आए। हेलीकॉप्टर से प्रियजनों पर पुष्प वर्षा भी कराई। इस विवाह की शहर से लेकर देहात तक चर्चा है। यह तय हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव पर इस विवाह का प्रभाव पड़ेगा। वे खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट मांग सकती हैं।
कौन हैं भानु प्रताप सिंह चौहान
भाग्य नगर, बाईपास, सिकंदरा, आगरा निवासी भानु प्रताप सिंह चौहान पुत्र जितेन्द्र चौहान का विवाह मोनिका सिंह पुत्री भाजपा नेता रणबल सिंह सिकरवार (निवासी भिलावली, खेरागढ़) के साथ छह दिसम्बर, 2021 को हुआ। विवाह समारोह श्री रघुकुल महाविद्यालय, बकालपुर (कागारौल-जगनेर रोड) पर संपन्न हुआ। विवाह समारोह में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। सात दिसम्बर, 2021 को दोपहर 12 बजे दुल्हन की विदाई हेलीकॉप्टर से हुई। हेलीकॉप्टर देखने के लिए ग्रामीण उमड़ पड़े। बेरीकेडिंग लगाकर उन्हें रोका गया। इस दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था थी। ग्रामीणों ने अपने गांव में पहली बार हेलीकॉप्टर देखा। यह विवाह दो राजनीतिक परिवारों का मिलन है। भानु प्रताप सिंह चौहान भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे बृज क्षेत्र से लेकर प्रदेश तक में उपाध्यक्ष रह चुके हैं। फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्ष 2014 में फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से दावेदारी की थी। अन्य दलों के दो ठाकुर प्रत्याशी होने के कारण भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।
क्या कहना है मोनिका सिंह का
मोनिका सिंह ने खेरागढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट की दावेदारी की है। अब वे बड़े राजनीतिक परिवार की बहू बनकर आई हैं। ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि मोनिका सिंह की दावेदारी अधिक प्रबल हो जाएगी। हेलीकॉप्टर में विदाई के लिए बैठी मोनिका सिंह ने राजनीति करने का निर्णय अपने ससुराल वालों पर छोड़ दिया है। उनका कहना है कि खेरागढ़ से टिकट की दावेदारी की है लेकिन अब विवाहोपरांत जैसा ससुराल वाले चाहेंगे, वैसा ही करेंगी।
मोनिका सिंह की राजनीति में पूरा सहयोग
इस बारे में भानु प्रताप सिंह चौहान का कहना है कि मेरे मन में लीक से अलग हटकर काम करने की रहती है। मैंने जब जाना कि मोनिका सिंह सामाजिक दृष्टि से लगातार सक्रिय हैं तो बहू बनाने का निश्चय किया। मोनिका सिंह ने कोरोना काल में जान की बाजी लगाकर काम किया। घर-घर जाकर कोरोना किट वितरित कीं। उन्हें कोरोना हो गया था, फिर भी सेवा के कार्य जारी रखे। 2012 में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर निकाली गयी यात्रा में भाग लिया था। निर्भया प्रकरण में भी पुलिस की जबर्दस्त घेराबंदी के बाद भी विरोध यात्रा निकाली। जिला पंचायत चुनाव में भाजपा से टिकट मांगी। तब लगा कि मोनका सिंह का रुझान राजनीति की ओर है। सेवा क्षेत्र में कार्य करने वालों को बड़ा अवसर मिले तो अधिक काम कर सकते हैं। तभी हमने सोचा कि ऐसा काम हो कि मोनिका सिंह के मन में नई उमंग हो। ये अपनी जन्मभूमि को कर्मभूमि बनाकर काम करें। कर्म महान होता है। अगर भाग्य और कर्म ने साथ दिया तो सेवा कार्य यथावत जारी रहेंगे। उनकी इस यात्रा में मेरा और मेरे परिवार का सहयोग रहेगा।
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