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BJP के वरिष्ठ नेता भानु प्रताप सिंह चौहान ने कैलाश मंदिर प्रांगण में रोपे हरिशंकरी पौधे, जानिए क्यों

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डॉ. भानु प्रताप सिंह चपौटा

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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भानु प्रताप सिंह चौहान ने पौराणिक कैलाश मंदिर के प्रांगण में दो हरिशंकर पौधे रोपे हैं। इतना ही नहीं, इनके रखरखाव का भी उत्तरदायित्व लिया है। उन्होंने यह पुण्य कार्य निरोगी जीवन के 58 वर्ष पूर्ण होने पर किया। हरिशंकरी सदा हराभरा रहने वाला वृक्ष है। सर्दी के अन्त में थोड़े समय के लिये पतझड़ में रहता है। औषधीय दृष्टि से हरिशंकरी शीतल एवं दाह, पित्त, कफ, रक्त विकार को दूर करने वाला है।

 

क्या है हरिशंकरी पौधा

हरिशंकरी पौधा, पीपल, बरगद, और पाकड़ के एक साथ रोपण से तैयार होता है। मत्स्य पुराण में भी हरिशंकरी से जुड़ी कथा का उल्लेख है। पुराण के अनुसार पार्वती जी के शाप से भगवान विष्णु पीपल, भगवान शिव बरगद और ब्रह्मा पलाश वृक्ष बन गए। इसीलिए पीपल, बरगद व पाकड़ के सम्मिलित रोपण को ‘हरिशंकरी’ कहते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार पाकड़ को वनस्पति जगत का नायक कहा जाता है। वैदिक अनुष्ठान व हवन आदि में इसकी ख़ास अहमियत होती है। हरिशंकरी को भगवान विष्णु और शंकर की छायावली भी कहा जाता है।

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भानु प्रताप सिंह चौहान कैलाश मंदिर प्रांगण में हरिशंकरी पौधा रोपने के बाद पूजा करते हुए।

तीन पौधों का एक छत्र

भानु प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि हरिशंकरी पौधे को तैयार करना एक पुण्य और परोपकारी काम माना जाता है। इन तीनों पौधों को एक ही जगह पर इस तरह लगाया जाता है कि तीनों वृक्षों का संयुक्त छत्र विकसित हो। हरिशंकरी का एक पौधा, हजारों पौधों के बराबर पुण्य देता है।

 

कहां रोपना चाहिए हरिशंकरी पौधा

पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता के नजरिए से पीपल, बरगद व पाकड़ सर्वश्रेष्ठ प्रजातियां मानी जाती हैं। इसे सड़क किनारे, धर्म स्थलों, सामुदायिक भवनों और गौठान आदि के आसपास लगाना चाहिए। अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत इसके पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व के बारे में अधिक से अधिक लोगों को बताना चाहिए। भविष्य में यह विरासत बची रहे इसके लिए हमें बच्चों को खासतौर पर इसकी महत्ता के बारे में जानकारी देनी होगी।

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जन्मदिन हो तो कैलाश महादेव का आशीर्वाद आवश्यक है। साथ में हैं भाजपा की युवा नेता मोनिका सिंह।

जीव-जंतुओं के लिए उपयोगी 
हरिशंकरी में तमाम पशु-पक्षियों व जीव-जन्तुओं को आश्रय व खाने को फल मिलते हैं। इस प्रकार हरिशंकरी के रोपण से इन जीव-जन्तुओं का आशीर्वाद मिलता है। इस पुण्यफल की बराबरी कोई भी दान नहीं कर सकता। इसका छत्र काफी विस्तृत और घना होता है। इसकी शाखायें जमीन के समानान्तर काफी नीचे तक आ जाती हैं। इसके नीचे घनी शीतल छाया का आनन्द बहुत ही अच्छी अनुभूति देता है। इसकी शाखाओं या तने पर जटा मूल चिपकी या लटकी रहती है।

 

उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट में हरिशंकरी का पौधा लगाया। उत्तर प्रदेश में आजादी के अमृत महोत्सव पर 75 स्थानों पर हरिशंकरी पौधे लगाए गए। विश्व पर्यावरण दिवस पर 210 ग्राम पंचायतों में हरिशंकरी पौधे लगाए गए। हर गांव में पौधे लगाए जाने की सूचना है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh