रेबीज के लक्षण प्राण घातक, उपचार संभव नहीं, रोकथाम के टीके से शतप्रतिशत रोका जा सकता है

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Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। रैबीज रैली दिवस के अवसर पर पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सालय एवं विश्वविद्यालय में निशुल्क श्वान रैबीज रैली टीकाकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गिरिजेश कुमार सिंह ने पुलिस अधीक्षक यातायात नवल किशोर व कर्नल विजय राव के साथ फीता काटकर शुभारम्भ किया।

रेबीज रोग के विषय में पशुपालकों व सामान्यजन को वैज्ञानिक तथ्य उपलब्ध कराये

उद्घाटन के उपरान्त विश्वविद्यालय के कुलपति डा. जी. के. सिंह तथा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. पी. के. शुक्ला द्वारा विश्वविद्यालय शिक्षकों के साथ एक बैठक की गई, जिसमें रेबीज रोग के विषय में पशुपालकों व सामान्यजन को वैज्ञानिक तथ्य उपलब्ध कराते हुये रेबीज टीकाकरण के महत्व के प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

रेबीज एक वायरस जनित रोग है जिसके लिए सभी स्तनधारी प्राणी में पाया जाता है

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय पशु चिकित्सालय के निदेशक डॉ. आरपी पाण्डेय ने बताया कि विश्व रैली दिवस 2007 से अनेकों देशों में रैबीज की भयावह रोग की स्थिति को देखते हुए 28 सितम्बर को मनाया जाता है। रैबीज को जलातंक,  हाईड्रोफोबिया भी कहते हैं। रेबीज एक वायरस जनित रोग है जिसके लिए सभी स्तनधारी प्राणी कुत्ता, बन्दर, नेवला, चमगादड़, सियार, लोमड़ी, गाय, भैंस आदि) संवेदनशील होते हैं, किन्तु सामान्यतः यह रोग मनुष्य में रेबीज ग्रस्त कुत्तों के काटने से होता है।

रेबीज के लक्षण आने के उपरान्त इस प्राण घातक रोग का उपचार संभव नहीं है

चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. राम सागर ने बताया कि एक बार रेबीज के लक्षण आने के उपरान्त इस प्राण घातक रोग का उपचार संभव नहीं है, किन्तु रोकथाम के टीके से इस रोग को शतप्रतिशत रोका जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में प्रत्येक वर्ष लगभग 60 हजार मौतें रेबीज के कारण होती हैं जिन्हे टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय पशु चिकित्सालय के निदेशक डा. आर. पी. पाण्डेय, निदेशक शोध डा. अतुल सक्सेना, अधिष्ठाता बायोटेक डॉ. राजेश निगम, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. विकास पाठक, विभागाध्यक्ष डा. एम.एम. फारूकी (एनाटॉमी), डा. अरूण कुमार मदान (फिजियोलॉजी), डा. रश्मि सिंह (माइक्रोबायलॉजी) के साथ पशुपालक एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh