पटना उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने को कहा कि तत्कालीन लोक अभियोजक (पीपी) मोतिहारी जय प्रकाश मिश्रा की बर्खास्तगी रद्द करने के उसके आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया। जय प्रकाश मिश्रा की ओर से दायर एक अवमानना याचिका की सुनवाई के अनुसरण में गुरुवार को न्यायमूर्ति पीबी बजंथरी के आदेश पर कारण बताओ आदेश जारी किया गया है।
ये है पूरा मामला
याचिकाकर्ता ने पिछले साल 21 दिसंबर को जारी मोतिहारी की जिला स्तरीय समिति के पीपी-सह-अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा बहाल करने के अपने पिछले आदेश के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसे सरकार की तरफ से निर्धारित समय के भीतर पूरा नहीं किया गया था। जय प्रकाश मिश्रा की सेवा 23 अक्टूबर को कानून विभाग की ओर से खत्म कर दी गई थी। 21 दिसंबर को रिट याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान मौजूद कानून विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा ने अदालत को भरोसा दिलाया दिया कि जय प्रकाश मिश्रा की बर्खास्तगी एक सप्ताह के भीतर वापस ले ली जाएगी।
बिहार के मुख्यमंत्री कार्यालय को कारण बताओ नोटिस
याचिकाकर्ता के वकील चतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि ये अपने आप में एक दुर्लभ मौका है, जब अदालत के आदेश को लेकर उदासीनता के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठाए गए और सीएम के प्रमुख सचिव को कारण बताओ जवाब देने के लिए कहा गया है। उन्होंने विस्तार से बताया कि कानून विभाग ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता की सेवा बहाल करने से संबंधित फाइल मुख्यमंत्री की मंजूरी के लिए पेंडिंग है।
सरकार का तर्क
संयुक्त सचिव ने कहा कि कानून मंत्री ने पीपी की सेवा बहाल करने की मंजूरी जनवरी में ही सीएमओ को भेज दी थी। इससे पहले इसी मामले में अदालत ने कानून विभाग पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था और अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान विभाग के संयुक्त सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था।
-एजेंसियां
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