इन दिनों कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसमें पेट का कैंसर भी शामिल है। हालांकि जीवनशैली में कुछ बदलाव कर इससे बचा जा सकता है। एक रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि हल्दी भी पेट के कैंसर को दूर करने में मदद कर सकती है।
हल्दी के पौधे की जड़ों से निकले करक्यूमिन को पेट का कैंसर रोकने या उससे निपटने में मददगार पाया गया है। फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ साओ पाउलो (यूनिफैस्प) और फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पारा (उफ्पा) के शोधककर्ताओं ने ब्राजील में यह जानकारी दी।
करक्यूमिन के अलावा, हिस्टोन गतिविधि को संशोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य यौगिकों में कोलकेल्सीफेरोल, रेस्वेराट्रोल, क्वेरसेटिन, गार्सिनॉल और सोडियम ब्यूटाइरेट (आहार फाइबर के फरमेंटेशन के बाद आंत के बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित) प्रमुख थे।
गैस्ट्रिक कैंसर से मौत की दर 72 प्रतिशत
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनैशनल के पेट के कैंसर संबंधी आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में हर साल गैस्ट्रिक कैंसर के करीब 9 लाख 52 हजार नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 7 लाख 23 हजार लोगों की जान चली जाती है यानी दुनिया भर में गैस्ट्रिक कैंसर से मौत की दर 72 प्रतिशत है। भारत में, पेट के कैंसर के लगभग 62 हजार मामलों का हर साल निदान किया जाता है और भारत में पेट के कैंसर से होने वाली मौत का दर 80 प्रतिशत है।
पेट के कैंसर के सामान्य लक्षण
पेट का कैंसर कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होता है इसलिए शुरूआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। सामान्य लक्षणों की बात करें तो..
– भूख कम होना
– वजन में कमी
– पेट में दर्द
– अपच और मितली आना
– उल्टी (रक्त के साथ या बिना उसके)
– पेट में सूजन या तरल पदार्थ का निर्माण
– मल में रक्त आना
तनाव, धूम्रपान, ऐल्कॉहॉल है जिम्मेदार
इन लक्षणों में से कुछ का इलाज किया जाता है क्योंकि वे दिखाई देते हैं और गायब हो जाते हैं जबकि अन्य लक्षण उपचार के बावजूद जारी रहते हैं। रोग की उच्च दर के लिए तनाव, धूम्रपान और ऐल्कॉहॉल जिम्मेदार होते हैं। धूम्रपान विशेष रूप से इस स्थिति को बढ़ाता है। भारत में कई जगहों पर, आहार में फाइबर सामग्री कम रहती है। अधिक मसालेदार और मांसाहारी भोजन के कारण पेट की परत में सूजन हो सकती है, जिसे अगर छोड़ दिया जाए तो कैंसर हो सकता है।
जीवनशैली में बदलाव कर पेट के कैंसर का ट्रीटमेंट संभव
डॉ के के अग्रवाल ने कहा, ‘पेट के कैंसर के लिए पर्याप्त फॉलो-अप और पोस्ट-ट्रीटमेंट देखभाल की आवश्यकता होती है इसलिए नियमित जांच के लिए स्वास्थ्य टीम के संपर्क में रहना महत्वपूर्ण है। शुरुआत में स्वास्थ्य टीम से हर 3 से 6 महीने में मिलने की सिफारिश की जाती है, उसके बाद सालाना मिला जा सकता है। हालांकि, पेट के कैंसर के निदान के बाद जीवन तनावपूर्ण हो जाता है। लेकिन सही उपचार, जीवनशैली में बदलाव और डॉक्टरों व शुभचिंतकों के समर्थन से, मरीज ठीक हो सकता है।’
-एजेंसियां
- सनातन के प्रति नकारात्मक व्यवहार के कारण सपा की हार हुई, 2027 के चुनाव में भी होगी करारी हार: CM योगी - March 4, 2025
- Radhe Guru Maa and MLA Prakash Surve Inaugurate a Dialysis Center in Dahisar, Mumbai - March 4, 2025
- समीरा खान मही बाबू88 स्पोर्ट्स में शामिल: मनोरंजन और गेमिंग में एक रणनीतिक साझेदारी - March 4, 2025