हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक भवानी प्रसाद मिश्र की आज पुण्यतिथि है। 29 मार्च 1913 को हौशंगाबाद में जन्मे भवानी प्रसाद मिश्र की मृत्यु 71 वर्ष की उम्र में नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश) में 20 फरवरी 1885 को हुई थी। भवानी प्रसाद मिश्र ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि हैं। गांधी-दर्शन का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह ‘गीत-फ़रोश’ अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे।
उन्होंने स्वयं को कभी भी निराशा के गर्त में डूबने नहीं दिया। जैसे सात-सात बार मौत से वे लड़े, वैसे ही आजादी के पहले गुलामी से लड़े और आजादी के बाद तानाशाही से भी लड़े। आपातकाल के दौरान नियम पूर्वक सुबह-दोपहर-शाम तीनों वेलाओं में उन्होंने कविताएं लिखी थीं जो बाद में त्रिकाल सन्ध्या नामक पुस्तक में प्रकाशित भी हुईं।
भवानी भाई को 1972 में उनकी कृति बुनी हुई रस्सी पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1981-82 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्यकार सम्मान दिया गया तथा1883 में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया।
गाँव टिगरिया, तहसील सिवनी मालवा, जिला होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में 29 मार्च 1913 को जन्मे भवानी प्रसाद मिश्र ने चित्रपट के लिये संवाद लिखे और मद्रास के एबीएम में संवाद निर्देशन भी किया। मद्रास से वे मुम्बई में आकाशवाणी के प्रोड्यूसर होकर गये। बाद में उन्होंने आकाशवाणी केन्द्र दिल्ली में भी काम किया। जीवन के ३३वें वर्ष से वे खादी पहनने लगे।
भवानी प्रसाद मिश्र उन गिने चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आम जनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे। उन्होंने ताल ठोंककर कवियों को नसीहत दी थी-
जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख।
और इसके बाद भी हम से बड़ा तू दिख।।
उनकी बहुत सारी कविताओं को पढ़ते हुए महसूस होता है कि कवि आपसे बोल रहा है, बतिया रहा है।
प्रकृति के प्रति अनुराग और सामाजिक चेतनाओं के प्रति सजगता दोनों ही बातें भवानी के काव्य में मिलती हैं। आपातकाल के दौरान उन्होंने ठान लिया था कि दिन के तीन पहर कविताएं लिखेंगे। उन्होंने सुबह, दोपहर और शाम कविताएं लिखीं। जिसे त्रिकाल संध्या नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया। उन्हीं दिनों की एक कविता है।
जीवन की सान्ध्य बेला में वे दिल्ली से नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश) एक विवाह समारोह में गये थे, वहीं अचानक बीमार हो गये और अपने सगे सम्बन्धियों व परिवार जनों के बीच अन्तिम साँस ली। उन्होंने किसी को मरते समय भी कष्ट नहीं पहुँचाया। उनके पुत्र अनुपम मिश्र एक सुपरिचित पर्यावरणविद थे।
-Legend news
- रोट्रेक्ट मरुधरा बीकानेर ने “हर घर राम” अभियान के तहत 2100 राम लला प्रतिमाओं का वितरण किया - April 26, 2024
- फिलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाली भारतीय मूल की छात्रा अचिंत्य शिवलिंगम US में गिरफ्तार - April 26, 2024
- Mindtrot Technologies launches New Technology Platform for Senior Living Service Providers - April 26, 2024