भारत ने कहा कि संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है और इस दिशा में सुरक्षा परिषद के काम करने के तरीके की पुनः समीक्षा होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अभियान पर सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग के दौरान कहा, “आज युद्धग्रस्त क्षेत्रों में बढ़ती हुई हिंसा के परिप्रेक्ष्य में संरा शांतिरक्षा का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है और राजनीतिक प्रक्रिया पर ध्यान कम होता जा रहा है।”
ऐसे अभियानों में भारत का योगदान सबसे ज्यादा है और वर्तमान में 12 में से नौ शांतिरक्षा अभियानों में 5,700 से ज्यादा भारतीय शांतिरक्षक तैनात हैं। कांबोज ने कहा कि 177 भारतीय शांतिरक्षकों ने संरा अभियानों में सर्वोच्च बलिदान दिया है जो कि अपने सैन्यकर्मी भेजने वाले किसी भी देश की ओर से सबसे ज्यादा है।
भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि शांतिरक्षा अभियानों में स्पष्ट और वास्तविक लक्ष्य बताए जाने की जरूरत है और उसके अनुसार संसाधन भी दिए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, “परिषद को अभियानों के लक्ष्य निर्धारित करते समय झूठी आशा और उम्मीद पैदा करने वाली शब्दावली और नियम बताने से बचना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा समस्या तब उत्पन्न होती है जब शांतिरक्षा अभियानों में पुलिसकर्मी और सैन्यकर्मी भेजने वाले देशों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता। कांबोज ने कहा, “इस समस्या का जितना जल्दी हो सके निवारण करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि शांतिरक्षा अभियान एक सामूहिक प्रयास होता है इसलिए किसी अभियान के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते समय सैन्यकर्मियों, असैन्य नागरिकों और नेतृत्व समेत अभियान के सभी अंगों पर विचार किया जाना चाहिए।
कांबोज ने कहा कि शांतिरक्षकों के विरुद्ध अपराध करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए पूरी ताकत से प्रयास किया जाना चाहिए।
- Envision launches Project Jeevan Setu to promote Health, Nutrition & Sanitation - July 21, 2025
- Sterling Hospitals Achieves 50th Kidney Transplant in 2025, Reinforcing Leadership in Advanced Renal Care - July 21, 2025
- सपा सांसद इकरा हसन पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले करणी सेना नेता पर एफआईआर, योगेंद्र राणा बोले- मैं माफी नहीं मांगूंगा - July 21, 2025