आगरा के अलावा मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, एटा, बदायूं तक के फरियादी आ रहे
सबको पानी और खिलाई जा रही मिठाई, नीम के पेड़ के नीचे पसीने से तरबतर, मंत्री पर गिरे जा रहे
डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. न्यू शाहगंज, आगरा में आगरा के सांसद और केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल का। रविवार 19 सितम्बर, 2021 को मैं दोपहर 12 बजे के आसपास अचानक ही पहुंच गया। मैंने घर के सामने पार्क में स्कूटी खड़ी की। बाल संवारे क्योंकि हेलमेट से खराब हो जाते हैं। घर में घुसने लगा तो वहां तैनात सीआईएसएफ (केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के जवान ने रोका।
मैंने विनम्रतापूर्वक कहा- मंत्री जी से मिलना है।
वह मुस्कराया और कहा- मंत्री जी तो सामने बैठे हैं।
मैंने फिर कहा- कहां बैठे हैं?
जवान ने फिर कहा- मंत्री जी सामने ही बैठे हैं और जनता से मिल रहे हैं।
मुझे ताज्जुब हुआ कि मंत्री जी सामने बैठे हैं और दृष्टव्य नहीं हैं। खैर, मैं पार्क में आया तो बड़ी संख्या में लोगों का झुंड दिखाई दिया। मैं समझ गया कि मंत्री जी इसी झुंड से घिरे हुए हैं। मैंने मोबाइल निकाला और वीडियो बनाने लगा। वहां एक से एक हस्तियां मौजूद थीं। सब खड़े ही हुए थे। एक कुर्सी पर मंत्री जी के कागज रखे थे। एक कुर्सी पर वे स्वयं बैठे थे। दूसरी कुर्सी खाली थी। वो तो अच्छा है कुछ पुलिस वाले भीड़ को रोक रहे थे वरना सबके सब मंत्री पर ही गिर पड़ते। भीषण उमस के कारण पसीने से तरबतर। जनता और मंत्री में फर्क इतना था कि वे कुर्सी पर बैठे हुए थे क्योंकि खड़े होकर प्रार्थनापत्र पर नोटिंग संभव नहीं हो पाती है। हालांकि मैं मास्क लगाए हुए था लेकिन कुछ लोगों ने पहचान लिया। कुआंखेड़ा के कमलेश गुप्ता मिले। वे पुरानी बातें करने लगे। मेरे पिताजी स्व. जगदीश प्रसाद वर्मा को याद करने लगे और अपने साथियों को इंगित करते हुए कहा- ये वरिष्ठ पत्रकार साहब हैं। इनके पिताजी ही बसंत (बसंत गुप्ता) को संघ में लेकर गए थे। आज वह डीजीसी है।

मुझे वहां नेमिनाथ होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. प्रदीप गुप्ता भी मिले। वे अपने नेहरू नगर, आगरा स्थित ओपीडी का शुभारंभ और डेंगू की दवा का निःशुल्क वितरण के लिए मंत्री जी को आमंत्रित करने आए थे। मंत्री जी के पीछे गौरव शर्मा खड़े थे। उनसे मेरी राम-राम हुई। उन्होंने मेरे लिए आगे स्थान बनाया। मैं भीड़ में जैसे-तैसे घुस गया। मैंने डॉक्टर साहब को परिचय कराया। नमस्कार ली।
मंत्री जी ने फिर कहा- क्या बताऊं, मेरे चाचा एक घंटा इंतजार करके चले गए। सबको पता है कि संडे को मैं अवश्य मिलता हूँ। ट्रेन से आकर सीधे यहीं बैठ गया हूं। घर में भी नहीं गया हूँ।
उनके हाथ में फरियादियों के प्रार्थनापत्र थे। वे सरकार की ओर से मिले पीएस को प्रत्येक प्रार्थनापत्र पर कवरिंग लेटर लिखवाते जा रहे थे। मेड़बंदी, दहेज हत्या, नितांत पारिवारिक विवाद, नौकरी, पुलिस, राजस्व संबंधी समस्याएं लोग लेकर आए थे। ताज्जुब इस बात का है कि मुस्लिम बड़ी संख्या में आए थे। वे यह भी कह रहे थे कि तुम्हीं को वोट दिया है। उन्होंने बिना किसी लागलपेट को लोगों से बातचीत की। पुलिस और लेखपालों की कार्यप्रणाली समझाई।
आरएसएस के केशव देव शर्मा आ गए। उनके साथ कुछ रिटायर्ड फौजी थे। उन्हें मिलवाया। ब्रह्माकुमारीज ईश्वरी विश्वविद्यालय से बहनें आईं। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाना चाहती थीं। मंत्री ने कहा कि मुझे इन तारीखों में पूर्वोत्तर में रहना है। एमएसएमई के अधिकरी शरद टंडन आए। उद्यमियों के साथ कार्यक्रम करा रहे हैं। प्रोफेसर बघेल ने साफतौर पर ताकीद किया कि आगरा में बहुत से जूता निर्यातक हैं, दूसरे, तीसरे, चौथे नम्बर वाले को भी वरीयता दो। अशोक पिप्पल ने शिकायत की कि ये किसी को नहीं पूछते हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार योजनाओं का सबको लाभ मिलना चाहिए, किसी व्यक्ति विशेष को नहीं। मुन्नालाल बघेल और अशोक कोटिया एडवोकेट भी वहीं विराजमान थे।

भीड़ बढ़ती जा रही थी। मंत्री जी कह रहे थे कि थोड़ी ऑक्सीजन आने दो, लेकिन फरियादी कुछ नहीं सुन रहे थे। उन्हें तो अपनी समस्या से मतलब था। जितने लोग मंत्री जी को घेरे खड़े थे, उससे कहीं अधिक पार्क में भ्रमण कर रहे थे और आ-जा रहे थे। कुछ लोग माला लेकर आए थे। तमाम लोग चरण स्पर्श कर रहे थे। मंत्री रोक रहे थे लेकिन कोई नहीं मानता था। भावनाओं की कद्र तो सबको करनी पड़ती है। नोटरी के लिए आवेदन लेकर आए एक व्यक्ति को ऐसी बात बताई कि उसका मुखमंडल प्रदीप्त हो उठा।
जलेसर से बघेल समाज की दो विरोधी पार्टी अनायास ही एक साथ आ गईं। मंत्री ने दोनों की बात सुनी।
पिटाई खाए व्यक्ति की ओर से एक युवक बोला- जो तुम कहोगे, वही करेंगे।
इस पर मंत्री जी मुस्कराए और मेरी ओर मुखातिब होकर कहा- हमारे समाज में जब किसी को बहुत सम्मान देना होता है तो ‘तुम’ कहते हैं। यह बात अलग है कि यह दरोगा को आप कहकर बोलता है।
ऐसी बात सुनकर हर कोई हँस पड़ा।
लोग आते जा रहे थे, समस्याएं सुलझाते जा रहे थे, पत्र लिखवाते जा रहे थे।

पौन बजे मंत्री जी घर से निकल लिए। पूर्व विधायक गुटियारीलाल दुबेश भी आए। मंत्री जी उन्हें अपना साथ सर्किट हाउस गाड़ी में ले गए और रास्ते में बातचीत की।सर्किट हाउस में जाकर योगी सरकार की साढ़े चार साल की उपलब्धियों को लेकर प्रेसवार्ता की। फिर लौटकर घर आ गए और एक बाऱ फिर जनता से मिलने का क्रम शुरू हो गया। मैं भी आ गया। बीना लवानिया आ गईं। उन्होंने मंत्री जी के नाम से एक प्रमाणपत्र छपवा रखा था जबकि उन्हें कोई सूचना नहीं दी थी। करीब एक घंटा तक वहां रहा। लोगों को ‘कमल का फूल’ भी याद दिला रहे थे। मुझे बाद में पता चला कि अंतिम व्यक्ति के रहने तक प्रो.एसपी सिंह बघेल नीम के पेड़ के नीचे जमे रहे। भाजपा बृज क्षेत्र एनजीओ प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दिगम्बर सिंह धाकरे को भी तमाम लोग घेरे हुए थे। गौरव शर्मा हों या नितिन गौतम या हिमांशु श्रीवास्तव या अर्पित, सब भाग दौड़ में लगे हुए थे।
अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशफाक सैफी एक मुस्लिम परिवार को लेकर आ गए। दोनों में इतने मतभेद कि शादी टूटने के कगार पर थी। प्रो. एसपी सिंह बघेल ने अपनी पत्नी मधु बघेल को ताकीद किया कि पंचायत करें। उन्होंने पंचायत की और परिवार टूटने से बच गया। अशफाक सैफी ने जब मंत्री को यह सूचना दी तो उनकी आवाज से खुशी टपक रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि आपका नाम तो इतिहास में दर्ज होगा। आपने न जाने कितने परिवार बचाए हैं। मंत्री ने उनसे विनोदपूर्ण लहजे में कहा- मिठाई खिलाओ।

अरे हां, एक बात तो लिखने से रह ही गई। फरियादियों को पानी और मिठाई वितरण का क्रम सतत रूप से चलता रहा। कुछ लोग लड्डू लेकर आए तो वे भी फरियादियों में वितरित करा दिए गए। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के फरियादी थे। उनके आगे मिठाई का डिब्बा किया गया तो कम से कम दो लड्डू उठाए। शहर वालों की तरह उनका काम एक लड्डू से नहीं चलता है। अधिकांश लोगों को मंत्री जी नाम और गांव का नाम लेकर पुकार रहे थे। फरियादी गद्गद् थे कि मंत्री जी उन्हें जानते हैं।
मुझे जानकारी मिली कि आगरा के अलावा मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, एटा, बदायूं तक के फरियादी प्रो. एसपी सिंह बघेल के पास आए हैं। यूं तो मैनपुरी के सांसद मुलायम सिंह यादव हैं लेकिन उनसे लोग मिल नहीं पा रहे हैं, इसलिए प्रो एसपी सिंह बघेल के पास आ रहे हैं।
अगर आपको यह लगता है कि सांसद, मंत्री बन गया तो मजे में है तो यह आपकी भूल है। सुबह से लेकर रात्रि तक सतत रूप से काम करना मायने रखता है। प्रो. एसपी सिंह बघेल शनिवार को दिल्ली में थे। हर बार की तरह रविवार को आगरा आ गए और आते ही जनता दरबार शुरू।
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