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ताज प्रेस क्लब में वे तीन घंटे, लता मंगेशकर के गीतों से ‘मौसम आशिकाना’ हो गया

ENTERTAINMENT

श्रद्धेय राजकुमार सामा विचार मंच ने सजाई लता मंगेशकर की स्मृति में सांगीतिक दोपहरिया

सुजाता शर्मा ने लता के गीतों की छेड़ी ऐसा तान कि तृप्त हो गए कान, दिल तेरा दीवाना है सनम

चंचल उपाध्याय, रईस भाई, जगत नारायण शर्मा ने भी दिया साथ, इस्लाम कादरी ने किया संचालन

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. मैं कोई संगीतज्ञ नहीं हूँ। गायक भी नहीं हूँ। हां, संगीत की थोड़ी सी समझ रखता हूँ। कोई कितना भी सुर, लय, ताल का ज्ञान बघारे पर संगीत वही है कर्णप्रिय हो, जो मन को आनंदित कर दे, जो वाह-वाह कहने के लिए विवश कर दे, जो अपलक कर दे। सुर वह है जिसे सुनकर आपको आसपास के माहौल का विस्मरण होने लगे। जी हां, कुछ ऐसा ही हुआ जब लता मंगेशकर के गीतों की तान सुजाता शर्मा, चंचल उपाध्याय और रईस भाई ने छेड़ी। कभी ‘मौसम आशिकाना’ हो गया तो कभी ‘सावन का महीना’ आ गया। ताज प्रेस क्लब में तीन घंटे कब बीत गए, पता ही नहीं चला। ये तीन घंटे कर्णप्रिय थे। ये तीन घंटे मन को आनंद के सागर में गोते लगाने वाले थे। सुजाता शर्मा के साथ लता मंगेशकर की छाया सी है। लता जी का एक गीत वे गा नहीं सकीं। इतनी भावविभोर हो गईं कि नेत्र सजल हो गए। ऐसा ही होता है जब गीत- संगीत आत्मा में वास करने लगता है। रईस भाई की आवाज मोहम्मद रफी से मिलती है तो चंचल उपाध्याय की आवाज किशोर कुमार की तरह है।

रंजीत सामा को धन्यवाद

ताज प्रेस क्लब में यूं तो एक से बढ़कर एक कार्यक्रम हुए हैं लेकिन स्वर कोकिला, भारत रत्न लता मंगेशकर की प्रथम पुण्यतिथि पर “संगीत श्रद्धांजलि समारोह” सबसे अलग रहा। लता मंगेशकर के बारे में कौन नहीं जानता है। उन्होंने 20 भाषाओं में 30 हजार से अधिक गीत गाए हैं। यह कार्यक्रम ताज प्रेस क्लब और श्रद्धेय श्री राजकुमार सामा विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। समाचार लेखन में धन्यवाद सबसे अंत में दिया जाता है लेकिन मैं इस सांगीतिक दोपहरिया के लिए रंजीत सामा को हृदय से धन्यवाद दे रहा हूँ। रंजीत सामा के बारे में हर आगरावासी जानता है। उन्होंने की फिल्में बनाई हैं, जिनके माध्यम से अनेक कलाकार, संगीतकार और गायकों को आगे बढ़ने का अवसर मिला है। पार्श्व गायिका सुजाता शर्मा में अगर आज लता मंगेश्कर की छाया है तो यह रंजीत सामा की ही देन है। वे उत्तर प्रदेश सरकार की ललित कला अकादमी के सदस्य भी हैं। सुजाता ने मंच से कई बार रंजीत सामा का नाम लिया और खुले दिल से श्रेय भी दिया। ताज प्रेस क्लब का मंच भी मनभावन और दर्शनीय रहा। इसका श्रेय प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य जगत नारायण शर्मा को जाता है।

sujata sharma and chanchal upadhyay
sujata sharma and chanchal upadhyay

इन नगमों ने मन को छुआ

तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना.., यारा सिली सिली, बिरहा की रात का जलना.., दिल में तुझे बिठा के कर लूंगी मैं बंद आँखें पूजा करूंगी तेरी…, तेरे चहेरे से नजर नहीं हटती नजारे हम क्या देखें, वादा करो नहीं छोड़ोगी तुम मेरे साथ, दिल तेरा दीवाना है सनम…, जनम जनम के फेरे जनम जनम के फेरे साँझ सवेरे सब को घेरे, आजा रे कब से खड़ी इस पार अँखियां थक गई पंथ निहार.., दिल तो है दिल दिल का एतबार क्या कीजे…, अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी…, सत्यम् शिवम् सुंदरम्.., हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया, ये गलियां ये चौबारा यहां आना न दोबारा हम तो भये परदेसी कि तेरा यहां कोई नहीं.., परदेस जाके परदेसिया भूल न जाना पिया…, जय जय शिव शंकर कांटा लगे न कंकर कि प्याला तेरे नाम का पीया.. दिल लगी ने दी हवा थोड़ा सा धुआँ उठा और आग जल गई तेरी मेरी दोस्ती प्यार में बदल गई.. जैसे सदाबहार नगमे सुनकर मन मयूर नृत्य करने लगा। ताज प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य जगत नारायण के साथ सुजाता शर्मा ने गाया- सावन का महीना पवन करे शोर… कुछ देर के लिए मैं भोजन करने चला गया सो एक-दो गीत सुन न सका, जिसका मलाल है।

खाटू श्याम

सुजाता शर्मा ने खाटू श्याम से वार्तालाप का अपना एक अनुभव सुनाया। बीच में विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल आ गए तो दोबारा सुनाया। फिर सांवरी सूरत पर मोहन दिल दीवाना हो गया… भजन सुनाया। लता मंगेशकर के श्रद्धांजलि समारोह में खाटू श्याम का भजन, कम से कम मुझे तो हजम नहीं हो रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं नास्तिक हूँ। मैं पूरी तरह आस्तिक हूँ।

