कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की मंजूरी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व IFS अधिकारी किशन चंद को फटकार लगाई।
कोर्ट ने CBI को इस मामले में 3 महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट देने को कहा है। अदालत ने कह कि हरक सिंह रावत और किशन चंद ने खुद को कानून मान लिया था। नियमों के खिलाफ जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में पेड़ कटवाए। कोर्ट ने बाघ संरक्षण के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कोर क्षेत्र में सफारी पर रोक लगा दी है। हालांकि परिधीय और बफर क्षेत्रों में इसकी अनुमति दी गई है।
अपनी टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशन चंद पर संगीन आरोप होते हुए भी वन मंत्री हरक सिंह रावत ने उन्हें डीएफओ नियुक्त करवाया था। यह पूरा मामला नेताओं और नौकरशाहों की मिलीभगत का उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क के बफर जोन में टाइगर सफारी बनाने की भी मंजूरी दी है।
पिछले महीने रावत के ठिकानों पर पड़ा था ईडी छापा
गौरतलब है कि चिड़ियाघर से बाघ लाकर सफारी के नाम पर उन्हें बफर जोन में रखने और कॉर्बेट पार्क में हुए अवैध निर्माण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 2021 में हरक सिंह रावत के वन मंत्री रहते हुए कालागढ़ रेंज में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई थी। पिछले महीने हरक सिंह रावत के कई ठिकानों पर ईडी की छापेमारी भी हुई थी। वन घोटाला मामले में दिल्ली, चंडीगढ़ और उत्तराखंड में छापेमारी की गई थी।
-एजेंसी
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