Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। धर्म नगरी वृंदावन में स्थित ठा.बांकेबिहारी मंदिर से करोड़ों लागों की आस्था जुडी है, यह सर्वविदित है। कोरोनाकाल में यह भी पता चल गया कि लाखों लोगों की रोजीरोटी भी ठा.बांके बिहारी मंदिर से जुडी है। सात महीने से बंद ठा.बांकेबिहारी मंदिर को खोले जाने की मांग को लेकर लोग सडकों पर उतर आये हैं। अखाडों में संतों की बैठकों में जिला प्रशासन को मंदिर खोले जाने को लेकर अल्टीमेटम दिया जा रहा है वहीं श्रद्धालुओं के नहीं आने से बेरोजगार हुए लोग सडक पर आंदोलन कर रहे हैं।
रोजीरोटी का वास्ता देते हुए लोग सडक पर उतर आये हैं
ज्ञात रहे कि सात महीने बाद 17 और 18 अक्टूबर को ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले गये थे। इस दौरान मंदिर को खोले जाने के लिए जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के बीच तय हुई गाइड लाइन का पालन नहीं होता देख मंदिर को 19 अक्टूबर से अनिश्चित काल के लिए एक बार फिर बंद कर दिया गया है। मंदिर के पट दोबारा श्रद्धालुओं के लिए अनिश्चितकाल के लिए बंद किये जाने के बाद लोगों का धैर्य जबाव दे गया। रोजीरोटी का वास्ता देते हुए लोग सडक पर उतर आये हैं और मंदिर को खोले जाने की मांग कर रहे हैं।
उठने लगी मंदिर के अधिग्रहण की मांग
श्राइन बोर्ड गठन और सरकार द्वारा मंदिर को अधिग्रहित किये जाने की मांग एक बार फिर उठने लगी है। तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज, व्यापारी तथा अन्य लोगों के लिए रोजीरोटी का संकट गहराने लगा है। चुंगी चौराहे पर समाजसेवी ताराचंद गोस्वामी ने सैकडों लोगों के साथ मंदिर बंद होने के विरोध में प्रदर्शन किया। मंदिर को खोलने और बंद करने के फैसले में मनमानी करने का आरोप लगाते हुए वैष्णोदेवी मंदिर की तर्ज पर सरकार से मंदिर के अधिकग्रहण की मांग की। इस दौरान सरकार ने मंदिर प्रबंधन और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मांग पूरी नहीं होने पर आमरण अनशन की चेतावनी दी है।
साधु संतों ने दिया जिला प्रशासन को आल्टीमेटन
बांकेबिहारी मंदिर के बंद होने के विरोध में धर्म रक्षक संघ ने वृंदावन में वीआईपी मार्ग स्थित उदाशीन अखाडे पर बैठक की। 48 घंटे में मंदिर खोले जाने का जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन को संतों ने अल्टीमेटम दिया है। संतो ने इसके बाद आंदोलन की चेतावनी दी है।
सेवायतों और मंदिर प्रबंधन के झगडे में पिस रहे लोग
समाज सेवी कपिल उपाध्याय लगातार इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं । पुलिस प्रशासन के साथ कई दौर की बातचीत के बाद उन्हांने कहा है कि मंदिर प्रबंधन और सेवायतों की लडाई में लाखों लोग पिस रहे है। मंदिर का रिसीवर नियुक्त है। रिसीवर को यह फैसला लेना चाहिए कि मंदिर खुलेगा या बंद रहेगा। रिसीवर ने इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है और मंदिर को दोबारा बंद कर दिया गया है।
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