दो हजार में दम नहीं, बीस हजार से कम नहीं…लखनऊ में आशा वर्कर्स का आक्रोश, अखिलेश यादव ने यूपी सरकार को घेरा

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को चारबाग रेलवे स्टेशन पर आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन से संबद्ध ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (AICCTU) के बैनर तले प्रदेश के 75 जनपदों से आई आशा कार्यकर्ता यहां एकत्र हुईं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस सुनवाई नहीं हुई है।

भीषण ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स चारबाग रेलवे स्टेशन पर जुटीं और वहां से पैदल विधानसभा की ओर कूच करने की तैयारी की। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। चार थानों की फोर्स ने चौतरफा बैरिकेडिंग कर प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद स्टेशन परिसर में काफी देर तक हंगामा और नारेबाजी होती रही। पुलिस के सख्त पहरे के कारण किसी भी आशा वर्कर को आगे नहीं बढ़ने दिया गया।

प्रदर्शन के दौरान आशा वर्कर्स ने “दो हजार में दम नहीं, बीस हजार से कम नहीं” जैसे नारे लगाए और वहीं धरने पर बैठ गईं। उनका कहना है कि वर्तमान में उन्हें बहुत कम मानदेय मिलता है, जिससे परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है।

आशा वर्कर्स की प्रमुख मांगें

45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुरूप आशा वर्कर्स को राज्य स्वास्थ्यकर्मी का दर्जा देते हुए न्यूनतम वेतन, मातृत्व अवकाश, ईएसआई, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और पेंशन की गारंटी।

10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख रुपये का जीवन बीमा।

कार्य के निर्धारित घंटे तय किए जाएं।

वर्ष 2017 से अब तक के लंबित भुगतानों का आकलन कर तत्काल भुगतान।

सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी का भुगतान।

कानपुर से आई आशा वर्कर नीतू दीक्षित ने बताया कि वह वर्ष 2006 से सेवा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि मात्र दो हजार रुपये के मानदेय में परिवार चलाना बेहद कठिन है। न तो बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पा रही है और न ही बीमारी की स्थिति में समय पर इलाज संभव हो पाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना काल में आशा वर्कर्स ने जान जोखिम में डालकर काम किया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें वह सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलीं, जिसकी वे हकदार हैं।

आशा वर्कर्स का कहना है कि लखनऊ आकर प्रदर्शन करना उनकी मजबूरी है। वे सरकार से अपने काम के अनुरूप मानदेय, सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक सुविधाओं की मांग कर रही हैं। फिलहाल चारबाग रेलवे स्टेशन पर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही और आशा वर्कर्स लगातार नारेबाजी करती रहीं।

‘आशा’ के हिस्से आई निराशा…

आशा वर्कर्स के प्रदर्शन पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आशा वर्कर्स की स्थिति को लेकर तंज कसते हुए कहा कि ‘आशा’ के हिस्से अब केवल निराशा ही आई है।

अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री अब यह कहेंगे कि कहीं भी आशा वर्कर्स का कोई आंदोलन नहीं हुआ है। इसके बाद वे अपनी एआई टीम से कहेंगे कि उनके खिलाफ हाथ उठाकर लगाए जा रहे नारों की आवाज को बदलकर उनके जयकारों में तब्दील कर दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जमीनी सच्चाई से आंखें मूंदकर केवल प्रचार और दिखावे में लगी हुई है।

सपा प्रमुख ने कहा कि जिन आशा वर्कर्स ने कोरोना काल से लेकर आज तक गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी निभाई, वही आज अपने अधिकारों और सम्मान के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रही हैं। सरकार को चाहिए कि वह दमन और इनकार की नीति छोड़कर आशा वर्कर्स की पीड़ा को समझे और उनकी मांगों पर गंभीरता से कार्रवाई करे।

अखिलेश यादव ने दोहराया कि आशा वर्कर्स का आंदोलन पूरी तरह जायज है और समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि जब तक आशा वर्कर्स को सम्मानजनक मानदेय, सामाजिक सुरक्षा और अधिकार नहीं मिलते, तब तक यह लड़ाई जारी

Dr. Bhanu Pratap Singh