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ताज प्रेस क्लब में श्रोता। सुजाता शर्मा सुना रही हैं नगमे।

सुजाता ने सुनाई एक घटना

सुजाता शर्मा ने लता मंगेशकर के बारे में कहा- मैंने बहुत सारे सिंगर सुने हैं लेकिन लता जैसा सिंगर न कोई था न कोई है और न कोई होगा। लोग कहते हैं कि सुजाता तुम गाती हो तो लता जैसा लगता है, मैं कहती हूँ कि सच तो वो था जो अब नहीं है। लता जी ने एक बार रेडियो खरीदा कि और कहा कि इस पर सहगल साहब को सुनूंगी। लता जी ने घर पर अपनी मां से रेडियो चलाने को कहा। जैसे ही रेडियो चलाया तो पहली खबर थी कि सहगल साहब नहीं रहे। लता जी ने इसके बाद रेडियो को त्याग दिया और रेडियो कभी सुना नहीं।

जब कोई सेलेब्रिटी बन जाए

कार्यक्रम समाप्ति के बाद मैं सुजाता शर्मा को नमस्कार किया और अपना परिचय दिया लेकिन वे अनसुना करके रंजीत सामा के साथ आगे बढ़ गईं। मुझे इस बात का मलाल है। मैंने ‘कांटों से खींचके ये आंचल..’ गीत सुनाने की फरमाइश की थी। इस निमित्त एक पर्ची भी भेजी थी। सुजाता ने पर्ची तो ली लेकिन गीत नहीं सुनाया। ऐसा ही होता है जब कोई सेलेब्रिटी बन जाए और उससे पूर्व परिचय न हो। महेश धाकड़ की फरमाइश पर मांग पर जय- जय शिव शंकर गीत सुनाया गया। मनोज गोयल ने ऐ मेरे वतन के लोगो.. गीत सुनाने की फरमाइश की लेकिन इसे भी अनसुना कर दिया गया। वैसे भी तब तक चार बज चुके थे, समय पूर्ण हो गया था। विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल से पूछा गया कि क्या उनकी कोई फरमाइश है, इस पर विधायक ने बड़ी मार्के की बात कही- लता जी के सभी गीत बहुत अच्छे हैं।

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ध्यानमग्न होकर सुन रहे सुजाता शर्मा को।

चंचल उपाध्याय की दमदार आवाज

चंचल उपाध्याय को मैंने प्रत्यक्ष रूप से पहली बार सुना। जब वे मंच नीचे आ आए तो मैंने उनकी सराहना हृदय की, जिसे उन्होंने स्वीकारा। चंचल उपाध्याय की आवाज बहुत दमदार है। जगत नारायण शर्मा ने भी गायकी में सुजाता शर्मा को पूरी टक्कर दी। चूंकि वे घर के हैं, सो उनकी कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन मैं यहां उनके इस हुनर का कायल हूँ। सही बात तो यह है कि ताज प्रेस क्लब में संगीत की दोपहर उन्हीं की पहल पर सजी है। मैं तो बस सूचनाओं को आगे बढ़ा रहा था।

 

दो बार हुआ उद्घाटन

कार्यक्रम का उद्घाटन दो बार हुआ। पहली बार विशिष्ट अतिथि श्री विजय भारद्वाज सामा (संयोजक, भाजपा ब्रज क्षेत्र साहित्य एवं प्रचार सामग्री विकास विभाग), श्रद्धेय श्री राज कुमार सामा विचार मंच के संयोजक श्री रंजीत सामा, ताज प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री सुनयन शर्मा, महासचिव श्री केपी सिंह, श्री जगत नारायण शर्मा, ताज प्रेस क्लब उपाध्यक्ष डॉ. भानु प्रताप सिंह (यानी मैं) ने मां सरस्वती एवं लता मंगेशकर के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि, भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्री पुरुषोत्तम खंडेलवाल करीब ढाई बजे आए। उनके साथ रंजीत सामा, विजय भारद्वाज सामा, सुनयन शर्मा, केपी सिंह आदि ने फिर से माल्यार्पण की औपचारिकता निभाई। सुधीर भोजवानी, सुखदेव गिडवानी, जगत नारायण शर्मा, यतीश लवानिया, डॉ. भानु प्रताप सिंह आदि ने अतिथियों का माल्यार्पण किया।

इस्लाम कादरी ने किया शानदार संचालन

गीत और संगीत के इस सफल कार्यक्रम का अपनी दिलकश आवाज में आकाशवाणी और दूरदर्शन के उदघोषक इस्लाम कादरी ने संचालन किया। उन्होंने बीच-बीच में लता मंगेशकर के जीवन यात्रा के बारे में जानकारी दी। शेर भी सुनाए।

उल्लेखनीय उपस्थिति

इस अवसर पर संस्कार भारती के बांकेलाल जी, गागनदास रामानी, शांति सेना की शीला बहल, प्रदीप सरीन, विजय सहगल, संजय कपूर, जय गुप्ता, एस. के. बग्गा, अरविंद शर्मा (गुड्डू),  प्रमोद वर्मा (गुड्डू), नीरज तिवारी, संजय दुबे, , विनीत बबानिया, अनिल जैन, एस. के. जैन, सोमा जैन, ताज प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य अरुण रावत, जय सिंह वर्मा, मनोज गोयल, वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना, राजेश मिश्रा, अशोक सिंह, असलम सलीमी, राज कुमार मीणा, महेश धाकड़, आदर्श नंदन गुप्त, आदि उपस्थित रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh