आमतौर पर लोग शमी के फायदे के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। विजयदशमी के दिन शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है। हवन के द्रव्यों में शमी की लकड़ी का भी प्रयोग किया जाता है। अधिकांश लोगों को केवल इतना ही पता है। आपको पता नहीं होगा कि शमी एक औषधि भी है, जिसका इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता है।
आयार्य बालकृष्ण के अनुसार आप कफ-पित्त विकार, खांसी, बवासीर, दस्त आदि में शमी के फायदे ले सकते हैं। इसके साथ-साथ रक्तपित्त, पेट की गड़बड़ी, सांसों की बीमारियों में भी शमी से लाभ मिलता है। आइए शमी के सभी औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं।
शमी का वानस्पतिक नाम Prosopis cineraria (Linn.) Druce (प्रोसोपिस सिनेरेरीया) Syn-Prosopis spicigera Linn. है, और यह Mimosaceae (मीमोसेसी) कुल का है।
आंखों के रोग में शमी से लाभ
ताम्र के बर्तन में शंख को दूध से घिस लें। इसे घी युक्त जौ, तथा शमी के पत्तों की धूम दिखाकर आंखों में लगाएं। इससे आंखों का दर्द ठीक होता है।
लोहे के बर्तन में गूलर के कच्चे फल को गाय के दूध के साथ घिस लें। इसे घी युक्त शमी के पत्तों की धूम दें। इसे आंखों में लगाने से आंखों की जलन, दर्द, लालिमा, पानी बहना आदि विकार ठीक होते हैं।
बवासीर के मस्सों पर अभ्यंग के बाद अर्कमूल, तथा शमी की पत्तियों के धूम से धूपन करें। इससे लाभ होता है।
शमी के नए कोमल पत्तों के पेस्ट (1-2 ग्राम) में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से एनीमिया रोग में लाभ होता है।
शमी के पत्तों को पीसकर गुनगुना करें। इसे नाभि के नीचे लगाने से पेशाब के रुक-रुक कर आने और पेशाब में दर्द होने की समस्या में लाभ होता है।
डायबिटीज में शमी का उपयोग
2-4 ग्राम शमी के कोमल पत्तों में 500 मिग्रा जीरा मिलाकर महीन पीस लें। इसे 200 मिली गाय के दूध में मिलाकर, छान लें। उसमें 1 ग्राम गुड़हल की जड़ का चूर्ण, तथा 4 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
सांप बिच्छू के काटने के स्थान पर करें लेप
शमी के तने की छाल को पीसकर बिच्छू के डंक मारने वाले दंश स्थान पर लगाएं। इससे लाभ होता है।
शमी की छाल में बराबर मात्रा में नीम, तथा बरगद की छाल मिलाकर पीस लें। इससे सांप के काटने से होने वाले दुष्प्रभाव में लाभ होता है।
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